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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 22, 2017

प्रतीक्षालयुं मा प्रतीक्षा प्रसव पीड़ा

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes )
s =आधी अ 
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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती    
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प्रतीक्षा हमर जमनाक एक संस्कृति च , इन्तजार करण  सभ्यताs  अंग च  , प्रतीक्षा मा जीण एक कला बि च। 
               म्यार  प्रतीक्षालय से पैल पैल मुखसौड़ तब ह्वे छे  मि दर्जा छैइम दाखिला लीणो सिलोगी स्कूलम ग्यों।  प्रिंसिपल साब क भैर बड़ो बरामदा छौ अर हरेक क्लास का कमरा बरामदा मा खुल्दा छा। म्यार दगड़ म्यार बडा जी छा जु खुद प्राइवेट टीचर छा तो फॉर्म भरणो समस्या नि छै।  बकैयूं संरक्षक बडा से फॉर्म भरवाणा छा।  बडा जी तै प्रतीक्षा अनुभव नि हूणु छौ किलैकि हौरू फॉर्म भरण म ब्यस्त छा।  हम प्रवेशार्थी भैर खुलाम  एक हैंक से कविता पूछिक परिचय करणा छा तो प्रतीक्षा वेदना को अनुभव नि ह्वे।  प्रतियोगिता /दूसर तै कविता पुछण प्रतीक्षा पीड़ा  नि हूण दीणि छै।  
               फिर जब मि ड्यारा डूण भर्ती हों तो हमर गांव से बस स्टॉप ज्यादा ना सात मील दूर गंगापार सिंगटळि छौ।  उख पूरी रोड प्रतीक्षालय ही छौ।  द्वी तीन  घंटा बाद ऋषिकेशौ कुण बस आंद तो रोड ही प्रतीक्षालय ह्वे सकद छौ।  चाय आदि की द्वी दूकान बि इन्तजारौ दर्द कम करणो आशियाना छा।  1965 से 1974 तक साल भर मा द्वी -तीन दैं सिंगवळिम वेटिंग पेन अनुभव करण इ पड़द छौ।  गेट सिस्टम छौ तो गाडी अपण समौ पर आंद छा अर अमूनन बसूं म जगा नि   मिलदी छै तो प्रतीक्षा अधिक ही हूंद छे।  बस वेटिंग पेन वाकई  मा चाइल्ड डेलिवरी पेन से बड़ो पेनफुल हूंद छौ।  जग्वाळ की पीड़ा स्वील हूणो दर्द से बिंडी दर्दीला !
                       ड्यारा डूनण मा प्रतीक्षालयों मा प्रतीक्षा पीड़ा भौत अनुभव ह्वे पर यादगार अनुभव तो फिल्म हॉल से भैर  जग्वाळ करणो को ही च।  बारा बजिक शो कुण दस या ग्यारा बजि टिकट मिल जावो तो सिनेमा हॉल का बरामदा या भैर चौक मा शो शुरू हूण तक प्रतीक्षा पेन क्या कम पेनफुल हूंद छौ क्या ?
सेल्स लाइन मा छौं तो पिछला चालीस सालों से टूर जीवन को अभिन्न अंग च।  अर बस स्टॉप , रेलवे स्टेशन व एयर पोर्ट पर इंतजारी  दर्द जीवन से से इथगा घुलमिल गे कि जैदिन इन्तजार नि करण पोडद तो इन लगद मि इंडिया मा ना फॉरिन कंट्री मा हूँ।  बस या रेलवे स्टेशनोंमा  जग्वाळ थुड़ा भौत सह्य हूंद।  इखपण तुम कैक बि दगड़ कनि बि , हिंदीम बचळे सकदा पण एयरपोर्टम वेटिंग बड़ी बोरिंग हूंद।  एयरपोर्ट मा सब अपण इगो मुंडम लेक खड़ा या बैठ्यां रौंदन अर तुम युंका दगड़ सुदि मुदि टैम व्यतीत करणो बान छ्वीं नि लगै सकदा।  अर क्वी मिल बि जावो त अंग्रेजी मा ही बात करण पोड़द।   
             अस्प्तालूँ मा प्रतीक्षालय हो बि तबि वु  अस्पताल ही हूंद।  मोळs लड़्डू  पर चांदी लोप लगैक वो चाँदीक लड़्डू नि ह्वे जांद।  उनी अस्प्ताळुं प्रतीक्षालय वाटानुकूलित बि ह्वावन तो बि बीमारी , रोग अर दुःख की हव्वा कम त नि ह्वे सकदी ना। 
    क्वी मोरी गे तो यदि मृतक तै मड़घट लिजाणम बिंडी देरी हो तो या प्रतीक्षा परजामा मा ली जांदी। 
    सरकारी काम कराणो बान साब की प्रतीक्षा बि त पेनिंग ही होंद। 
    अब द्याखौ न फेसबुक मा पोस्ट डाळो अर जब तक क्वी Like अर कमेंट्स नि आवन तो वा प्रतीक्षा कम पेनफुल हूंदक्या ?
   लैंडलाइन टेलीफोन कम्प्लेन करणो बान टेलीफोन पर - आप कतार में हैं , कृपया प्रतीक्षा कीजिये की ध्वनि करैं से बि बिंडी कर्करि लगदी। 
कम्प्यूटर रिस्टोर हूणै प्रतीक्षा त जानलेवा हूंदी। 
जथगा दिन तथगा किस्मो प्रतीक्षा।  शास्त्र बुल्दन बल जु प्रतीक्षा करण सीख जावो ओ ही इंद्रजीत , महावीर  , लालकृष्ण अडवाणी हूंद।  पर जरा लालकृष्ण अडवाणी तै कबि पूछ च बल प्रधान मंत्री बणनो प्रतीक्षा कथगा अधिक दर्दीली हूंद। 

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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,  17 /6/ 2017 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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