(s = आधी अ )
मूल संकलन - डा नन्द किशोर हटवाल , देहरादून
इंटरनेट प्रस्तुती - भीष्म कुकरेती
इंटरनेट प्रस्तुती - भीष्म कुकरेती
सृष्टिs रच्याण (सृष्टी की रचना )
जनमी गाया पंखी-पंखीण
पंखी-पंखीण नल -नलीण
तनारा ह्वेग्या तीन आंडूर
ख्यलैल्या मायान हथकऴयुं मा
तीन अंडूरा छैयी फंड्येला
तुम अंडूरा आंयाँ -बाँयां न जाया
यौक फंड्येली ऊपर धोळि
जनमी गये ऐंच आगास
हाकि फण्येटि धरतीमा ड्वोऴये (धोळे)
जनमी गये तौळ धरति
यौक फण्येटि पूरब धोळि
जनमि गैयि पूर्बो राज
यौक फण्येटि पश्चिम धोळि
जनमि गैयि पश्चिम राज
यौक फण्येटि दक्षिण धोळि
जनमि गैयि दक्षिण राज
यौक फण्येटि उत्तर धोळि
जनमि गैयि उत्तर राज
हेमंतs मैणा क ब्यौ
सात पांच ऋषि वै बाटा पंथ लौ
कवड़यों का देश वै ठाकुर जी को राज
ठाकुर जी होलि सात कन्या
ठाकुरे की होलि , वै झुमकैलो
सात लाड़ी कन्या, वै झुमकैलो
अणब्यवा अणमांगी, वै झुमकैलो
कि होलि अमूस्या, वै झुमकैलो
कि होलि चौदस्या, वै झुमकैलो
कि होलि मूल्या, वै झुमकैलो
कि सतमंगळि, वै झुमकैलो
सात भाई ऋषि वै ठाकुर जी का पास
सबसे बडो होलो ये हेमंत ऋषि
सबसे कणसि होलि वै रैणा दि मैणा
बडो हिमंत ऋषि वै ? घरजंवाई रयो
छैइ भाइ ऋषि वै ऋषि वै रिषासौऊ ऐग् या
हेमंतs भाजण और नंदा जन्म
बड़ू नारद हेमंत का पास
सूण ह्यूँदा टक लगई बात
पंछियों मा कुपंछी घौरs कुखुड़
मनख्यों मा कुमनखि घरजवाईं
बड़ो हिमंत ऋषि ठाण मनसूबा
हिमंत ऋषि वै ऋषासौ भाजि गे
राणी मैणावती वै पिछा पिछा लैगी
योगयि सोगयि वै मामला बुग्याऴ।
xxx
नंदू का बैराट वै भोलड़ो बियायो।
कुर -कुर्या जोंको छौ सुर-सुर्या जौ र।।
xx
बाटा मांग होली वै नन्दू की मटखाणा
मैणावतीन यो खाड धोळि दे
आफु मैणावती वै ऋषासॊउ ऐ ग्याई
यशोदा तै नंदा मिल्दि
(यशोदा को किस प्रकार नंदा मिलती है)
जब मैनावती ने अपनी कन्या को नन्दू के बैराट में मिटटी की खान में दबा दिया और अपने मायका आ गयी तो यशोदा मटखंडी जाती है और वहां उसे एक कन्या मिलती है। वः कन्या लहू में सनी थी। कन्या मंद मंद हंस रही थी। यशोदा उस कन्या को पोंछती है और गोद में रखती है। फिर यशौदा कन्या को अपने राजमहल ले आती है। अब कन्या के नामकरण की बारी आती है तो ?
मटखांड देखि पै ल्वैढाळि कनया
ल्वैढाळि कनया पै मूल मूल हैंसणि
कनया उठाई पै गोद मा धर्येल्यो
ब्वथायो बुथायि पै ये प्वोंजो मलाशी
पौंछि गे माता अपणा बैराठ
गोद मा धर्याली पै रिष्यों की लाडली
अब होंद कन्या को नामकरण?
