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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, April 8, 2013

नाइट वाचमैन जब यमराज ह्वे जांद


गढ़वाली हास्य -व्यंग्य 
सौज सौज मा मजाक मसखरी 
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर छ्वीं 
                               नाइट वाचमैन जब  यमराज ह्वे जांद  

                                     चबोड़्या - चखन्यौर्याभीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )
घरवळि बुलण मिस्याइ,"तुमर दगड़ रैक क्या पाइ? तुम से बढ़िया तो वी ठीक छौ पण बुबा जीन बोलि बल वो गाळिदिवा छौ।"
मीन पूछ ," अरे आज किलै वु  गाळिदिवा किलै याद आइ।"
 घरवळिन रहस्य ख्वाल," अजकाल गाळि दीणो जुग  ऐ गे तो तुम से तो अपण बच्चों तै   गाळि नि दियान्दि तो तुम कै हैंक तैं क्या गाळि देल्या!"
मीन पूछ," ह्यां गाळि देकि क्या ह्वे जांदो?"
  घरवळिन ब्वाल," अब मनोरी ज्योर ग्राम प्रधान होंदा . तुम ग्राम प्रधान बणदा बणदा रै जांदा अर फिर तुम रोज मनोरी ज्योर पर भगार कम लगांदा अर बीच संजैत  चौकम गाऴयूं बमगोळा  चुलाणा  रौंदा।"
मीन ब्वाल," कुजाण क्या बुलणी छे धौं!"
वींन धुन मा ब्वाल," तुम मनोरी ज्योरू बौ सूनी तैं सुणान्दा बल वा सूनी त सलाणी (दक्षिण पौड़ी गढ़वाल का )नी च वा त रमोल्ट्या (उत्तरकाशी का ) च अर इन मा मनोरी ज्योरू ख़ास चमचा चिरड़े जांदा।"
मीन ,टोक "पण .."
घरवळि बुल्दि गे," वो मनोरी ज्योरू का चमचा तुमकुण मौत का सौदागर करिक भटयाँदा अर तुम इथगा गुस्सा  होंदा कि .."
मीन पूछ," अरे पण मेखुण क्वी मौत का सौदागर किलै बुल्दा?"
वींन  ब्वाल," किलै कि तुमन कथगा इ चिनख अर कुखुड़ मारि छा।"
मीन बोलि," पण .."
  घरवळि बुलण शुरू कार," मौत का सौदागर से तुम तै गुस्सा ऐ जांदा अर तुम मनोरी ज्योरू कुण कमीना , कुत्ता बुल्दां।"
 मीन बोल," कुत्ता , कमीना ?"
घरवळिन अगनै ब्वाल," फिर जब मनोरी ज्योरू जीब अयीं होन्दि तो तुम मनोरी ज्योरू खुण मौनी बाबा , गूंगा , सिल्युं जिबड़ वाळ कुत्ता बुल्दा।"
मीन ब्वाल।" सिल्युं जिबडौ कुत्ता?"
वीनं ब्वाल," हाँ कुत्ता , स्याळ आदि।"
मीन पूछ," तो मनोरी बादा तै गुस्सा नि आलो?"
घरवळिन ब्वाल, "वूं तैं त ना पण चमचों पर आग लगी जान्दि अर वो तुम तै खुले आम बदसूरत, बदखोर, बदतमीज बुलण बिसे जांदा।"
मीन पूछ," फिर ?"
वीनं ब्वाल, फिर तुम मनोरी ज्योरू तैं सूनी बौ का नाइट वाचमैन,  की उपाधि  दे दींदा।"
मीन ब्वाल,' ये मेरी ब्वै?"
 घरवळिन ब्वाल," फिर मनोरी ज्योरू पंच तुम तै सुंगर , स्याळ, कमीना, यमराज की उपाधि दींदा।"
मीन ब्वाल," इन मा तो ...?"
  वीनं ब्वाल," इन मा तुम मनोरी ज्योरू तैं जनखा , छक्का , करिक भट्यान्दा। फिर पंचायतम  , पंद्यरम , पुंगड़म, चौबटम, बीच रस्ताम, चौकम, भीड़म (दीवाल) गां मा सबि जगा  गाळी -गलौज चलणी रौन्दि  "
मीन ब्वाल," अरे जब द्वी बड़ा लोग आपस मा खुले आम अपशब्द, अशिष्ट  का उपयोग कारल  तो समाज मा गंदगी फैलली कि ना?"
  घरवळिन ब्वाल," हाँ  बड़ा लोग जन व्यवहार करदन  तो समाज बि ऊनि व्यवहार करण बिसे जांद।"
मीन पूछ," पण या गाळि बात तू आज किलै करणी छे?"
वीनं रहस्य ख्वाल," अरे अचकाल जु कौंग्रेस अर भाजपा मा अपशब्दों प्रतियोगिता चलणी च तो वां से अवश्य लगद कि अब समाज मा अपशब्दों बाढ़ आण वाळ च।"
                  


Copyright @ Bhishma Kukreti   6/4/2013

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