"निपल्टु "
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हर्चिगेनी डाँड्यूं की सुरीली
नि दिखेणी मोरुयुं क घिंडुड़ी
नि सुनेनी चखुलों क चुचयाट
नि हूंद अब विनसर म खर्खराट
नि दिखेणी मोरुयुं क घिंडुड़ी
नि सुनेनी चखुलों क चुचयाट
नि हूंद अब विनसर म खर्खराट
एख रैगे रौला गद्न्यु क सुस्याट
जंगली सुअर बंदरु की चौखायट
डंडेली तिवरी सबी ह्वयेगी खंद् वार
पुंगड़ी पटली बाँझे गयेनी स्यार
जंगली सुअर बंदरु की चौखायट
डंडेली तिवरी सबी ह्वयेगी खंद्
पुंगड़ी पटली बाँझे गयेनी स्यार
गौ क गौ ह्यवगेनी खाली
पाणी जनि प्रदेश म ब्वग्नि च जवा नी
बच्या खुच्या गढ़ क द्वार पैर पसा री
बूढ़ बुढया वख काना छी जगवली
पाणी जनि प्रदेश म ब्वग्नि च जवा
बच्या खुच्या गढ़ क द्वार पैर पसा
बूढ़ बुढया वख काना छी जगवली
क्यांकु स्वाद अर कैकी रस्याण
कैकु रूडी भूड़ी कैकु बस्ग्याल
छोड़ीयाली गोरु बछरू खेती बाड़ी
रात दिन बैठयाँ छि टीवी अगाड़ी
कैकु रूडी भूड़ी कैकु बस्ग्याल
छोड़ीयाली गोरु बछरू खेती बाड़ी
रात दिन बैठयाँ छि टीवी अगाड़ी
जुगराज रै सरकार नै स्कीम लाणा कु
द्वी रुपया गेहूँ तीन रुपया चौ ल् खाड़ा कु
मनरेगा अर प्रधानी कु पैसा छि का म आणा
लैरे पैरे क रोज छी बाजार जाणा
द्वी रुपया गेहूँ तीन रुपया चौ
मनरेगा अर प्रधानी कु पैसा छि का
लैरे पैरे क रोज छी बाजार जाणा
दिली म बैठीक उत्तराखंडी छि चि ल्लाणा
अपड़ी भाषा बोली अर संस्कृति थै बचाणा
नै जनरेशन क नै सोच कख छि जाणा
सभी धाणी बिसराई याल नि छि चिता डा स्वरचित - जय सिंह रावत "जसकोटी
अपड़ी भाषा बोली अर संस्कृति थै
नै जनरेशन क नै सोच कख छि जाणा
सभी धाणी बिसराई याल नि छि चिता
“गढ़भूमि”
गढ़ भूमि आज मि धै च लगाणी
जन्मभूमि छोड़ि क कख छै तु जाणी
डांडी काँठी दीणी छि मि रैबार
छोड़ तैं बिराणी भूमि बौड़ी जा घा र
हवा पाणी ल तर बणीच जिकुड़ी
जन्मभूमि छोड़ी क कख छै तू जाणी
गाल भटुली खुटियुं म पराज
भुवराणी च आग नि समलु आज
ठंडी बथोें छोड़ी रै त्वे चितलि कराणी
जन्मभूमि छोड़ी क कख छै तू जाणी
बसंत फुल्यार गढ़ बणीच स्वाणी
मैता ऐगेनी भग्यानी बेटी-ब्वारी
गढ़ु क मौल्यार कनि मैकू सानी
जन्मभूमि छोड़ी क कख छै तू जाणी
स्वरचित - जय सिंह रावत "जसकोटी
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बसगाळ
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गड गड गगराट कैरी सरगा तु उरईजा
रिम झिम झिमलाट कैरी बरखा तु ऐजा
तप्पी क ह्वयेगेनी पुंगड़ी अगेली चिंगारी
डाली बोटि सूखी गेनी तीसा क मारी
कन निठुर ह्वे तु सरगा त्वे क्याजी हवेई
तेरी ई ज़िद्दी म सरगा हैरीयली ख्वेग्याई
नौला पन्देरा छुया सबि सूखि गेनी
गौरु भैंसा मनखि सबी त्वेकू तरसिगेनी
नि द्याख रूड़ी इन जनि ऐंसु क साल
चोली त्वे धै लगाणी पाणी क तिसाल
लारा लत्ता कुसयणा ह्वेगी भांडा छि रीता
सरगा त्वे असगार लग्याँ जनि हम पर बीता
तरसै की कनि छै तु कैरीक अकाल
गौउँ तेरी क्याच सरगा ऐंसू बस्गाळ
स्वरचित - जय सिंह रावत "जसकोटी
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खत्यां गौ क
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खत्यां गौ क
खत्यां मनखी
कतै नीच
हर्का फर्की
ठेल्दा ठेल्दा
हम ह्वेग्यो दुखी
अजी बि यूंकि
फसोरा पसौड़
जख्या तकि। ...... खत्यां ..... ..
