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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, April 8, 2013

आर्थिक मंदीs चिन्ह

गढ़वाली हास्य -व्यंग्य 
सौज सौज मा मजाक मसखरी 
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर छ्वीं
                                         आर्थिक मंदीs  चिन्ह  
 
                                          चबोड़्या - चखन्यौर्याभीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )
                    अचकाल कॉंग्रेसी अपण पीठ अफुक थपताणा छन बल वैश्विक आर्थिक मंदी बगत बि जब  एक  लाख करोड़ से तौळ घोटाला नि होणा छन या रॉबर्ट बड्रा  की कम्पनी हर दिन करोड़ों  नफा कमाणि च तो यांक अर्थ च बल सोनिया जीकी कृपा से अर हमर अर्थशास्त्री मनमोहन सिंग जीक काम से भारत आर्थिक मंदी से बची गे. उना विरोधी बुलणा छन यदि भारतम आर्थिक मंदी नी च तो नितिन गडकरी की कमपन्यु  पर  आय कर विभाग से छापा किलै पड़ना  छन या फिर यदि आर्थिक मंदी नी च तो नरेंद्र मोदी को गुजरात मा उद्योग पतियों न अरबों  रुपया को एम् ओ यू पर दस्तखत कार छौ पण उद्योग तो लाख रुपयों का ही किलै लगिन? भाजापा बुलणि च बल गुजरातम इकरार नामा अरबों का अर असली निवेस लाखों का से साबित हूंद कि मनमोहन सिंग की आर्थिक नीति से ही आर्थिक मंदी आई।
             यांक मतबल साफ़ च भारतम बि आर्थिक मंदी हिटणि च।
               आर्थिक मंदी का कुछ ख़ास चिन्ह छन।
                 जु पोर साल तलक  तुम ब्रैंडेड जूतों बडै करदा नि थकदा छा अर ड्यारम अयां हरेक छ्वटुबडु पौण तैं अपण परिवारों हरेक  सद्स्यौ ब्रैंडेड जुत  इन दिखांदा छा जन बुल्यां तुम मेहमान तै जुत्याण वाळ ही छंवा अर अब अपण जुतों कैबिनेट किचन मा ली गेवां कि मेहमानों तैं तुमर अनब्रैंडेड  जुतों बाराम पता नि लगो तो समझी ल्यावो देशम ना सै पण तुमर घौरम आर्थिक मंदी को निवास ह्वे गे।
जब पैल कैक वाश बेसिन (हथ धूणै कुंडी) म केवल लिक्विड सोप की बोतल धरीं रावो अर घराती (होस्ट) बार बार आप तैं ब्रैंडेड लिक्विड सोप से हाथ धूणो ब्वालो अर अब घराती को  वाश बेसिनम झुल्ला धूणो साबणक बच्यां टुकड़ा धर्यां ह्वावन तो शर्तिया  मंदी ऐ गे।
                     जब पैल क्वी कुत्ता -बिरळ पाळो अर लोगुं तै सुणावों कि कुत्ता बिराळो  कुण केवल अमेरिकन ब्रैंड का ही भोजन लाण चयेंद पण अब वो ही मनिख  अपण कुत्ता-बिराळु कुण लुकैक बीफ मीट  लावो तो अंदाजा लगी जांद कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिसेसन ऐ गे। भारतम या अर्ध विकसित देसोंम  जब ब्रैंडेड अमेरिकन डॉग -पेट फ़ूड की खपत कम होलि तो यो रिसेसन इंटरनेशनल रिसेसन ही ह्वाइ कि ना?
          जब कें कम्पनी मा हर मैना 'हाउ टु रिड्यूस वेरिएबल एक्सपेंसेज' पर कौन्फेरेंसेज हुणा ह्वावन तो समज मा ऐ जांद कि कम्पनी आर्थक मंदी को शिकार ह्वे गे। या जब कै  संस्थानम विक्री विभाग का टूर बजेट मा कटौती करे जावो तो समजण चयेंद कि कम्पनी हालत ठीक नी च।
           जब कैं कम्पनी मा रोज एक सर्कुलर आवो कि बिजली, पानी, पेन्सिल, आलपिन, रबर , कागज को बजेट मा कटौती कर्याणि च तो समजी ल्यावो कि रिसेसन ऐ गे। या जब पैल कैं कम्पनी मा चपड़ासी रद्दी बिचणो जुमेवार होंद ह्वावो पण जब अचाणचक रद्दी बिचणो जुमेवारी कै मैनेजर तैं दिए जावो तो समजी ल्यावो कंपनी रिसेसनग्रस्त च। 
            जब कैकुण कराची या  दुबई बिटेन दाउद इब्राहम का गुर्गों कै सेठ,उद्योग पति या अभिनेता से प्रोटेक्सन मनी या ऐक्सटौर्सन मनी मांगो अर सेठ,उद्योग पति या अभिनेता उत्तर मा ब्वालो," धन भाग छन भाई तुमर फोन आइ। एक बात बथावो भाइ आठ दस करोड़ रुपया इंटरेस्ट पर मीलल क्या? रिसेसन न कमर तोड़ी दे जनि रिसेसन खतम होलु दुगुण इंटरेस्ट समेत मूल वापस करी द्योलु ". अर दौड़ इब्राहिम सरीखा गुंडा पाजी लोग प्रोटेक्सन मनी या ऐक्सटौर्सन मनी मंगण छोड़ी ब्याज पर पैसा लगाण शुरू कौरि दयावन तो जरूर ही वै क्षेत्र मा रिसेसन की भंयकर मार पड़ी च।
    जब क्वी परिवार  पैलि नास्ता मा फ्रूट जूस , किलौंग , ब्रेड बटर, अमूल लग्युं पराठा  को नास्ता करदो ह्वावो अर अब सूखी रुटि अर आलु को पंद्यर झोळ से काम चलाओ तो मान लीण चयेंद कि आर्थिक मंदी ऐ इ गे।
जब पैल लोग व्यक्तिवाद की पूजा करदा ह्वावन अर शेयर टैक्सी या शेयरिंग कार की बात तैं आदि वासी समाज की मानसिकता की पहचान बथांदा ह्वावन अर अब सांझा चुल्हा, शेयरिंग टैक्सी या शेयरिंग कार की भयंकर प्रशंसा करण  लगी  तो समझो कि देस रिसेसन की आग मा फुकेणु च।
  जब हास्य व्यंग्य की मांग बढ़ी जावो तो समजी ल्यावो समाज मंहगाई , भ्रष्टाचार अर आर्थिक मंदी को शिकार हुयुं च।     
         
          
Copyright @ Bhishma Kukreti   9 /4/2013

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