नंदा नामकरण हेतु नारद ऋषि को निमंत्रण
न्यूती कै ब्वोलाया , ह्वोलि बाली ह्वो
द्योब ऋषि नारद, ह्वोलु बाली ह्वो
ब्रह्मान गाड़ी ह्वोलु, बाली ह् वो
ग्रहमान गाडी गाडयेली ,ह्वोलु बाली ह्वो
धुऴयेटि पातड़ी, ह्वोलु बाली ह्वो
रूपेगी लिखणी,ह्वोलु बाली ह्वो
नन्द और यशोदा देव कन्या के नामकरण हेतु ऋषि नारद को निमंत्रण भेजते हैं
ब्रह्मा ने कन्या की जीवनी लिखी
नारद ऋषि ने जन्म पत्री बनाने का कार्य प्रारम्भ किया
अब नारद जी ग्रहचाल लिखने को तैयार हुए
नंदा कु नामकरण
जब नारद नामकरण हेटी आये तो कहने लगे सारे खिड़की और दरवाजे बंद कर दो तभी ही कन्या का नामकरण होगा।
किन्तु कन्या धुआँ जाने के छेड़ से बाहर चली गयी। और चलते चलते अपना नाम अपने आप हे रख लेती है। इसके बाद रिषासौ पर दोष लग जाता है। पुछेर/भविष्यवक्ता से गणत निकालने पर मालुम हुआ कि नंदा का दोष लगा है। ह्मेंट और मैनावती समस्त रिषासू के लोग उत्साह पुर्बक नंदा को लाने चल पड़े। मैणा ने ल्हुयुक्त कन्या को पों छा और उसे थपथपाया। मैणा पश्चाताप से झल रही थी कि उसने कन्या को मिटटी की खान में कैसे छोड़ा?
घणा रिषासाउ पै सुणा द्यब्ताओ
घणा रिषासाउ पै स्योलागो द्वाष
हमारा मूलक बै क्यगे ह्वालो द्वाष
तुमारो मूलक पै देबी ह्वोलो द्वाष
निर्धारि निर्पंखी बै छाया की चौरड़ी
ल्वैढाळी कनया पै तखी बैठि ह्वो लि
बड़ा बूडों रिस्यों पै छाया की चौरड़ी
हेमंत -मैना पै छाया की चौरड़ी
मैणान उठाइ पै गोद धरयाली
ये पोंछि पलासि पै रवथाई ब्वोथाइ
शरमक मारा पै तैं मैणा पातले
माटा खंडोलि पै मिन छ्वोडि ह्वोलि
रिसासौमाम नंदा कु बचपन
गढवाली लोक साहित्य के विद्वान् डा नन्द किशोर हटवाल के अनुसार निम्न जागर पंक्तियों में नंदा का बचपन, बड़ा होना, सहेलियों के साथ खेलना कूदना आदि का वर्णन बड़ी आत्मीयता से हुआ है।
ये नंदा हिंवाळि, झुमकैंलो
ख्येलनी, नाचनी, झुमकैंलो
तरुण जवानी, झुमकैंलो
दिन-दिन बढ़ली,झुमकैंलो
शिव और पार्वती मांगणि -जांगणि प्रसंग
रिसासौ मांग छ्वाड़े पयाणों
कैलाश मांग जननी जोत
तुमार घौर अगरे च च्येला
तुमारा घौरोगो जल्ल नि प्योन
तुमारा घौरो आसण नि ल्योलो
तुमारा घौरोगों भोजन नि खौलो
रिसासौ माग गौरा द्येबी
गौरीशंकरेगी जुगती जुड़ोलो
वर्मा लोक छवोड़े पयाणो
रिसासौ माग गौरा द्येबी
तुमारा घौर अगरे च कन्या
अगरी घौरो को पाणि नि प्योनु
आगरा हाथों को कवा कोलो नि खान
आगरे हाथों को भोजन नि कन
आगरे घौरो जल्ल नि प्योलू
अगिंड़ो नारद पछिन्ड़ो ह्वैग्यी
आपणा कन्यै की जुगती दे द्यावा
तुमारी कन्या को मंगण्या ह्वै रौलो
जना कनो को द्योना नी च
कन्या सरीखा पौना नी च
कन्या सरीखा बर ख्वोज्युलू
कैलाश मांग भोले शम्भूनाथ
रिसासौ मांग गौरादेवी
गौरीशंकरेगी जुगती जुड़ोलो
घर हीण देइ बर हीण नि देइ
सर्वारम्भ
रिसासोऊ मांग सर्वारम्भ दीन
