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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, August 11, 2015

हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में शक गाथाएं

Folklore about Indo Scythian Rule in India with reference  History of Haridwar,  Bijnor,  Saharanpur 
                           हरिद्वार,  बिजनौर ,  सहारनपुर   इतिहास संदर्भ में शक गाथाएं 

              Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  - 161                      
                                                हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -161                      

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  


         कतिपय प्राचीन गाथाएं शक आदि विदेशी जातियों का संबंध कुणिंद जनपद के पश्चमी भाग से जोड़ते हैं जिसमे हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर सम्मलित है। (महाभारत ). सभापर्व , महाभारत अनुसार कुलिंद जनपद में प्रदर , पारद , तुषार , दरद तथा खसादि जातियां  बसीं थीं।  इसमें प्रदर -पारद को शक , पह्लव जाति व तुषार की पहचान कुषाण जाति से जाती है (डा डबराल ) . 

                 टोंस -यमुना संगम हरिपुर का संबंध शक राजा रिसालु से जोड़ा जाता है (देहरादून गजेटियर ) . पंजाब के शकनरेश रिसालु का राज्य यमुना घाटी तक फैला हो संभव नही है।  ऐसा लगता है जब शक जाति यमुना घाटी (देहरादून , सहारनपुर व हरिद्वार का पूरा या कुछ भाग ) में आ बसी होगी तो अपने साथ रिसालू की गाथा भी साथ लायी होगी। 
              या हो सकता है कि इस भाग में मथुरा के शक नरेश अधीन कोई रिसालू नाम का स्थानीय शक शासक रहा होगा। 
         कनिंघम का अनुमान था कि मौर्य वंश अंतिम नरेश राजपाल विक्रमी पूर्व दूसरी शती में उत्तराखंड के राजा शाक्दित्य द्वारा मारा गया था। 
           हर्षचरित से ज्ञात होता है कि ध्रुवस्वामिनी वेष श में चन्द्रगुप्त ने जिस राजा की हत्या की थी वह शकनरेश था। 
    इन गाथाओं के आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि शकों का कुलिंद /कुणिंद  पश्चमी भाग पर अधिकार रहा होगा और जब पह्लव जाती इस पश्चमी क्षेत्र में उपद्रव , छापामारी मचाने लगी तो वे भी पूर्व की और बढ़े होंगे।  



Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India 11/8/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --162

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -
162


      Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;    Ancient  History of Nazibabad Bijnor;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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