Garhwali poetry by Sunil Bhatt
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झिगज्या पुतड़ी बोल,
गिच्चानै झिगज्या पुतड़ी बोल।
ढोल ढमौ हर्चीगे रे,
मस्क्याबाजा बी ह्वै गोऽल
गिच्चानै झिगज्या पुतड़ी बोल,
हे छुचा झिगज्या पुतड़ी, झिगज्या पुतड़ी ।।
झिगज्या पुतड़ी बोल,
गिच्चानै झिगज्या पुतड़ी बोल।
ढोल ढमौ हर्चीगे रे,
मस्क्याबाजा बी ह्वै गोऽल
गिच्चानै झिगज्या पुतड़ी बोल,
हे छुचा झिगज्या पुतड़ी, झिगज्या पुतड़ी ।।
फक्या हे ब्वारी, सपना का गाणौ
यखरी यखरी ना लग्या हे ब्वारी।
यो यो क्य लग्यूँ तेरू यु नौनु,
गढवली त ये सिख्या हे ब्वारी।
दरूल्यौं की लगीं मंडाण अर डी जे मा घपरौल।
बोल झिगज्या पुतड़ी बोल,
हे छुचा झिगज्या पुतड़ी, झिगज्या पुतड़ी ।।
यखरी यखरी ना लग्या हे ब्वारी।
यो यो क्य लग्यूँ तेरू यु नौनु,
गढवली त ये सिख्या हे ब्वारी।
दरूल्यौं की लगीं मंडाण अर डी जे मा घपरौल।
बोल झिगज्या पुतड़ी बोल,
हे छुचा झिगज्या पुतड़ी, झिगज्या पुतड़ी ।।
सुण हे बौजी,
दिखेला त्वैई हमरा औजी
अगला मैना द्वी गति मेरू नौनु कु छ ब्यौ
बुन तुम ब्यौ मा ऐई जैयां।
मस्क्या भैजी बी दगड़ी लैयां,
भारे ब्यौ बजैई जैयां,
तुम जुगराज रैयां, कखि बिसरी नी जैयां
हां टक्क लगैई ऐयां,
पंडौ नचैई जैयां
बगछट्ट कैई जैयां बुन
झिगज्या पुतड़ी, झिगज्या पुतड़ी
दिखेला त्वैई हमरा औजी
अगला मैना द्वी गति मेरू नौनु कु छ ब्यौ
बुन तुम ब्यौ मा ऐई जैयां।
मस्क्या भैजी बी दगड़ी लैयां,
भारे ब्यौ बजैई जैयां,
तुम जुगराज रैयां, कखि बिसरी नी जैयां
हां टक्क लगैई ऐयां,
पंडौ नचैई जैयां
बगछट्ट कैई जैयां बुन
झिगज्या पुतड़ी, झिगज्या पुतड़ी
स्वरचित/**सुनील भट्ट**
04/06/17
04/06/17
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