दाळ ध्वयेगी चौंळ छ्णेगी
कैलाश बर्मान छ्वोड़े पयाणो
रिसासौ मांग जागनी जोत
रिसासो माग दिनपट्टा बांच्येगे
रिससोऊ मांग मिठे बाटेगे
रिसीगा घौर बढ़ाई बजीग्ये
सर्वारम्भ
रिसासो गाँव में सर्वारम्भ शुरू हो गया है
पकोड़ों के लिए दाल धुल गयी है, अर्षा के लिए चावल छाने गये हैं
कैलाश में वर्मा जी ने सूचना दी है
रिसासो में जोत जगा ली गयी है
रिसासो में दिनपट्टा पढ़ लिया गया है
रिसासो में मिठाई बाँट दी गयी है
रिसी के घर बाजे बजने लगे हैं
वेदी चिण्याण
न्यूता कें ल्यावा बौड़ा कू चेल्यू
बौड़ कु च्योलू बेदि चिणलो
म्येटी कें ल्यावा कटुवा पत्थर
कटुवा पत्थरन ब्येदि चिणलो
न्यूती कें ल्यावा मठ्याणा की माटी
मठ्याणाs माटीन ब्येदि लिप्यालो
न्यूती कें ल्यावा क्योंळू क्वंळै
क्योंळू क्वंळै अस्ताम्भ घैंटेल्या
वेदी निर्माण
बौड़ा के चेले को न्योता भेजा
बौड का चेला बेदी बनाएगा
वेदी चिनने के लिए कटुवा पथर आ गये हैं
वेदी लीपने के लिए मठ्याणा की मिटटी लाई गयी है
स्तम्भ बनाने के लिए चीड की शाखाएं आ गयी हैं
गौराs खऴका(मंगल स्नान )
रिसासौउ मांग मंगल स्नान
गौरा जीs मंगल स्नान
न्यूती के ल्यावा सिद्ध गणेश
न्यूती के ल्यावा बर्मा जी को च्यालो
बर्मा कु च्यालो बेद पढ़ोलू
न्यूती के ल्यावा तिलबाड़ी का तील
न्यूती के ल्यावा जौबाड़ी का जौ
न्यूती के ल्यावा जौ सार्य़ा का जौ
न्यूती के ल्यावा ऐरवाऴया च्येली
गौरा को खळका बैठाला जी
गौरा को खळकु नायेणु
ल्यो मेरी जिया तांबा की रै बारी
ल्यो मेरी जिया तातु तत्वाणी
ल्यो मेरी जिया स्योळु पाणी
गौरा इसूर को खळकु अस्नान
डांडा लै कुयेड़ी सर्ग लै बादल
कख बिटे आया पाणि का बूँद
अब ह्वे गे खळकु अस्नान जी
गौरा को खळकु नायेणु जी
अब ल्यावा बराई लाणु
अब ल्यावा बार पैरावा जी
को द्योउ खळका द्यों
इसुर खळका बैठालो द्यो
न्यूती लीयाया बामण को च्येलो
बरमा को च्येलो खळका करलो
बरमा को च्येलो बान द्योलु
न्यूती के मंगाया न्यूती के मंगाया
एरवाल्या च्येली
एरवाल्या च्येली मंगल लगाली
गौरा का मंगल स्नान
सभी औरतें मंगल गीत गा रही हैं --
रिसासु में मंगल स्नान होगा
गौरा जी का मंगल स्नान होगा
सिद्ध गणेश को निमंत्रण भेजा जाएगा
बर्मा जी के शिष्य को निमंत्रण भेजा जाएगा
वर्मा जी का शिष्य वेदपाठ करेगा
तिल्वाड़ी से तिल मंगाए जायेंगे
जौबाड़ी से जौ मंगाए जायेंगे
जौ साड़ी से हरे जौ के पौधे मंगाए जायेंगे
मंगळेरी की चेली को निमंत्रण भेजा जाएगा
गौरा को स्नान हेतु चौकी पर बिठाया जाएगा
ताम्बे की बर्तन में स्नान हो रहा है
गर्म पानी से स्नान हो रहा है
ठंडे पानी से स्नान हो रहा है
गौरा व इश्वर का स्नान हो रहा है
इसी समय पर्वत कुहरा लेकर आये हैं , इसी समय आकश बादल ले आये हैं
गौरा जी को ब्योली के वस्त्र पहनावों
दिया जलावो
इश्वर को भी स्थान पर बिठावो
ब्राह्मण के शिष्य को निमंत्रण दो
