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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, June 9, 2017

भूली-बिसरी

भूली-बिसरी बाटू बिरडी कभी मी थै देखी जै तू।
त्यारा ही दियाँ जु घौ छन दगड्या ऊ सेकी जै तू।।
कन क्वे बताण त्वे मा, कि कन छन हाल मेरा ।
ल्वींठो माटु ले कि ऐ अर मेरा दुःखों लीपि जै तु।।
आँखी हुयां लाल तेरी खुद का भोर लाटी।
वक़्त मिललु कभी त, अपणी खुद टीपि जै तू।।
दोष लग्यां छन तेरी बाडुळि म्यार गौळ मा।
टक्क लगैकी ऐ ,अर यूँ बाडुळि पूजी जै तू।।
दिन कम ही छन ई ज्वानि का गैल्या रे...
दिन मिललु कभी त, मुखजथरु देखी जै तू।।

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