Garhwali Satire by Sunil Thaplyal 'Ghanjir'
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खाडु भुला पिछला दसेक बरसु बटि हैल लगांणु च् गौं मा !
मि आज हि औं डिल्ली बटि ! तबरि कांधा मा हैल धर्यूं खाडु भुला दिखे ग्या ।
-हे भुला खाडु ! आज कख च् भै हैल ?
- पंद्यर माथ भैजी !
तुम सुणावा डिल्ली की इसटोरि ! चांणा ल्हाया छौ मी कु ?
-हब्बै ! अब चांणो जमनु नी छ् .. शर्म आंद चांणा ल्हींण मा ।पर इन बथा कि हैल लगैक् ह्वे जांदु त्यारू गुजरू ?
--भैजी आप भि क्य बात कना छौ ? ये हैला सारा रैंदु त् कब्यकि छपिंडी खये जांदि मेरी ।
बुनाई 'पारटैम' बि करूदु मि !
..हैं ! हैं ..पार्ट टाइम ? हब्बै कन पार टैम ये गडवाल ??
हां भैजी मीम फुरसत नी च बिजां काम छन मीम् ! द्वी चार काम त् मी थै छुडण भि प्वड़दीं !
कखै बात कनु छै भै ?यख पार्ट टाइम क्याच रै ?
.द बोला तुम ...दिन मा तीन घंटा हैल । द्वी घंटा टैक्सीयूं फर कलेंडरी ! ब्याखुनि द्वी घंटा कंट्रोलै दुकनि मा राशन त्वलदु ।
राति जागिरी जी दगड़ थकुली बजांदु अर ढौल पुजदु।
गौं की सगोड़ी पातीयूं मा सिकोटी गार्ड अलग छौं ।
सिक्योरिटी गार्ड मतलब ?
मतलब यो च् भैजी कि ... गूंणी ,बांदर ,सुंगर अटगांदु ! चोरी का कखड़ा खांण वला त् अब राया नि छन पर लोग टी.पी देखंणा मा बिजी रंदन इलै उंकी राशन पांणि डोर टु डोर सर्विस बि देंदु , बड़ा लोखु का बुढ्या ब्वे बाबु की देखरेख करदु ... वगैरा वगैरा ।
अर दादा ब्यो का सीजनु मा ह्या 'वेडिंग मैनेजमेंट' बि द्यखदु ...
लोग ब्यवो अरेंजमैंट सब मीम छोड़ जंदन । चाँदनी , दरी , टैंट खुर्सी टेबल ,तौला भांडा, तैकू , चुल्लों का ढुंगा , लखुड़ु , बेदी स्थल कु निर्माण ,क्याला व आमु का पता , दुबुलु सब मी त् अरेंज करदु । यख तक कि गै दानै बाछि बि सब मेरा जिम्मा । बस इन समझ ल्या कि गौंमा डालि बंटण से ल्हेकर दुहराबाटा लड्डू बटंण तक म्यारू ठ्यका रैंद ।
गर्मीयूं की छुट्टयूं मा लोगबाग मी खुंणि फून कैर दिंदन कि वो घौर आंणा छन ... उंकी कूड़ी फर झाड़ पोछ करदु ! सब्या गौंकरों की कूड़ि की चाबी मीम् हि रंदन ।
भैजी क्य बथांण फुरसत नी छ् मीम् बिलकुल ना ! यां का बान त् मी तै इसटाफ बि भर्ती कन प्वड़ीं ... द्वी हेलपर बि धर्यां छन म्यारा । द्वी हौरि चयेंणा छन पर लेबरू की शोर्टेज हुईं च यख । लेबर हि नि मिलदी यख ।
भैजी घौर मा मेरा कलर टीपी , फिरीज , पंखा ,गैस, मुबैल , सोफा , डबलब्यड , बैंक अकौंट , अलमारी, अर फुल राशन च् ।
अब तुमि बथावा कि यूं खुंणि हि त् जंदन लोग प्रदेशु नथर पुटगि त् कुकर बि भोरि दींद !
है ना भैजी !
हां भुला म्यारा आँखा बि तड़तड़ा कैर दीं तिन ।
जुगराज रै इनि बस्यूं रै यख ... हमरि फांगि बि चलदु कनु रै ... अब ये गौं मा त्यारू हि सारू च ।त्यारा पार्ट टैम बंण्या रयां भै।
!!!
Copyright@ सुनील थपल्याल घंजीर
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