ब्राह्मण का शिष्य मंगल स्नान के बाद मन्त्र पढ़ेगा
ब्रह्मा का शिष्य बाने देगा
मंगळेरी की चेली मांगळ गीत गायेगी
गौराs सिंगार
ल्यो जिया रेशमी रुमाल जी
ल्यो जिया कमरी पटुवा जी
ल्यो जिया मखीमल आंगी जी
ल्यो जिया शाल दुश्वाला जी
ल्यो जिया बार बैगौंणा जी
ल्यो जिया पायो प्वोलिया जी
ल्यो जियाबारा झंवोरा जी
अब ल्यावा हाथ्यों पौंछी जी
अब ल्यावा सोना की चूड़ी जी
ल्यो जिया सिरम्वोरी नथ जी
ल्यो जिया टाटू तिमण्या जी
ल्यो जिया झालूर्या बेसर जी
ल्यो जिया कानूं कुंडल जी
अब पैर्या बारा बारा जेवर जी
गौरा का श्रृंगार
मेरी जिया के पास रेशमी रुमाल जी
मेरी जिया ने पहना कमर का पटुवा जी
मेरी जिया ने पहना मखमली अंगरखी जी
मेरी जिया ने ओढ़ा शाल दोशाला जी
मेरी जिया ने पहना बाढ़ बैंगाणा जी
मेरी जिया ने पहना पावों की पायजीब जी
मेरी जिया ने पहना बढ़ झंवोरा जी
मेरी जिया ने पहना हाथों की पौंछी जी
मेरी जिया ने पहना सोने की चूड़ियाँ जी
मेरी जिया ने पहना सिरमोरी नाथ जी
मेरी जिया ने पहना टाटू तिमन्या जी
मेरी जिया ने पहना झालरदार बेसर जी
मेरी जिया ने पहना कानो के कुंडल जी
अब मेरी जिया ने बढ़ जेवर पहने जी
कैलाशम ब्यौ त्यारि
कविलाश बाजिग्ये बारा बढ़ाई
द्यब्तों का सजी गे आसमानी रथ
इंदरको संजि गे ऐरावत हाथी
नारैण कु सजी गरुड़ी को रथ
बर्मा जीको सजी ग्ये हंसवां रथ
शिवजीको सजी ग्ये नंदीगण रथ
पंचनाम द्यब्तों का रथ सौजीग्ये
कबिलास बाजी गे बारा बाजणी
कबिलाश ह्वे गे पात पिठाई
कबिलाश बरात तयार ह्वेइ ग्येयी
कबिलाश बरात बाटा उठी लगी
कैलाश में विवाह तैयारी
कैलाश में औजियों ने बारह किस्म के तालों से ढोल बजा क्र बधाई/प्रशंशा (बड़ें दीण) दे दी है
देवताओं का आकाशीय रथ सज गये हैं
देव राज इंद्र का ऐरावत हाथी सज गया है
भगवान विष्णु का गरुड़ रथ सज गया है
ब्रह्मा जी का हंस रथ सज गया है
शिवजी का नंदी रथ सज गया है
पंचनाम देवताओं के रथ सज गये हैं
कैलाश में सभी को शुभ तिलक लग चुका है
कैलाश में बरात तैयार हो गयी है
कैलाश में बरात रास्ते के लिए उठने लगी है
कैलाशम पौणों सजण
सजण बैठिग्या भोले शम्भुनाथ
सजण बैठिग्या नंदीगण
कैलाशी पौणा सजण बैठिग्या
सजण बैठिग्या काणा ड्यबाणा
बांगा त्यबांगा नंगा निर्वाण
नंगा भूखा, लूला लंगड़ा
सजण बैठिग्या बावन द्योउ
ला पौंणि दल सि बर्याती पैटीग्या
भोला मादेव को सजण
अंग्मा रमेली बभूत राख
खार - शैण छराल मालिश ह्वे गे
कानाउन डाळेल्यी मुंड मागी माला
अंगमा लग्येली बागम्बर छाला
अंगमा छयेली भंगोया अंचल
कमरवा बांध्येलि तिपुऴ न्ग्या बाबुलू
कंधा डाळेल्यी खैरुवा झोळी
खुट्युमा लग्येल्या खुट्यु खड़ाउ
हाथोंम पैर्येलि केदारी कंकण
पैर्येल्या शिवजीन अपणों पेर्वार
आगे-आगे चललो बुड्या
मैणावती नारद सम्वाद
क्वो मेरो घिया को जवाईं च नारद लो
जू होलू बैल मा बैठ्युं च मैणावती लो
