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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 8, 2017

लावरि साँड

Garhwali Fiction , Garhwali Story by Mahesha Nand 
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यो च वु साँड जैन झगड़ि भै कि खांणि-सींणि हराम करीं छै। येकि ब्वेन् द्वी बोड़ु हौर जांणि (पैदा किए) छा पंण वु जांदा रैन। वून दूधा बान अपड़ि ज्यान ख्वा। झगड़ी सैंण रैजा गौड़ौ दूध बजारम् बिच्द। वींकS नौना दूधै ठ्यक्कि (छोटी बाल्टी) द्येखि टरकंणि कर्दा। पंणि वूं दूधै एक पोळि त फुंड फूका, पींसु तका नि मीलि चखंणु। ज्व मौ नौनौं थैं टरकै सकद, वूं खुंण गौड़ा बोड़्वी गौळि टरकांण कतगा सौंगि ह्वलि तुम गुंण्ये सकद्यां।
रैजन् दुध्यरा बोड़ूं थैं हूंदै सार दूध नि पिजंण द्या। रीता पेट क्वी ज्यूंदु नि रांद पंणि जैकS जोगुम् खांण ह्वलु त वु कुलड़्यूंन गिंडै कि बि नि मोर। यु निरभाग जब जल्मी त् ये थैं रैजन दूध नि पिजंण द्या। तौबि निरभाग तीन दिन तकै बच्यूं रा। झगड़िन् ये कु चौकुम् भिबराट द्येखि त् बींगि ग्या-- "यु जाटि बोड़ च। भिबराट कै हौळ भचोड़लु। त् साब रैजन दिन भांची (एक दिन छोड़कर) वे दूध पिजंण द्या।
रैजा ये थैं गौड़ि पनांणू जन्नि छोड़ त् गौड़ि गगराट कै पांसों बटि दूधै छराक मन बैठि जौ। गौड़ि जब पनांद (दूध देने के लिए सहज हो जाना) त् वS घास नि खांद, जुगार नि लगद।
...............
.......... अर तब छ्वीं ह्वेनि कि..... गौड़ा, भैंसा, बखरा, गैळ बळ्द, ढंगड़ा, ....
यि गोर कु छन ? वु गोर कु छन जौं कS बान खम्वसा-खमोस हूंणि च...
रैजा बोड़ु थैं दिन भांची दूध पिलांण गीजि ग्या। बोड़ु रैजै सार बींगि ग्या। सार गौडु बि बींगि ग्या। गौड़न् बि मंणमंण घालि द्या -- " यून म्यारा द्वी नौनौ ढळकै येनि। तुम थैं बि चुसंणा नि चुसा त् म्यारु नौ बि गौ- माता नी। सुद्दि म्यारा नौ कु पांसु चुसुंणा छंया ! अर मै बेखाद-बादौ (बिना कसूर के) गाळि खलांणा छंवा !" अगनै दिख्यां रै! गौ- मातै कनि कुगSता हुंईं च। ल्या, थुपंण्या ब्वल्यां, म्यारु नौनु मै थैं सकळि बिंगालु।"
यु बोड़ु बिंड्डि दूध प्ये द्यौ। गौड़ि अर बोड़ै ज्य सांट-गांट ह्वे हो। बोड़ु थैं रैजा जन्नि गौड़ा पनांणू छोड़, तन्नि गौड़ि दूधै छर्क मन बैठि जौ। गौड़्यू पनांण रैजा बींगि जांद त् वS सट्ट बोड़ु थैं रुंगुड़ (खींच लेना) दींद। अर सरबट गौड़ा पांसा गबदांण बैठि जांद। गौड़ु चंट च। वु रैजा हतू सागस (स्पर्श) अडगळ दींद। ब्याळि रैजन जन्नि गौडि पना त् वीन दूध नि द्या। रैजा फर लतड़्यौ (लगातार लात मारना) मचै द्या। .......
यु बोड़ खाकंडि.....
