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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, August 11, 2015

भुंदरा बौ बिट्टू खोज मा इनै उनै किलै डबखणि होलि ?

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                      भुंदरा बौ बिट्टू  खोज मा इनै उनै किलै  डबखणि होलि   ?

                        चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती 

मि -ये बौ 
चिरसुंदरी भुंदरा बौ -सुणा !
मि -चलती क्या खंडाला ?
चिर यौवना भुंदरा बौ -अपणी छौनी तै लीजा खंडाला। 
मि -क्या बात ? आज मूड खराब च ? 
कांत कामिनी भुंदरा बौ -अरे इथगा डबखूंगी तो मूड खराब इ होगा कि ना ? 
मि -तू डबखणी छे ? क्या बुनि छे ?
भुंदरा बौ -हाँ आज सुबेर से पांच गां पतड़ेन मीन। अर छटों तरफ जाणु छौं।  
मि -हैं क्या ह्वे गे ? जगरी की खोज मा गाँव गाँव जाणि छे ? अजकाल गढ़वाळम  जगरी मिलदा नि होला त ?
भुंदरा बौ -ना रै सुंदरा ना। 
मि -त पुछेरुं बि अकाळ पोड्युं च गाउँ मा , पुछेर ?
भुंदरा बौ -ना भै ना। 
मि -त ल्वार तमोटों खोज ?
भुंदरा बौ -अरे जब खेती पाती नी च त ल्वार तमोटों क्यांकि खोज ?
मि -त त मे सरीखा द्यूरौ खोज ?
भुंदरा बौ -अरे ना भै।
मि -तो डाक्टर , साक्टर ?
भुंदरा बौ -अरे डाक्टर साकटरों  बान कोटद्वार जाँदा हम।  इख गाउंमा डाक्टरुं  क्या काम ? 
मि -तो फिर गाँव गाँव ? क्या तीन दीक्षा तो नि लि याल ? 
भुंदरा बौ -मि त दीक्षा ले बि ल्योलु त्वे सरीखा द्यूर मि तैं साधवी रणि द्याला ?
मि -त बता तो सै कि ह्वाइ क्या च ? क्यंकि खोज ?
भुंदरा बौ -अरे वु भुतकला जोर नीन ?
मि -हाँ वा दादि।  क्या बीमार च ?
भुंदरा बौ -लुचड़ आणु च ऊँ कुण ? क्या सुंदर छन।
मि -हाँ तो ?
भुंदरा बौ -दिल्ली मा ऊंकी बेटी क बेटी  च चार सालुं कि। 
मि -हाँ हाँ पता च। शकुंतला फूफू। 
भुंदरा बौ -त क्या ह्वाइ कि शकुंतला फुफ्या सासु  बीमार छन  तो चार पांच मैना कुण वूं फुफ्या सासुन अपण चार  सालुं बेटी इख भेजी दे। वींक नाम च सूजी, दिल्ली मा नामुँ बि अकाळ पोड़ि गे।  सूजी ! 
मि -औ त भुतकला दादि नातण पळणि च ?
भुंदरा बौ -हाँ। 
मि -फिर ?
भुंदरा बौ -फिर क्या द्वी दिन बिटेन सूजी रुणि च।
मि -तब्यत खराब ?
भुंदरा बौ -ना ना।  बस बिट्टू बिट्टू की रट लगाईं च वीं सूजी  की।  रात  दिन रुंद रुंद बुलणि च -बिट्टू बिट्टू।  
मि -बिट्टू की रट ?
भुंदरा बौ -दिल्ली फोन करिक  पूछ तो पता चल कि जब बी सूजी तै अपण हम उमर बच्चों दगड़ खिलणै इच्छा हूंदी तो वा बुल्दी - बिट्टू , बिट्टू। 
मि -वौ त सूजी दगड्या -दगड्याण्युं   कुण बिट्टू बोल्दि। अर बीस पच्चीस दिन से वीं तै क्वी हम उमर बच्चा नि मीलेन तो वा बिट्टू बिट्टू करिक चिल्लाणि च। 
भुंदरा बौ -हाँ सूजी तै हमउमर दगड्या दगड्याणि चयेणी छन।  अर द्वी दिन बिटेन रुणि च बस कि बिट्टू , बिट्टू। 
मि -तो ?
भुंदरा बौ -अरे हमर गां मा मनिखूं  बच्चा तो राइ दूर घुघत्युं बच्चा बि नि छन तो वींकुण कखन बिट्टू लाण।
मि -हाँ बच्चा क्या जवान बि नि छन।  
भुंदरा बौ -तो मि सूजी तै लेकि पल्ली गौं ग्यों।  उख डक्खुकी बेटी अम्बाला बटे अपण बेटी लेक आयीं छे। पर उख जैक पता च कि वा ब्याळि वापस अम्बाला चल गे। 
मि -फिर ?
भुंदरा बौ -फिर मीन सूण कि धरपुर्या गौं मा एक नेपाळी का  तीन सालै नौन च तो मि सूजी तै लेकि धरपुर्या गौं ग्यों।  तो उख पता चौल कि चूँकि ईख बच्चा नीन तो वै नेपाळीन अपण बच्चा नेपाल भेजी दे कि ऊख तो बच्चा बच्चों दगड़ रालो। 
मि -फिर ?
भुंदरा बौ -फिर मीन सूण कि गदनपोरो गांव मा एक बंगाला देसी मजदूरो द्वी छुट छुट  बच्चा छन। मि गदनपोरो गौं ग्यों तो पता चौल वै बंग्लादेसीन अपण बच्चा पढ़णो कोटद्वार अपण स्याळीम भेजी देनि।   
मि -फिर ?
भुंदरा बौ -फिर क्या।  मै  पता चौल  कि उखड़ गौं मा एक मोची की  एक तीन सालौ बेटी च।  मि दौड़ दौड़ीक उखड़ गौं ग्यों तो उख बि वैन बच्चा नि हूण से अपणी बच्ची नजीबाबाद रिस्तेदारुंक इख भेजी दे।
मि -अब ?
भुंदरा बौ - छयों गां मा बच्चा -बच्ची मिल गे त ठीक निथर    … 
मि -निथर ?
भुंदरा बौ -निथर क्या ? भुतकला जोर अर मि सूजी तै लेकि भोळ कोटद्वार जौंला अर क्या ? सूजी  तै हमउमर बच्चा तो मिलाणि पोड़ल कि ना ? इख गावुं मा ना सै शहरूं मा सै !


10/8  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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