सू तेरो घिया को जवाईं च मैणावती लो
तेसूं को ग्वेरा नि द्योनु मि नारद लो
क्वो मेरो घिया को जवाईं च नारद लो
जैका चा सेला सा दांत जी मैणावती लो
स्यु तेरो घिया को जवाईं च मैणावती लो
क्वो मेरो घिया को जवाईं च नारद लो
जैकि होलि मैणावती विभूति रवाईं
स्यु तेरो घिया को जवाईं च मैणावती लो
तेसूं को ग्वेरा नि द्योनु मि नारद लो
जैकि होली मैणावती बाग्म्बर छाला
स्यु तेरो घिया को जवाईं च मैणावती लो
तेसूं को ग्वेरा नि द्योनु मि नारद लो
मैणा ka नंदा को रूप छुपाने कहना
वोदु आवो न्योड़ू म्येरी लाडली
सुण मेरि लाड़ी बल तू म्यरी बारता
तुवू मेरी लाड़ी बल रूप की अग्याळी
त्येरू जंवै ह्वोलो बल अद्भुत जोगी
जाऊ मेरी लाडली तू रूप लुकाऊ
तेइ जोगी ग्वोरा ग्वोरा नि द्योलू
तब गैया ग्वोरा डिपाला कनाला
डिपाला कंनाला रूप छुपैली
गौरान का रूप को फ्यूंळी फूल ह्वैग्ये
गौराउ ह्वेग्येयि अब्येनि भब् येनि
अब्येनिउ भब्येनि रिषाषौउ ऐग्ये
शिव का सुन्दर रूप वर्णन
अफु बल क्या माया रंचन
जाई पौंछि इसुर नौनाला मंगरी
नौनालाऊ मंगरी नायेन ध्वोयेन
प्यूंळी धैंको भैंसाल खैलाइ
अफु भगवान क्या माया रंचन
नायी धोयी इसुर हुर्र्या फुर्र्या ह्वैगी
पैरणऊ बैठीगी पीताम्बर धोती
पैरणऊ बैठीगी मुंडमा मुंड्यासी
कनु पैरी इसुर सिर्माग मुकुट
कनु पैरी इसुर सीरू कंकड़े
बरात का रिसासौ पंहुचना
सिसासौउ मांग ऐग्ये बरात
हिमंत ऋषि आदर करन
आदर करन बांवळी पकड़णा
भारद्वाज रिसी आदर करन
बशिष्ठ रिसी आदर करन
अंग्लीसा रिसी आदर करन
गौतम रिसी आदर करन
सौनक रिसी आदर करन
हिमंत रिसी आदर करन
सात सप्त रिसी आदर करन
गौरी शंकर की कुंडली
द्यालो रिसियुनं कन्या को दान
गौरी शंकर की जुगती जुड़ी गे
गौरी शंकरन लाया उड़ेली
भाई बिनसरन लाया उड़ैल्ये
लाटू केदारून लाया उड़ैल्ये
गौरी का वेदी में बैठना
गौरा इसुर कु ब्यौ च जी
अब गौरा वेदी बैठाला जी
गौरा इसुर कु ब्यौ च जी
पैली कुनाली फिरावा जी
गौरा इसुर कु ब्यौ च जी
बरातौ वापस जाणो तयार हूण
रिषासौ ह्वेगे सौ पात पिठाई
पंचनाम द्यब्तों की पात पिठाई
रिषासौ ह्वेगे सी पान सुपारी
बरात वापसी
कविलाश पैटीग्ये इसुर बरात
आज मेरि माता क्या बैनू ब्वलानि
सूणा म्यारा पूतोऊ तू म्यरी बारता
नंदा कू सौर्यास जांदी बगत दुखी होण
कनकै छ्वड़ोलो मी रिसासौ को मैत
कनकै छ्वड़ोलो मी माता जी मैणा
कनकै छ्वड़ोलो मी पिताजी हेमंत
कनकै छ्वड़ोलो मी सातपांच बैण्यो
कनकै छ्वड़ोलो मी संग की सहेल्यो
कनकै छ्वड़ोलो मी नौख्म्बा डंडऴयाळी
नौखंबा डंडऴयाळी च चौखंबा च द्वारे
कनकै छ्वड़ोलो मी नौ नाला मंगरी
कनकै छ्वड़ोलो मी गोदी का भतीजा
कनकै छ्वड़ोलो मी रीठामाळी चौक
कनकै छ्वड़ोलो मी मैन्यु लीगो गोदी
कनकै छ्वड़ोलो मी घड़ेली दगड़ी
कनकै छ्वड़ोलो मी भौज्याणु संग
मेघासुर वध