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 यु खाकंडि बोड़ु एक्कि सड़ाकम् द्वी दिना बरोबर दूध प्ये ग्या। रैजन् उठा सुट्गि अर चटैं-चटैं चार चटाग वेकS कुंगळा करघंडम् मारि द्येनि। वेन अफू दूध फिरै द्या। हैंकि बेळि वेकS मुक फर सुक्युं घास धोळी रैजन् जन ब्वलेंद वे खुंण घात घालि हो---"प्वट्गि सैढ़लि त्यरि। निरभाग खांदि छै त् खैलि निथर मोरि जै धौं म्यरि भां से।" 
भयूं, जैकS जोगम् खांण ल्यख्यूं ह्वलु त् वे थैं क्वी नि मार सकद। नि मोरि यु। यु सदनि चटगयेंणु रा त् दिना-दिन मरख्वड़्या हूंणु रा। कट्टा-मुंगर्या दगड़ा यु सयंणु क्य ह्वा कि एक कुघड़ि कु कुदिन ए ग्या। झगड़िन् एकि कांधम् ज्यू धैरि द्या। ज्यू धैरि चतSया कि यु त् गैळ च। गैळ, गैळ बोली स्यु झंणि कबSरि सांड ह्वा, कैन नि चिता।
बंचिलु (अवगुणी) जन्कि-- अपखौ, अस्यड़ु (असहिष्ण), कुस्ड़ि (कुत्सित) जळथ्यरु, निकज्जु मनिख कत्तै नि सयेंद। यु त् निकज्जु गोर च। यु नि सया। रैजन् ये थैं तीन तलाक द्ये हो जन्कि। "जा ये थैं कक्खि खेद्या (छोड़कर आना), खांणै बोदर।"
भ्वळकुंणौ झगड़ि भै ये थैं बजार खेद्या। यु नप्पोड़ि ड्यार आ। येन गैलु कन गाड़ि ? यु सगळि रात क्वट्य काक्या मुंगर्यड़ा रंदमंद कनु रा। सुबेरौ कन गळ्यौ-घत्यौ मचि तबा! ब्वल्दन बल कि गोर्वी गाळ बल गुसैं खौ। त् तां कु तौ (गरमी) ये साँडा कपाळ फर्री फुटंण छौ। साँड वे दिन कच्यल्ये ग्या। पंण कै बि निरबुद्दा बिंगंणम् नि आ कि ये जीबनै अपडि कंगस्या (कामना) छन, यू बि मौज मारि खांण-सींण चांद......झगड़ि वे थैं डांडा एक डाळा फर ऐंठी आ, वे थैं बागन् नि खा......
.....जड़ उग्टि ग्या यूं नेतौं कि..... यूंकि मवसि धार लग्यां....जौन यून् हम गोर भैंसौं थैं अपड़ा खत्यां धरमू स्ये जोड़्यालि। क्वी बि गोर धरम् इन बिंगद कि तू बि खS, मी बि खौलु ..... पंण जड़ उगट्यां रै ! तुमSरि जु तुम हमSरा पैथर राजनिति कना छंया। ..... जु मे थैं माता ब्वन्नान् वु कतगा छन जु म्यरि टाळ-टकोळ (देखभाल) कन्ना छन। सि छां यीं कुगSतम् ...... जु मे थैं खांणअपड़ु धरम समझंणान् वु धरम नी ....
गौड़ि अर साँडै भिटा-घटि जब नजीबाबादम् ह्वा त् मासुर साँडा बि कळ्यूर ह्वे ग्या-- "हे रै वै! तु चा जै बि धरम् कु छै हम नि जंणदां,पंण तु मनिख नि छै। तु अफु थैं भौत खुप्ड़िबाज चितांणु छै, अबै त्वे चुलै बिन्डि कळकळि च म्यारा सरेलम् त्वे खुंणै।" गौड़्या आंखौं बटि ठम्म-ठम्म आंसु चूंणा छा।
गोरु कु नौ भनै कि राजनिति येयी देसम् ह्वे सकद। ........ वूंकु गोरु स्ये क्वी लेंणु-देंणु नी तौबि भापनौ कु बिजनिस हूंण्वी लग्यूं च।
Copyright @ Mahesha Nand 
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Thanking You with regards

B.C.Kukreti 

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