Garhwali -Hindi Poems by M N Gaur
कविता - MN Gaur
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तौ आँख्यूं की खांन्दु मि सौऊँ,............. इन आँखों की खाता हूँ मैं सौगंध,
जुग-जन्मों तौं दिखनै मि रौऊँ ||..........युग-जन्मो इन्हें देखता मैं रहूँ,
जुग-जन्मों तौं दिखनै मि रौऊँ ||..........युग-जन्मो इन्हें देखता मैं रहूँ,
कतगा अगास तौं मा दिख्येनि ,............कितने आकाश इन में दिखे,
फूलुकि घाटी खिलि खिलि ग्येनि ,.........फूलों की घाटी खिल खिल गईं,
चकोर जनू कनु मेरि मन माया,............चकोर जैसी कैसे मेरे मन में माया,
सुपिन हि सुपिन म्ये देइ ग्येनि ,............सपने ही सपने मुझे दे गईं.
फूलुकि घाटी खिलि खिलि ग्येनि ,.........फूलों की घाटी खिल खिल गईं,
चकोर जनू कनु मेरि मन माया,............चकोर जैसी कैसे मेरे मन में माया,
सुपिन हि सुपिन म्ये देइ ग्येनि ,............सपने ही सपने मुझे दे गईं.
मेरि पराणी तु लूछिकि ल्ही ग्ये,............मेरे पराण तू छीनकर ले गई,
माया की तीस मि कैमा बतौऊँ || तौं.......माया की ये प्यास मैं किसे बताऊँ ||
माया की तीस मि कैमा बतौऊँ || तौं.......माया की ये प्यास मैं किसे बताऊँ ||
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