Garhwali Poem by Diwakar Budakoti
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जख चलनी छै मेरी रिश्ता कि बात दगड्या
उंकू झणि कै दगडि करार करयू छो पैली ।
मि गै उंकि दैळिम् द्यबता नौ कु हल्दू मंगणा कु
पण उंकु कै ओरु नौ कु गुलबंद पेरयू छो पैली ।
जै दुसमन ते खुज्याणू रो मि छामा छामि कैकि
वो पटवारि जि कु रिश्बत खेकी, फरार करयु छो पैली।
वै फर आणि रै हर्पणा सैद भूतू कि बार बार
जो डांडा कांठो कि अंचरियों कु हर्प्यू छो पैली ।
जैकु तमासु दिखणा खुण ,खड़ि धौण कना रै तमसगैर
वेकु अफुखुण फिट जंक जोड़ करयु छो पैली।
लोग वै खुण बुना रै फूक फूकि क मारि रे घटाक
जो बिचरु भितर भैर दूधा कु जलयू छो पैली।
उज्याङ् ख़ैगै क्वी औरि, अर फंसिगै बिचरु "खुदेड़"
अब वो कैम बोलु कि मि च्वट्टा ख़ैकि कलयू छो पैली।
सर्वाधिकार सुरक्षित -:
दिवाकर बुडाकोटी
संगलाकोटी , पौड़ी गढ़वाळ
जख चलनी छै मेरी रिश्ता कि बात दगड्या
उंकू झणि कै दगडि करार करयू छो पैली ।
मि गै उंकि दैळिम् द्यबता नौ कु हल्दू मंगणा कु
पण उंकु कै ओरु नौ कु गुलबंद पेरयू छो पैली ।
जै दुसमन ते खुज्याणू रो मि छामा छामि कैकि
वो पटवारि जि कु रिश्बत खेकी, फरार करयु छो पैली।
वै फर आणि रै हर्पणा सैद भूतू कि बार बार
जो डांडा कांठो कि अंचरियों कु हर्प्यू छो पैली ।
जैकु तमासु दिखणा खुण ,खड़ि धौण कना रै तमसगैर
वेकु अफुखुण फिट जंक जोड़ करयु छो पैली।
लोग वै खुण बुना रै फूक फूकि क मारि रे घटाक
जो बिचरु भितर भैर दूधा कु जलयू छो पैली।
उज्याङ् ख़ैगै क्वी औरि, अर फंसिगै बिचरु "खुदेड़"
अब वो कैम बोलु कि मि च्वट्टा ख़ैकि कलयू छो पैली।
सर्वाधिकार सुरक्षित -:
दिवाकर बुडाकोटी
संगलाकोटी , पौड़ी गढ़वाळ
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