Garhwali Poem by Sudesh Bhatt
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मेरी छाळी आंख्यु क
कौज्याळ पाणी मा
गदनु बसकल्या बंगणु च
जिकुडी मा उमाळ यैगे
खुद गौं की लगंणी च
मेरी छाळी आंख्यु क
कौज्याळ पांणी मा
कंदड्युं मा घुंघ्याट जंदर्यु की
घस्यांद बल्दु की घंडुली सुणेणी च
हरच्यां गोरु सी बसकल्या कुयडी मा
गोर खुज्यांण की धै सुंण्याणी च
मेरी छाळी आंख्युं क
कौज्याळ पांणी मा
बाळपन की याद जिकुडी मा
रौल्युं ढंडियुं की याद आंणी च
स्कूल नी जांण जौळ मा बैठंण कुन
ऊं दिनु की याद आंणी च
मेरी छाळी आंख्यु क
कौज्याळ पांणी मा
कबी आम की डाळी हलांण
कबी मैंणु छ्वंळ की याद आणी च
रुड्या घामु मा डबखा डबखी
हिंसर किंग्वडु की याद आंणी च
मेरी छाळी आंख्युं क
कौज्याळ पांणी .....
सर्वाधिकार रक्षित @सुदेश भट्ट"दगड्या"
कौज्याळ पाणी मा
गदनु बसकल्या बंगणु च
जिकुडी मा उमाळ यैगे
खुद गौं की लगंणी च
मेरी छाळी आंख्यु क
कौज्याळ पांणी मा
कंदड्युं मा घुंघ्याट जंदर्यु की
घस्यांद बल्दु की घंडुली सुणेणी च
हरच्यां गोरु सी बसकल्या कुयडी मा
गोर खुज्यांण की धै सुंण्याणी च
मेरी छाळी आंख्युं क
कौज्याळ पांणी मा
बाळपन की याद जिकुडी मा
रौल्युं ढंडियुं की याद आंणी च
स्कूल नी जांण जौळ मा बैठंण कुन
ऊं दिनु की याद आंणी च
मेरी छाळी आंख्यु क
कौज्याळ पांणी मा
कबी आम की डाळी हलांण
कबी मैंणु छ्वंळ की याद आणी च
रुड्या घामु मा डबखा डबखी
हिंसर किंग्वडु की याद आंणी च
मेरी छाळी आंख्युं क
कौज्याळ पांणी .....
सर्वाधिकार रक्षित @सुदेश भट्ट"दगड्या"
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