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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 22, 2017

"मि भि गढ्वळि छौं"

Garhwali Poem by Payash Pokhra
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मि भि गढ्वळि छौं, 
हाँ हाँ मि भि त गढ्वळि छौं, 
बुरु नि मन्यां मि भि गढ्वळि छौं !
लड़बड़ि दाळ दगड़ चटपट्टि भुज्जि ह्वाला क्वी,
मि त छन्छ्या, थिचौंणी, कफिळि अर झ्वळि छौं !

हाँ भै हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
सरकरि नौकर चाकर अर पिन्सनेर ह्वाला क्वी,
मि त डिक्चि डिपाटमेन्ट मा चिमचा, पणै-डडुळि छौं !

हाँ भै हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
छज्जा जिंगलादार, खम्ब तिबरि-डंडळ्यूं का ह्वाला क्वी,
मि त खन्द्वर्या कूड़ि-धुरपळि की रड़ईं फटळि छौं !

हाँ भै हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
चौसर-चौपड़ बिसाता की बिगरैलि कौड़ि ह्वाला क्वी,
मि त गुच्छेरु की गुच्छी की 'पिल' बणी खड्वळि छौं !

हाँ भै हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
गीत-गीतु का गितार सितार नेगी दा ह्वाला क्वी,
जु हुलांस कैळ नि सूणी मि त वो ढौळ-ढ्वळि छौं !

हाँ भा हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
खान्दा-पीन्दा, हैंसदा-ख्यळदा बग्छट ह्वाला क्वी,
मि त नांगा गात अर भूखा प्याट की वो रमछ्वळि छौं !

हाँ भै हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !! 
बुरु नि मन्यां मि भि गढ्वळि छौं !!
हाँ पीवर(pure) क्वद्या गढ्वळि छौं !!!

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@पयाश पोखड़ा


Thanking You .

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