खत्यां मनखी
कतै नीच
हर्का फर्की
ठेल्दा ठेल्दा
हम ह्वेग्यो दुखी
अजी बि यूंकि
फसोरा पसौड़
जख्या तकि। ...... खत्यां .....
वल्या पल्या गौं म
मचियुं च बिभ्डाट
चौतर्फी हयूं
युंकू छब्लाट
जागा रे जागा
उत्तण्डखंड वला
किलै करि तुमरि
सुई पटाक। खत्यां गौं .......
मचियुं च बिभ्डाट
चौतर्फी हयूं
युंकू छब्लाट
जागा रे जागा
उत्तण्डखंड वला
किलै करि तुमरि
सुई पटाक। खत्यां गौं .......
देश विदेश भैरा मनखी
हमरा ख्वाल आणा तड़की
उबरा भितरा छनि गुठ्यार
यूंकि हूणी मौज बहार
हवा पाणी जड़ी बूटी
सब्या ढाणी चब्बट कन्ना छी
तैबी खत्यां करा
कतै नि चिताणा छी। खत्यां गौ .....
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गढपुरै हाल
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गुरु जी किलै लग्यां हमरा पिछणै
तुम गढ़पुर कुकुरू थै छुल्याण फर
किलै तुम मजबूर कना हमथैं
अपणी कलमी हथियार उठाण फर
गढ़पुर क हाल कैका नि जड्या छी
वल्या पल्या खोलीयुं म कांडा लग्यां छि
गिणती क द्वी चार मनखी छी
वख ज्यूँदा जाँदा
क्वी कम नि चितांदु अपुतै
बड्या छी वख भारत पाकिस्तानी वीर
क्वी कैकु वाडु सरकाणु
क्वी भग्गु बोडा क कूड़ी हथियाणु
क्वी भेळा पाखों क
गारू माटू चुराणु
भारी मवर्णी बीतणी हुयीं च यूँखुड़ी
चिलांग जन हतयांग्स हुयी च यूंकि जिकुड़ी
न अड़ोस न पड़ोस कु ख्याल
न नाता रिश्तों कु संस्कार
गुरु जी यख त
जन्मजन्मांतर क बैरी हुयां छी
एक दुसरा ल्वेखुला कु प्यासी हुयां छी
सुबेर ब्याखुनि ल्वेखाल कंना छी
राति बिर्ती बि एक दुसरा कुड़ियुं
थै खूब घंटयाणा छी
इन छी म्यारा गढ़पुरै हाल
सुधि लग्या तुम कच्च कच्च पिछ्नै
चला सबि गढ़पुर की धार
जख जीवन कु होलु शांति से उद्धार।
सर्वाधिकार : जयसिंह रावत 'जसकोटि'
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