[नंदा जात जागर में कई अलग अलग कहानियाँ जुडी हैं। कई क्षेत्रों में दैंतों का संहार की कहानियाँ भी नंदा जात गीतों/जाद्रों में गाये जाते हैं। यथा]
आज कैली मातान दैंतुं संघार ए
मट्टी जन दैंत को मॉस झड़ी गे
ढुंग्युं जन दैंतों को हाड झड़ी गे
खोड़ जन दैंतों का रूमा झड़ी गे
नदी जन दैंतों खून बगी गे
मेघासुर को वध करी गे
नंदा जात जागर -फड़कि (भाग)-18
नंदा को मायके की याद आना
[गढ़वाल में पूस महीना मायके का महीना (मैतुड़ा मैना ) कहलाया जाता है जब लडकियाँ ससुरास से अपने मायके आती हैं , नंदा जब ब्याह कर कैलाश आई तो उसे कैलास का मौसम रास नहीं आया और में है।]
आजकालै की ऋतू यो दखिणी परब
भगवान को ह्वेगै दखिण को पैतु
माथलोक नग सी नाग्लोग ह्वैग्या
सागर की पंछ्यों सी भाबर ह्वैग्यी
डांडा को वो पालसी भबर ह्वै गैयी
सौरास की ब्वारी मैतुड़ा ह्वैग्यी
ह्युंवाळी नंदा तू सौरास ब्वारी
ह्युंवाळी नंदा सी भौं कारुणा रवैनि
सात पांच बैण्योमा मी ह्वोई कुलाड़ी
मैणी दीलि बुबान उच्चा कविलासे
याई कविलाश सु काका नि बासन
ह्युंवार्यों को डन्कार बीस की फुंकारे
ह्युंवो कु वा डस्याण ह्युंवो कु ढक्योणै
भांग घोटी घोटी मेरी हथगुळी बश्येग्ये
धूनु फूकी फूकी म्येरी बठुंणी फूलिगे
बेटी ब्वारी सब्बी सी मैत्वाड़ा ऐग्या
मैंयी रैयि गैयि सु सौरासै ब्वारि
क्वोउ मैती मीन्तै बल ऋतू जाणालो
ये पापी कैलास ता रितु नि जाणेदी
ऋतू नि जाणेनी ता वाखा नि सुण्येनी
ओ बचनु औन ता ह्वा गिरिजा ग्वाले
नंदा जात जागर का अंतिम भाग -फड़कि (भाग)-19
नंदा को का मायका की याद और कैलाश वर्णन
मूल संकलन: डा नन्द किशोर हटवाल
इंटरनेट प्रस्तुती: भीष्म कुकरेती
लुप लुप्या कुयाड़ो छ झुमा झुम्या पाणि
मामली दहयाण छ टांटरि ढक्याणे
ह्यूं को फुंकार च विष को डन्कारे
कनी कीं रौल मि उंचा हिमांचले
नीचा पाटो लैंचो मि दूद भात खैंचो
बड़ो ह्वेइं जाया म्येरि मैति रिस्युंगौं
माता की कुलाड़ी मी पिटा की कुलाडी
जन पापी रैहोला मी कैलाश बियावों
वार चान पान मी अन्धेघोर राज
औनो चानो जाने मी गिरी कबिलास
रिषाशौ में उत्सव आयोजन और मायके जाने हेतु नंदा -शिव संवाद
चार दिनों स्वामी मी मैतुड़ा जायनु
म्यार मैत ऋषाशौं कारिज उर्युं च
म्यार मैत ऋषाशौं ता बुलावा आयुं च
व स्वामी हंकार वै बोन लागे बातें
ब्याळो परिभात ह्वे कैसो मैत त्योरे
स्यूणी को च्वपण तू मैल्याण नि देणी
वा स्वामी मनाइ करणा छई
गवरी सरील वै भरी भरी ऐ गे
एक आंखी सौण छ यक आंखी भादौ
हांडी से उमाळ छ डिबलो से गाजे
आंसू ढोळणि त रंग कैसो ह्वे
चार दिनों स्वामी मी मैतुड़ा जायनु
मायके में नंदा के भीतर पैदा हुयी संवेदना
तू बि ह्वोलि माता तू मैता की धियाण
प्यौट भौरी खाली तू गात भौरी लाली
त्वैनी द्योला गौरा सू भौरि जल
धूध कु वा नायेणू धूध को च खाणों
त्वै नि द्योला यु नौणी को च्वपड़
त्वै नि द्याला माता ये घ्यू को ग्वनक
