म्वर्ना बाद चाई पत्ती अर चिन्नी ले कि आणा छन लोग।।
म्वर्न सी पैली द्वी गफ्फा अन्ना का प्यार से नि मिलिन
म्वर्ना बाद मेरा बांठा चुंची डांग मा धरणा छन लोग।।
म्वर्न से पैली कैन हल्दी ज्यूॅदाळ नि लगे माथा
म्वर्ना बाद खान्द फर पित्र-पिठे लगाणा छन लोग।।
म्वर्न से पैली क्वी मेरा हाल चाल पुछणा कु नि आई
म्वर्ना बाद बुले-बुले की मी थै भूत नचाणा छन लोग।।
म्वर्न से पैली ये मिन कै खुण भलु-बुरू नि बोली
म्वर्ना बाद पित्र दोश लग्यूॅ बल, छुई लगाणा छन लोग।।
ज्यूंदा मा कभि कैन नि कै अर्पण,
म्वर्ना बाद दियेणा छन अब तर्पण।।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकरा सुरक्षित)
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकरा सुरक्षित)
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