Kshatraps , Satrapa of Mathura with reference History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 159
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 159
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
मोग ने अपने साम्राज्य को शासन सुविधा हेतु तक्षशिला , मथुरा और सौराष्ट्र -अवन्ति की क्षत्रपियों में बनता था। इन पर महक्ष्ट्रप अपने पुत्रों या संबंधियों को क्षत्रप घोषित करते ठे. महक्ष्ट्रप की मृत्यु उपरान्त क्षत्रप ही महाक्षत्रप बनता था।
58 BC में मोग की मथुरा में मृत्यु होने पर क्षत्रप हगाम ने स्वतंत्रता घोषित कर दी और राजा बन बैठा। हगाम अपने पुत्र हगान सहायता से राज करने लगा।
हगम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र हगान मथुरा का महाक्षत्रप बना।
शिलालेखों व मुद्राओं से अब तक नौ महाक्षत्रपों के नाम प्राप्त हुए हैं -
हगाम
हगान
रंजुबल
सोदास
तरनदास
भरनदास
शिवघोष
शिवदत्त
मथुरा के क्षत्रपों का संबंध पश्चमी क्षत्रपों के साथ रहा था।
मथुरा के प्रारम्भिक क्षत्रपों ने नाम पर्सियन नाम थे किन्तु धीरे धीरे ये नाम भारतीय हो गए।
मथुरा के क्षत्रपों के राज्य कल पर विद्वानों ने एका नही है। मथुरा क्षत्रपों के राजयकाल कुषाण नरेश विम के राजयकाल में समाप्त हो गया था।
मथुरा क्षत्रपों का राजयकाल 60 BC से 80 BC तक माना जाता है (स्मिथ , अर्ली हिस्ट्री ऑफ इण्डिया ).
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 9/8/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --159
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -159
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