गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी जी के जन्म दिन के उपलक्ष में प्रदीप रावत (खुदेड़) की एक कविता
रचना प्रदीप रावत (खुदेड़)
तान सेन सी आपै आवाज,
बैजू बाअरा सी आपमा साज।
बिराजमान आपका कंठ मा साक्षत सुरों की देवी,
आप छा गढ़ रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी।
बैजू बाअरा सी आपमा साज।
बिराजमान आपका कंठ मा साक्षत सुरों की देवी,
आप छा गढ़ रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी।
कलम आपमा बांसे च, माटे च स्याई,
लेख्दी च जबवा, बण जांदी सोने लिखाई।
जब भी आपन भ्रस्टाचार पर कलम चलयी,
तब तब आपन सरकारू की जड़ हिलायी।
न आप देव छा , न देवता, न छा भगवान,
बस हम जन छन आप भी इन्सान।
अपड़ी कलम ते आपन कभी बँधी नीच,
कलम कभी कैका अधीन रखी नीच।
मनमा आपका मात्रभूमि दुर्दशे पीड़ा च,
अपड़ा ही लुटणा छन, मनमा ही गिला च।
पहाड़ मा स्थान आपो जन ऊँचू आगाश,
लेखनी आपै जन हैंरू भैरू बस्ग्याल चौमास।
आप केवल गीत गायक निछा,
अपितु पहाड़ै संस्कृति छा।
आप केवल पिता, पुत्र, न,
अपितु पूरी प्रकृति छा।
आप दाना मनख्यूं ते सांस छा,
आप दीदी भुल्यू की आस छा।
आप जवनू कू हौंसला छा,
नौन्यवू ते संस्कारू कू घोसला छा।
आप सिपै कू ते वीर रस छा,
संसार मा गढ़वालो कू यश छा।
आप हैंसण छा, आप ख़ुशी छा,
पहाड़ दुःखी त आप दुखी छा।
आप केवल कवि न, कवेन्द्र छा,
आप केवल शब्द न, शब्देइंद्र छा।
धन्यभाग हमरा!
जू हमन देवभूमि मा जन्म ल्याई,
आप जन सरस्वती पुत्र यी धरती मा पायी।
आपै प्रेरणान मेरा हाथू मा कलम पकड़ाई,
मे जन अनाड़ी ते द्वी आखर लिखण सिखाई।
Copyright@ प्रदीप रावत (खुदेड़)
लेख्दी च जबवा, बण जांदी सोने लिखाई।
जब भी आपन भ्रस्टाचार पर कलम चलयी,
तब तब आपन सरकारू की जड़ हिलायी।
न आप देव छा , न देवता, न छा भगवान,
बस हम जन छन आप भी इन्सान।
अपड़ी कलम ते आपन कभी बँधी नीच,
कलम कभी कैका अधीन रखी नीच।
मनमा आपका मात्रभूमि दुर्दशे पीड़ा च,
अपड़ा ही लुटणा छन, मनमा ही गिला च।
पहाड़ मा स्थान आपो जन ऊँचू आगाश,
लेखनी आपै जन हैंरू भैरू बस्ग्याल चौमास।
आप केवल गीत गायक निछा,
अपितु पहाड़ै संस्कृति छा।
आप केवल पिता, पुत्र, न,
अपितु पूरी प्रकृति छा।
आप दाना मनख्यूं ते सांस छा,
आप दीदी भुल्यू की आस छा।
आप जवनू कू हौंसला छा,
नौन्यवू ते संस्कारू कू घोसला छा।
आप सिपै कू ते वीर रस छा,
संसार मा गढ़वालो कू यश छा।
आप हैंसण छा, आप ख़ुशी छा,
पहाड़ दुःखी त आप दुखी छा।
आप केवल कवि न, कवेन्द्र छा,
आप केवल शब्द न, शब्देइंद्र छा।
धन्यभाग हमरा!
जू हमन देवभूमि मा जन्म ल्याई,
आप जन सरस्वती पुत्र यी धरती मा पायी।
आपै प्रेरणान मेरा हाथू मा कलम पकड़ाई,
मे जन अनाड़ी ते द्वी आखर लिखण सिखाई।
Copyright@ प्रदीप रावत (खुदेड़)
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