Interview with Famous South Asian Poet Madan Duklan about Characteristics of Poetry
रुचिकर , सवादी , मयळि कविता बाबत वरिष्ठ कवि मदन डुकलाण का दगड़ छ्वीं
रुचिकर , सवादी , मयळि कविता बाबत वरिष्ठ कवि मदन डुकलाण का दगड़ छ्वीं
भीष्म कुकरेती -मदन जी अजकाल इंटरनेट, फेसबुक , वर्डसप जन माध्यमुँ आण से गढ़वळि कविता मा एक अचानक उछाला ऐ गे।
मदन डुकलाण - यु भलो चिन्ह छन कि गढवळि साहित्य मा एकदम उमाळ ऐ गे। ए से बढ़िया सौगात गढवळि साहित्यौ वास्ता हौर क्या ह्वे सकद ?
भी . कु . -पर भौत सा कवि इनि लिखणा छन।
म . डु . -हर फूल फूलने दो जो फूल गुणशाली ह्वालु , सुगंधित ह्वालु , बीजयुक्त ह्वालु वेकी पूछ होलि।
भी . कु . - फिर बि कवियों तैं एक मापदंड तो निभैक कविता गंठ्याण इ चयेंद कि ना ?
म . डु . -इखमा द्वी राय कख छन कि कवि क्वी बि ह्वावो , कवि तैं कविता कु मापदंड निभैका इ अपण कविता प्रकाशित या पोस्ट करण चयेंद।
भी . कु . -आप गढ़वळि का वरिष्ठ अर प्रसिद्ध कवि छन तो नया कवियों वास्ता कुछ हिदैत चयेँदि।
म . डु . -हिदैत ?
भी . कु . -हाँ कि कविता का मुख्य चरित्र क्या हूंदन ?
म . डु . - भै ! द्याखो भाव तो सास्वत छन। वो पपीता सभ्यता , सिंधु घाटी सभ्यता , वेदों का बगत या आज उन्या कि ऊनि छन याने रस अर भाव तो सद्यनि एकी राला तो गात पर ही सबि कवियुं नजर रौंदी।
भी . कु . - गात ?
म . डु . -हाँ जन कि गतौ पैली शर्त च - विषय। विषय नया नि हो तो अनूठा विषय हूण चयेंद।
भी . कु . -पर मै लगद कि गढ़वळि साहित्य मा विषयुं घोर अकाळ पड्युं च।
म . डु . -इन कनो अभियोग लगौणा छंवां आप ?
भी . कु . -बस पलायन , म्यारो गढ़वाल क्याळा कुळै बगवान याने प्रकृति , संस्कृति विनास अर उजड़दा कूड़ इ मुख्य विषय छन अजकाल कवियों का पास।
म . डु . -हाँ तो बि यूँ विषयुं अंदर तो सैकड़ों नया विषय बि छुप्यां छन , कवियुं तै यूँ विषयुं तै खुज्याण मा मेनत करण आवश्यक च , विषय मा नयापन हो तो कविता अफिक रुचिकर ह्वे जांद।
भी . कु . -फिर ?
म . डु . -यदि विषय पुराणो हो तो गात याने प्रस्तुतिकरण बिलकुल अलग करण चयेंद।
भी . कु . -मतलब ?
म . डु . -मतलब नया प्रतीकों का प्रयोग से पुराणो विषय पर कविता गंठ्याओ या पुराणो प्रतीकों से बिलकुल नया बिम्ब या भाव पैदा कारो।
भी . कु . -प्रतीक महत्व छन ?
म . डु . -हमेशा से प्रतीक या शब्द ही तो महत्वपूर्ण छन। द्याखो तुलसीदास जीन बि रामायण रच अर केशव दास जीन किन्तु शब्दों का कारण याने प्रतीकों का कारण तुलसीदास जंग जीति गेन।
भी . कु . -बिम्ब पर ध्यान ?
म . डु . -हाँ इन प्रतीक प्रयोग करण चयेंदन जु पाठ्कुं जिकुड़ी पर छप से लग जावन याने प्रतीक तै कवि द्वारा प्रस्तावित बिम्ब पैदा करण चयेंद।
भी . कु . -कविता कु साइज कथगा हूण चयेंद ?
म . डु . -कविता जथगा छुटि ह्वावो तथगा इ उचित। कविता अर गद्य मा साइज को इ त फरक च। साइज का वजै से इ तो कविता याद रौंद अर गद्य याद नि रौंद। साइज का वजै से कहावत या पहेली याद रौंदन किन्तु गद्य याद नि रौंद। कवि तै टेलर मास्टर या कुम्हार की तरां अर साइज स्टाइल पर ध्यान दीण चयेंद। साइज अर स्टाइल याने आकर व शिल्प ही तो कविता की जान हूंदन।
भी . कु . -अर आखिरी ?
म . डु . -आखरी ना प्रथम कि कवि तै सर्वप्रथम लोककल्याण की भावना से इ कविता गंठ्याण चयेंद।
भी . कु . -और ?
म . डु . -बस आज इथगा इ। इंटरव्यू बि जथगा छुटु हो उथगा इ प्रभावकारी हूंद।
भी कु - जुगराज रयां मदन जी।
Copyright @ Bhishma Kukreti 31/7/2015
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