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ये ब्वे ! ये फाणु झंग्वर से स्वाद इ हर्चि गे !
चबोड़ , चखन्यौ , चचराट ::: भीष्म कुकरेती
मि - यि क्या च ? ये झंग्वर मा स्वादि नी आणु च। जब कि छै मैना बाद फाणु झंग्वर पक। वी बि मुंबई मा।
ब्वे -कनो ! झंग्वर गिल्लु च ?
मि -ना।
ब्वे -झंग्वर फरफरु च ?
मि -ना।
ब्वे -ठीक पक्युं च ?
मि -हाँ।
ब्वे -तो ?
मि -त ! त ! मि तै लगणु च फाणु मा स्वाद नी आणु च ?
ब्वे -अच्छा ? फाणु मा स्वाद नी आणु च ?
मि -हाँ।
ब्वे - फाणु बकुळ बणि गे क्या ?
मि -ना।
ब्वे -फाणु पंद्यर त नि ह्वे गे ?
मि -ना ना सब ठीक च
ब्वे -कनो ? लूण -मर्च -मैणु मसल कम च ?
मि -न्है सब बरोबर च।
ब्वे -जब सब कुछ ठीक ठाक च तो स्वाद किलै नी आणु च ?
मि -पता नी पर वो स्वाद नी आणु च। इन लगणु च स्वादि हर्चि गे।
ब्वे -एक बात बथादि कि जब तू गाँव मा छ्याई त सुबेर ल्याखन क्या करदु छौ।?
मि -सुबेर उठिक या त दस पंदरा पुंगड़ तौळ टट्टी जांद छौ। हाँ बारा दैं गौळ उतरदो छौ अर बारा इ दैं गौळ चढ़दो छौ।
ब्वे -अर इख ?
मि -इख तो बेड रूम मा इ ट्वाइलेट च।
ब्वे -फिर तू टट्टी पेशाब का बाद करदो छौ ?
मि -फिर गौळ उतरण -चढ़ण मा भूक लग जांदी छे रातक जु बि बच्युं रौंद छौ बासी कूसी सब निमाड़ी दींद छौ।
ब्वे -हूँ फिर ?
मि -फिर जु सुबेराक स्कूल ह्वावु त दूर पाणी बिटेन एक बंठी पाणी लांदु छौ अर दिनाक स्कूल हो तो स्कूल जाण से पैलि तीन बंठी पाणी लांद छौ।
ब्वे -अर फिर सुबेराक स्कूल हो तो द्वी मील उकाळिक --उंधारिक रस्ता से स्कूल जांद छौ ?
मि -हाँ।
ब्वे -फिर स्कूल बिटेन घौर ऐक क्या करदो छौ ?
मि -भूक इथगा तेज लगदी छे कि जू बि हो सो घळा -घळ घूळि दींद छौ।
ब्वे -फिर ?
मि -फिर खाणौ खैक गोर मा जांद छौ। स्याम दै घौर आंद छौ। बासी जू बि हो खाणक खांद छौ अर एक बंठी पाणी बि लांद छौ।
ब्वे -अच्छा ! इख क्या हूंद ?
मि -इख ? मुंबई मा ?
ब्वे -हाँ मुंबई मा ?
मि -कुछ ना। कार से ऑफिस जाण , कार से आण। अर ऑफिसम बस काम कु तनाव बस।
ब्वे -मतलब तू अब कुछ बि शारीरिक काम नि करदि ?
मि -नै जब सब सहूलियत छन तो क्यांक काम ?
ब्वे -अब जब शरीर से काम नि होलु तो भूक बि लगलि ?
मि -हूँ ! शायद कम लगलि। हाँ तेज भूक तो बिलकुल नि लगदी।
ब्वे -तो बुबा जब तेज भूक इ नि लगलि तो अमृत से बि स्वाद हर्चि जांद। शरीर से मशक्कत कौर अफिक भूक लगलि , अफिक स्वाद आलो।
13/8 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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