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हौंस इ हौंस मा समळौण ::: भीष्म कुकरेती
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जब बि बरसात ऋतू या घनघोर बरसात शुरू हूंद मि तै द्वी जीव याद ऐ जांदन। जैंगण अर बुर्या खौड़।
बुर्या खौड़ का जलड रात चकदन अर कवि कालीदासन बि अपण नाटकों मा बुर्या खौड़ौ बिरतान्त दियुं च। रत्यां बुर्या खौड़ौ जलड़ दूर से चमकद छा तो बचपन मा बड़ो अचर्ज हूंद छौ कि ये घासक जलड़ों पर मिट्टी तेल कखन आयी अर मट्टी तेल आयी त आयी पर जळाइ कैन च। जब हम तै बुर्या खौड़ मा तेल कखन आयी अर तेल जळाण वळो पता अपण बूड़ बुड्यों से बि नि चलदो छौ तो हम बच्चा लोक समझ जांद छा कि भगवान ऎ ह्वाल , वैन तेल डाळी होलु अर फिर माचिसन जळै होलु। हम छूट छुटा गोर मांगन कबि कबि बुर्या घासक जलड़ लह्यांद छा अर रात जलड़ पर उज्यळ दिखद छा। हम हम बच्चों कुण भगवान हूंद च को सबसे बड़ो परमाण एक परमाण बुर्या खौड़ का जलड़ु चमकण बि छौ। एक सवाल हमेशा अनुत्तरित रौंद छौ कि संसार मा (मतबल ढांगू , डबरालस्यूं अर उदेपुर पट्टी ) मा एक साथ एकी समौ मा कु तेल डळदु अर कु जलड़ुँ पर आग लगान्द। तब समझ मा आंदो छौ बल भगवान सबि हूंद अर वो बड़ा से बड़ा काम बि सौंग ढंग से कौर लींदु। या समज इ मि तै परीक्षा मा भगवान की पूजा करवांदि छे या घणो कुयड़ मा गोर नि दिखयावन तो भगवान पर भरोसा करिक मि गोर खुज्यान्दो छौ।
बरखा बगत रात्यूं मा भगवान की देन या जां से सिद्ध हूंद छौ बल भगवान च अर वो जीव छौ जैंगण। गांव मा त सौण -भादों रात्यूं म कमि दिखेंदि छे किन्तु हैंक सारी -पल्लि सारि अधिक हूंद छा। पल्लि सारी जब हम ग्वाठम रात भगळवटम (मुख्य गुठळौ आण से पैल गोठ जग्वळण ) रौंदा छा तो जैंगण हम बच्चों कुण एक महत्वपूर्ण जीव हूंद छौ।
जैंगण हमकुण कल्पना संसार मा जाणो एक बहुत उम्दा माध्यम छौ। धरती पर हरो उज्यळ लेका यी जीव कनै अचाणचक अवतरित ह्वे गेन ? ये प्रश्न का उत्तर खुज्याण ही हमारो 'समय बिताने के लिए करना है कुछ काम' छौ। जैंगण पकड़णो वास्ता छौंपादौड़ से हम आनंद लींदा छा। फिर पकड़ म आयीं जैंगण को लसलसो शरीर एक अजीब घिन पैदा करदो छौ। पर फिर जैंगण का बाराम सुचण कि कनै पूठ पर द्यू जळ होलु अर तेल कखन ऐ होलु । फिर प्रश्न हूंद थौ बल जैंगण तै आगन तपन नि हूंदी ह्वेलि ? या यदि जैंगणु पूठ पर द्यु न सै टॉर्च होलु तो टॉर्च कनै अर कु जळांद होलु अर टॉर्च बुझाणो कु आंद होलु। जैंगणुं से हमर विश्वास जादू पर पूरो ह्वे जांद छौ।
बाद मा हमन एक मुवावरा सूण थौ बल डूबते को तिनके का सहारा। पर कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात्यूं मा ग्वाठ से गाँव तक भौत सि जगा अन्ध्यरि जगा हि नि छे अपितु कुछ जगौं बाराम धारणा छै बल इखम -तखम भूत रौंदन। इनम रस्ता दिखणो बरीक किरण अर जैगणो हूंद भूत नि आला कु विश्वास ,अंध विश्वास या हौसला तो जैंगणो से ही मिल्दु थौ। जैंगण तब हम बच्चों कुण देवदूत ही साबित हूंद छइ।
जैंगण क्या क्या नि छे हमकुण। भौत कुछ। मनोरंजन बि, रोमांच बि अर कल्पनालोक जाणो माध्यम बि।
बाद मा विज्ञान पढ़न से पता चौल कि बुर्या खौड़ या जैंगणो पूठ पर कुछ केमिकल लोचा से उज्यळ हूंद किन्तु जैंगणु से जु थ्रिल , रोमांच , धुकधुकी हूंदी थै वो आज बि विज्ञानं नि लूठ साक।
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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India , 14/6/ 2017
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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