Garhwali Poem by Payash Pokhra
-
मि भि गढ्वळि छौं,
हाँ हाँ मि भि त गढ्वळि छौं,
बुरु नि मन्यां मि भि गढ्वळि छौं !
लड़बड़ि दाळ दगड़ चटपट्टि भुज्जि ह्वाला क्वी,
मि त छन्छ्या, थिचौंणी, कफिळि अर झ्वळि छौं !
हाँ भै हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
सरकरि नौकर चाकर अर पिन्सनेर ह्वाला क्वी,
मि त डिक्चि डिपाटमेन्ट मा चिमचा, पणै-डडुळि छौं !
हाँ भै हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
छज्जा जिंगलादार, खम्ब तिबरि-डंडळ्यूं का ह्वाला क्वी,
मि त खन्द्वर्या कूड़ि-धुरपळि की रड़ईं फटळि छौं !
हाँ भै हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
चौसर-चौपड़ बिसाता की बिगरैलि कौड़ि ह्वाला क्वी,
मि त गुच्छेरु की गुच्छी की 'पिल' बणी खड्वळि छौं !
हाँ भै हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
गीत-गीतु का गितार सितार नेगी दा ह्वाला क्वी,
जु हुलांस कैळ नि सूणी मि त वो ढौळ-ढ्वळि छौं !
हाँ भा हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
खान्दा-पीन्दा, हैंसदा-ख्यळदा बग्छट ह्वाला क्वी,
मि त नांगा गात अर भूखा प्याट की वो रमछ्वळि छौं !
हाँ भै हाँ मिभि त गढ्वळि छौं !!
बुरु नि मन्यां मि भि गढ्वळि छौं !!
हाँ पीवर(pure) क्वद्या गढ्वळि छौं !!!
##
@पयाश पोखड़ा
Thanking You .
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments