गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
सौज सौज मा मजाक मसखरी
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर छ्वीं
भारतौ इंडियानिजेसन अर इंडियौ भारतीयकरण
सौज सौज मा गंभीर छ्वीं
भारतौ इंडियानिजेसन अर इंडियौ भारतीयकरण
(s = आधी अ )
मि, तुम अर हम सबि विरोधाभाषम जिन्दगी काटदवां तो हमर करतब बि विरोधाभाषी होंदन।
अब द्याखो ना कुछ हिन्दू संगठन ऍफ़ ऐम हुसैन की सरस्वती देवी कि अध -नांगि चित्र देखिक बितकि गेन बल हमारि देवी नंगी कनै ह्वे सकदी! जब कि यी नादान हिंदु संगठन बिसरि गेन बल जु बि निखालिस हिंदु-बौद्ध -जैन चित्र या ऐतिहासिक इमारतों -भवनों माँ देवी दिवतौं चित्र छन वो सब नंगी या अधनंगी छन। हमर देवी -दिवतौंन झुला -लारा -कपड़ा तो मुग़ल काल का चिरकारों बदौलत पैर या नामी चित्रकार रवि वर्मा का वजै से हमार देवी दिवतौंन कपड़ा पैरिन। मुग़ल या राजपूत शैली की पेंटिंग/चित्रों देखिक अज्ञानी हिंदु संगठन बेवकूफी मा ऍफ़ ऐम हुसैन का विरोध करण बिसेन निथर सही माने मा ऍफ़ ऐम हुसैनन त हिंदुस्थानी देवी सरस्वती (जैं तैं पुराणि पेंटिंगों मा मुसलमानी कपड़ा पैरे गे छा) को जम्बूद्वीपीकरण करि छौ। भारत या जम्बूद्वीप का देवी दिवता अळगौ गात का कपड़ा नि पैरदा छा।
अचकाल का कलेंडरों मा हमर देवी पैरदन अर बिलौज ब्रिटिश संस्कृति की दें च ना की भारतीय संस्कृति की पछ्याणक अर बिचारा ऍफ़ ऐम हुसैन तैं असली जम्बुद्वीपी संस्कृति दिखाणो ऐवज मा देश निकाळा भुगतण पोड़। जो इंडियानिजेसन को भारतीयकरण करणों छौ वैन हिंदुओं मार खाइ।
असल मा आज भारत मा क्षेत्रीय संस्कृति (कलाएं -आर्ट ) को भारतीयकरण होणु च अर भैर देसुं संस्कृति को इंडियानिजेसन होणु च।
सम्बत /शक पैथर चलि गेन अर सन/इशवी का कलेंडर आज इंडियानिजेसन का बदौलत हम तै दिन, बार साल की जानकारी दीणु च। छ कै कट्टरपंथी संगठन मा इथगा तागत जो सम्बत या शक कलेंडर की हिमायत कारो?
आज पानी पूरी-गोल गप्पा, मेधू बड़ा, डोसा, इडली , साम्भर जन क्षेत्रीय खाणों (खाण्क संस्कृति अंग होंद ) भारतीयकरण ह्वे ग्यायि अर दगड़म तन्दूरी रुटि, तन्दूरी चिकन, दाल मखनी को भी हिन्दुस्तानिकरण ह्वे इ ग्यायि।
जल जीरा अब आर्कियोलौजिकल सर्वे वाळु कुण खोज का विषय ह्वे गे तो कोला जन पेय पदार्थों सम्पूर्ण ढंग से इंडियानिजेसन ह्वे ग्याइ तो ब्रेड बटर बि अब इन्डियन फोक फ़ूड मा गणे जांदो।
कबि गढ़वाल मा ढोल बजाण पर बड़ो बबाल ह्वे होलु पण आज तो ढोल भारतीय संस्कृति की असली पछ्याणक च। एक समौ पर ढोल यवन संस्कृति क पछ्याणक छौ पण फिर ढोल को भी हिन्दुस्तानीकरण ह्वे जन नथुली -फूल आदि को हिन्दुस्तानिकरण सत्रहवीं सदी मा ह्वे। एक बगत छौ जब नथुली-नाकौ फूल मुसलमानी संस्कृति को द्योतक छौ तो आज हिंदुवों मा नथुली-नाकौ फूल सुहाग को परिचायक च।
भारत मा चौपाल संस्कृति अबि बि च पण अब फेस बुक कल्चर को इंडियानिजेसन ह्वे ग्याइ अर चौपाल तैं ऑफ लाइन फेस बुक बुल्याणो समौ ऐ गे।
पैल जब बि भारतीय किसान का चित्र (इमेज ) पैदा करण ह्वावो तो किसाण तैं अदा धोती अर अळग नंगी दिखांदा छा इन्डियन फार्मर को इंडियानिजेसन ह्वे ग्यायि अब किसान पेंटिंगो मा जीन अर टी शर्ट मा दिखाए जांद। कुछ समौ बाद क्वी बामपंथी या क्वी मुसलमान पेंटर इन्डियन फार्मर तै अदा धोती अर मथिन नंगी दिखालो तो बजरंग दल या कट्टर हिंदु वै पेंटर तै जरूर देस निकाला कारल। टी शर्ट अर जीन्स को इंडियानिजेसन ह्वे गे। अचकाल मुसलमान नौनी टी शर्ट अर जीन्स माँ ऑफिसम काम करदी मीलि जांदन अर ड्यार जांद दें बुर्का पैरदन पण जो क्वी पेंटर अपण पेंटिंग मा कै मुसलमानी नौनी तैं जीन्स -टी शर्ट मा दिखालो तो कट्टर पंथी मुसलमान हड़ताल करण मा पैथर नि राला। वो अलग बात च कि यी कट्टर पंथी मुसलमान अफु हडताल मा या मोर्चा मा जीन्स -टी शर्ट पैरिक ही शरीक ह्वाला।
भारतम जनानी पंजाबी ड्रेस को भारतीयकरण ह्वे ग्यायि अब जनानी पंजाबी ड्रेस हिन्दू संस्कृति क ख़ास पछ्याणक च पण असल मा जनानी पंजाबी ड्रेस मुग़ल काल की ही देन च। हम ब्यौ छोड़िक अब पगड़ी नि पैरदा पण पगड़ी हमारि आन शान का वास्ता जूमला बि च जन कि पगड़ी उछालना अदि। वा अलग बात च एक समौ मा इस्लामिक राज मा पगड़ी को हिन्दुस्तानीकरण ह्वे छौ।
अचकाल भारतीय फिल्म अर विज्ञापन भारतीयकरण अर इंडियानिजेसन का मुख्य माध्यम छन। पैल मुखजवानी माध्यम हिन्दुस्तानीकरण करदो छौ।
अर संस्कृति मा विरोधाभास या च बल हम एक तरफ संस्कृति बचाणो बात करदां अर दगड़म अफु संस्कृति बि तोड़दवां। हम संस्कृति तैं मुर्दा पथर माणदवां, जब कि संस्कृति बगदी नदी च , बगदी हवा च।
Copyright @ Bhishma Kukreti 3 /4/2013
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