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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, August 16, 2015

इकबाल का ' तराना -ए-हिंदी' 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा' को गढवाली रूपांतर:

सभी दगड्यों तैं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई का दगड. पेश छ अल्लामा इकबाल का ' तराना -ए-हिंदी' 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा' को गढवाली रूपांतर:
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सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा

 Mool - अल्लामा इकबाल         
गढ.वाल़ी रूपांतर : नेत्रसिंह असवाल़

दुनिया भरीक स्वाणो, हिंदोस्तां हमारो
हम उर्फुर चखुलि येकी, यो फूल-गां हमारो ।
भौं बोण रौं कखी हम, ज्यू रैंद अपण चांठा
समझा उथां हमू तैं, ज्यू हो जथां हमारो ।
पर्वत वो सबु चे ऊंचो, गैल्या छ सर्ग चूल़ो
वो संतरी हमारो, वो भूमियां हमारो ।
खुचिली मा खितकणी छन, येकी हजार गदनी
जौं भ्वार धदकरो छ, जन्नत मथां हमारो ।
हे बग्दि औंदि गंगा, त्वै याद होलु वो दिन
उतरे तेरा दुछाला, जब कारवां हमारो ।
मजहब कखा सिखौंदा, आपस मा बैर बंधणो
हिंदी छवां मुलुक छ, हिंदोस्तां हमारो ।
यूनान मिस्र रूमा, यख कन-कना बुसेने
अब तक छ मगर ऊंचो, झिंडा इथां हमारो ।
कुछ बात छैं छ, होंणी कम होंदि नी हमारी
वैरी रये जमानो, यख खामुखां हमारो ।
'इकबाल' क्वी पिडो.ई, दुन्या मा नी हमारो
मालूम कै, जिकुडि. मा कांडो कथां हमारो ।
(गढ.वाल़ी रूपांतर : नेत्रसिंह असवाल़)

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