मैत सुवा घियाण क्या खानी क्या लानी
तुबि माता तू कंयारू ना ह्वोया
कबि धारों जानि बेयि कबि गैरू जानि
कबी पाताल्यों जानि क्बी गेरी गेरयों
नंदा जात यात्रा में पड़ाव पर नंदा जात का स्वागत गीत
दुबाला मैत्योंगी तू दुबाली धियाण
त्येउणि बिछायुं बेयि ये क्वोट कम्बल
त्यरो भाई लाटू च तेरु बुलालो ख्येद्वालो
त्येरो भाइ घन्याल बेयि दगडा आयुं
जाऊ म्येरी बेयि तू छांटो छांटो केयिं
पंचनाम द्यब्तों जातरू आया च
क्वोटी बार मांगो यो दिवा जगोलो
क्वोटी बार मांग यो जैकार ह्वैगे
क्वोटी बार मांग यो नंदा की छंतोली
Nanda Jat Jagar : A Great Concern Over Foeticides
नंदा ज़ात जागर : महिला -पुरुष अनुपात के प्रति सम्वेदनशीलता
Bhishma Kukreti
Many new generation young people take folk literature as useless culture and never cares for the real values hidden in those people sayings by means of proverbs, folk stories, folk songs and Jagar.
Today, all over India, anthropologists, women activists, social activists and government agencies are worried over foeticides in many places and the decrease in female child ratio against male children. In most of the cases, it is found that the fetus is destroyed after detecting the female embryo in pregnancy .this custom will bring many social and economical problems in India .
Our forefathers were very much aware about equal balance between male and female ratio and that is why our society created the following Jagar while worshiping Nanda Jat in her Jatra. This Jagar is performed when Nanda deity starts her journey to her in laws house from her Mayaka. The song of Jagar is very tender and women folk start weeping listening this heart breaking Jagar song .
The special characteristic of this Jagar song is that Nanda Devi curses her Mayka that they will not have female human beings and female calves because the male oppressed the females .. This Jagar song is to preach people not to oppress females and be aware about equal male –female child ratio.
नंदा ज़ात जागर
सटेडि पुंगडि मैत्यों की सुखा पोड़ी जैन
झंगरेडी पुंगड़यों मैत्यों की झड्या ह्व़े जैन
कोदाड़ी पुंगडों मैत्यों की चाली जामी जैन
गेंवाड़ी पुंगड़ी मैत्यों की फ्यूंळी फूली जैन
भैसों का खरीक मैत्यों का बागी इ बागी ह्वेन
गायों का गुठ्यार मैत्यों का बोड़ इ बोड़ ह्वेन
भायों की संतान मैत्यों की नौनि ना ह्वेन
सिसुर जाण की बेला कैकु ना ऐन
Reference : Abodh Bandh Bahuguna :Dhunyal
Copyright @ Bhishma Kukreti
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