डा. बलबीर सिंह रावत
पर्वतीय भोजन में मंडुये का बड़ा महत्व रहा है. मंडुआ खरीफ में पैदा होने वाला अनाज है , यह गोल, गहरे भूरे रंग का दाना है , जिसे पीस कर उपयोग में लाया जाता है. इसके आटे से चाहे शुद्ध मंडुए की रोटी बना लो, या गेहूं/जो के आटे के साथ मिला कर ढबडी रोटी बना लो या फिर , गेहू के आटे की रोटी बेल कर उसके बीच में मंडुए के आटे का गोला रख फिर से गोला बना कर लिस्स्वा रोटी बना लो . अगर घर में कुटा हुआ चावल, झंगोरा खत्म हो गया हो या जल्दे हो तो तुरंत बाड़ी बना कर , रोटी और भात , दोनों के विकल्प के रूप में, दाल या फाणे / चेंसे, जो भी उपलब्ध हो , के साथ चाव से खा लो.
मंडुये में प्रोटीन (7.6gm ); वासा (1.5gm ) , कार्बोहाइड्रेट (88 gm ), कैल्सियम (370 mg ) , विटामिन A ( 0.48mg), थियामिन बी1(0.33mg) , रिबोफ्लेविन B 2 (0.11mg ), नियासिन (1.2mg ) और फाइबर (3g) होता है
बाडी बनाना एक लम्बे अभ्यास के बाद प्राप्त हुनर है, इसे न तो अति गीला, और न ही अति सख्त होना चाहिए, इसमें कोई भी किसी भी आकार की गुठलियाँ( गुर्मुलियाँ) कतई नहीं होनी चाहिये. और इसके गोले इतने बड़े होने चाहिएं की एक गरम गरम गोले को दाल / फाने से लपेट कर तुरंत मुहं में रख कर निगला जा सके। बाडी चबाया नहीं जाता, यह निगला जाता है. त्वरित भोजन जो ठहरा , असली फ़ास्ट फ़ूड।
बाड़ी बनाने की सही विधि जानने के लिए या तो किसी जानकार से सीखना पड़ता है या मार्गदर्शन ले कर कुछ अभ्यास करना पड़ता है। पाहिले सारी सामग्री इकठ्ठा करनी होती है, जैसे सही आकार की कढाई ,, एक दबला जो या तो सवा/डेढ़ इंच व्यास की लकड़ी से दो फीट लंबा हो, न हो तो लकड़ी के बेलन से भी काम चलाया जा सकता है,या फिर स्टील की मोटी करछी, मंडुये का छाना हुआ आटा ( मोटा पिसा हुआ ठीक रहता है ) प्रति व्यक्ति १५० ग्राम के हिसाब से, कढाई पकड़ने के लिये ओवन ग्लब या कई तहों में मोड़ा हुआ मोटे कपडे का हन्बेड़ा। कढाई में, प्रति व्यक्ति २०० एम् एल के हिसाब से पानी खौलाइये, जब उबलना शुरू होने वाला हो तो कुछ आटा उसके ऊपर बुरकिये., आटा एक पतली तह में फ़ैल जाएगा और जैसे ही इस परत को फाड़ कर बुलबुले उठने लगें , तुरन्त आंच धीमी कर दीजिये और एक हाथ से आट़ा धीरे धीरे डालते रहिये दुसरे से घुमाते राहिये. जब सारा आटा डल जाय , तुरंत कढाई को मजबूती से पकड़ कर खूब जोर जोर से घोटिये, ताकि बाडी समरस हो जाय और उसमे कोरे आटे की कोए गुठली न रह जांय , इसी लिए लकडी का दबला सबसे उपयुक्त होता है। बाडी तभी बनाना चाहिए जब खाने वाले तैयार हों, बना कर रखने पर इसका स्वाद में अंतर आने लगता है .
परोसने के लिए , कभी बनाने वाली गृहणी एक कटोरे में पानी ले कर पूरी हथेली गीली करके गरम गरम बाडी के पिंड बना कर परोसती थीं , बाद में पानी में डुबोई करछी से पिंडे बनाए जाते रहे, अब आइस क्रीम स्कूप से काम लिया जाता है जो एक ही आकार के गोले बना सकता है , इन्ही गोलों को जब रागी बॉल्स कहते हैं तब यह पांच सितारी भोजन बनने की क्षमता रखता है।
कुछ लोग आटे को भून कर बाडी बनाना पसंद करते हैं , तो कई जगहों पर मीठा बाडी भी बनाता है. मंडुए का मीठा सत्तू भी बनाया जाता है , जिसे उबलते पाने में मिला कर बाडी बना कर शौक से खाया जाता है।
मंडुआ के आटे से बच्चों के भोजन
बच्चों के लिए मंडूये के आटे से कई व्यंजन बनते हैं
मंडुये से रोटी , डोसा , खिचड़ी, केक , पराठे , बनाये जाते हैं
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