उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Thursday, April 18, 2013

बुड्या नि मोरणु त पौड़ी ली जा !

गढ़वाली हास्य -व्यंग्य 
सौज सौज मा मजाक मसखरी 
हौंस,चबोड़,चखन्यौ   
सौज सौज मा गंभीर छ्वीं


                             बुड्या नि मोरणु त पौड़ी ली जा ! 

                                     चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती (s = आधी अ )
   "हे दीदी  ! म्यार नौनु घंतु ना खाणु ना पीणु। इन सुचणु छौं पौड़ी डाक्टरोंम दिखै द्युं।"
"भुलि ! कनो तू तैकि मौस्याण मा छे? त्यार  स्यु नौनु अपण कोखौ च कि सौत्याणि कोख को ?"
: क्या छे बुनि हे  दीदी! त्वी इ  त एक जनम हूणम स्विलकुड़ बैठि छे । फिर इथरी बात किलै बुनि छे ?"
" अब क्वी अपण ज्यूंद नौनु -नौनि तैं पौड़ी अस्पतालोंम दिखाणो बात कारल त लोग सौतिया करम ब्वालल कि ना?"
"ह्यां ! पण तू पौड़ी अस्पतालों बाबत ततरी बात  किलै बोलणि छे?
" मि अपण मन से थुका बुलणु कि पौड़ी अस्पतालों म जैक भलो आदिम बि ज्यूँरा जोग ह्वे जांद।"
"तो कैन बोलि कि पौड़ी चिकित्सालय आज यमराजौ एजेंट ह्वे गेन, पौड़ी का अस्पताल ज्यूँरा दलाली करणा छन?"
"ह्यां उख विमल नेगी भुला नी च?"
"हाँ बडो मयळु च अर अंग्रेजी लेक्चरार च तो?"
" वे इ विमल नेगी भुलान खबर सार भेजि बल इख पौड़ीम सबि अस्पताल अचकाल यमराज की नौकरी बजाणा छन।"
"क्या बुनि छे? हां तू त वै विमलनेगी कुणि कबि कबार चंदा रूप माँ गहथ लिजान्दि छे त वैन त्वे तैं पौड़ी खबर सार भेजणि च।"
"भुलि मि त त्रिभुवन उनियालौ, मनियारी बरम मोहन नेगी, गणेश गणी  अर वु  वीरेंद्र पंवार सब्युंक रिश्ता मा  बौ लगुद  त सबि पौड़ीक  खबर सार दीणा इ रौंदन।"
"हे दीदी इन बथादी जु पौड़ीक डाक्टर अचकाल ज्यूँरा तरफदारी करणा छन तो पौड़ीक अस्पताल, दवाखाना  बांज पड्या होला?"
" ना ना वो त्रिभुवन उनियालौ भाई गबरू अर वैकि एक गौं की बौ च ना ?"
"हां ये दीदी ! ऊं त्रिभुवन उनियालौ बात से त इन लगद बल द्वी द्यूर -भौज का बीच मा कुछ तो छ!"
" हाँ तो गबरू की सुवा बौ इ बुलणि छे बल एक कज्याणि कै नेपाली दगड़ कुछ चलणो छौ अर ऊंकी इच्छा छे कि वींको पति मोरि जा।"
"तो ?"
"तो क्या वा कज्याण अपण पति तैं पौड़ी दांतुं डौक्टरम लीग अर बल  डौक्टरन  बिंडी अनिस्थिया दे द्याई बिचारो पति फिर सद्यानौ ज्यूँरा  जोग ह्वे ग्यायि।"
" भलो च म्य़ार कै नेपालि या बिहारी दगड़ नि चलणु च निथर मीन बि घंतु बुबा तै पौड़ी दिखाणो लिजाण छौ अर ..। पण हे दीदी इन थुका च कि सरा गढ़वाल कि जनान्युं नेपाल्युं से ..."
"ह्यां हे भुलि अर जै तैं अपण ब्वारिक कतल करण ह्वावो तो वो ब्वारि तैं बिमारी बाना पौड़ी लिजांदन तो उख एकाद मैना क गैरजिमेदाराना इलाज, असावधानी, कर्मचार्युं  सम्वेदनाहीनता से वा ब्वारी भग्यान ह्वे जांदी।"
" चलो भलो च मि अबि सासु नि बौण निथर मि तैं ब्वारि मरवाणो ब्वारि तैं पौड़ी अस्पतालोंम भरती कराण पड़ण छौ।"
" हे भुलि सूण त सै। कैक बुड्या बाबु या बुडडि ब्वे नि मोन्ना ह्वावन तो पौड़ी सरकारी या गैर सरकारी अस्पतालोंम भरती करै द्यावो तो डाक्टरों गैरहाजरी , हौस्पिटल कर्मचार्युं   असावधानी अर गलत सलत चिकित्सा या गलत दवा से बूड-बुड्या अफिक सोराग चली जांदन।"
"औ ! या बात च। म्यार त सास ससुर नी छन पण आजि मि अपण भुलि कुण रैबार दींदु कि पौड़ीम सरकारी अर गैर सरकारी अस्पतालोंम गैर जिमेदारना खेल चलणा छन तो अपण बुड्या ससुर तै इख पौड़ी अस्पतालम भर्ती  दयावो।"
"हाँ अर ये ले त्रिभुवन द्यूरो टेलीफोन नम्बर बि लेलि। त्रिभुवन उनियाल बथालो बल कु कु अस्पताल गैर जिमेदाराना काम मा व्यस्त छन।"
" हाँ आजि मि अपणी बैणि कुण खबर सार भेजि दींदो कि बुड्या उन नि मरणु च त बुड्या तैं पौड़ी अस्पतालम भरती करी दे।"           

              
(बरोबर काल्पनिक लेख च, जगा को  नाम अर घटना बि  काल्पनिक छन। ) 


Copyright @ Bhishma Kukreti  19 /4/2013

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments