Garhwali Poetry by Jai Singh Rawat
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खत्यां गौ क
खत्यां मनखी
कतै नीच
हर्का फर्की
ठेल्दा ठेल्दा
हम ह्वेग्यो दुखी
अजी बि यूंकि
फसोरा पसौड़
जख्या तकि। ...... खत्यां ..... ..
खत्यां मनखी
कतै नीच
हर्का फर्की
ठेल्दा ठेल्दा
हम ह्वेग्यो दुखी
अजी बि यूंकि
फसोरा पसौड़
जख्या तकि। ...... खत्यां .....
वल्या पल्या गौं म
मचियुं च बिभ्डाट
चौतर्फी हयूं
युंकू छब्लाट
जागा रे जागा
उत्तण्डखंड वला
किलै करि तुमरि
सुई पटाक। खत्यां गौं .......
मचियुं च बिभ्डाट
चौतर्फी हयूं
युंकू छब्लाट
जागा रे जागा
उत्तण्डखंड वला
किलै करि तुमरि
सुई पटाक। खत्यां गौं .......
देश विदेश भैरा मनखी
हमरा ख्वाल आणा तड़की
उबरा भितरा छनि गुठ्यार
यूंकि हूणी मौज बहार
हवा पाणी जड़ी बूटी
सब्या ढाणी चब्बट कन्ना छी
तैबी खत्यां करा
कतै नि चिताणा छी। खत्यां गौ .....
Copyright@ Jai Singh Rawat
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