Satirical Poem by Asis Sundriyal
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ब्याळी तक जो ख़ास बणदा छा म्यारा
वो आज अचणचकि बणिग्यीं वूंका स्वारा
वो आज अचणचकि बणिग्यीं वूंका स्वारा
आंदोलन क्यो कना होला वो अब सड़क्यूँ मा
जो पैली बैठ्यां रैंदा छा मंत्री जी का ध्वारा
जो पैली बैठ्यां रैंदा छा मंत्री जी का ध्वारा
बरखा होली ता दुन्या द्याखली भुला!
बोली बोलीई क्यो छै सुखाणु स्यो त्वारा
बोली बोलीई क्यो छै सुखाणु स्यो त्वारा
पलायन की चिंता वे तैं सबसे जादा च
जो बल बरसू बटे नि ग्ये अपणा ड्यारा
जो बल बरसू बटे नि ग्ये अपणा ड्यारा
बामण खूणैं बामणी की ऐग्ये मिस कॉल
ये चकरम अदम छुट ग्ये सातों फ्यारा
ये चकरम अदम छुट ग्ये सातों फ्यारा
कळचुण्डी कैमा कुछ नि बोल सकणी च
जब बटे जौंल्या ह्वीं अर वो बि चिट ग्वारा
जब बटे जौंल्या ह्वीं अर वो बि चिट ग्वारा
© आशीष सुंदरियाल
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