My Garhwal ' Poetry by Chandi Prasad Bangwal
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यूं ऊंचि डाड्युं मां हिंवांलि कांठ्युं मां।
देबतौं कु देश मेरु प्यारु गढदेश।।
*स्वर्ग बटीक पैलि जख गंगा आई।
शिवजी की जटा मां जख वा समाई।
ब्रह्माजी गैन जख शिव जी का
पास
शिवजी रंदांन तै ऊंचा. कैलाश।।
युं ऊंचि डाड्युं-------
पंच बदरि जख पंच केदार.।
तीर्थू मां तीर्थ. जख हरि हरिद्वार।
हे देवभूमि तेरा पंच प्रयाग।
मनख्युं. का पाप ध्वैक कैदा उद्धार
युं ऊंचि डाड्युं - --------
देबी भगवति जख नौ छन बैणीं।
दैत्यों को. नाश कन ह्वैन जु दैंणीं
अष्ट भैरब जख नौ नारसिंग।
जै जै घंडियाल देब जै कैलापीर।
युं ऊंचि डाड्युं - - - ---
पावन पवित्रजख द्यबतौं का धाम
गंगोत्री यमुनोत्री. स्वर्ग. समान।
हे देवभूमि. त्वैकैं शत-शत प्र णाम
भारत कि धरती. मां तेरि छ शान।
युं ऊंचि डाड्युं मां -------
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. . . . . . . . चण्डी प्रसाद. बंगवाल
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