End of Kuninda Kingdom after Indo-Scythian Entry in West India
कुणिंद जनपद की समाप्ति -हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहासAncient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 160
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 160
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
मथुरा में शक्तिशाली शक क्षत्रप राज्य स्थापन के बाद कुणिंद जनपद का भी उत्पतन हो गया था। कुणिंद नरेश अमोधभूति की 60 BC के पश्चात कुणिंद जनपद का ह्रास हुआ और इसी समय मथुरा में शक साम्राज्य शुरू हुआ।
कुलिंद जनपदा में स्रुघ्न समृद्ध शहर था और स्रुघ्न मथुरा व पूर्व में सभी समृद्ध शहरों से अच्छी सड़कों द्वारा जुड़ा था व यमुना तट पर घाट/पटन होने से कुलिंद /कुणिंद राज्य एक महत्वपूर राज्य था।
भरुकच्छ से अवन्ति , मथुरा अधिकार होने के बाद यह स्वाभाविक था कि समृद्ध व्यापारिक मार्ग पर अधिकार हेतु शक स्रुघ्न पर अधिकार करते। 60 BC के आस पास शक राजाओं ने स्रुघ्न को हथिया लिया था या स्रुघ्न के पास वाले क्षेत्र से कुलिंद। कुणिंद राज्य में छापामारी करते थे।
अमोधभूति की मुद्राएं 60 BC तक मिलती हैं। उसके पश्चात शक मुद्राएं मिलतीं हैं। शक मुद्राएं कुलिंद /कुणिंद मुद्राओं के अनुकरण थे। इसका अर्थ निकलता है कि शक राजा ने कुणिंद /कुलिंद क्षेत्र के पष्चिमी पर अधिकार कर लिया था (एलन -कैटलॉग ऑफ दि क्वाइन्स ऑफ एन्सिएंट इंडिया )।
परवर्ती कुलिंद /कुणिंद की मुद्राएं अल्मोड़ा से प्राप्त हुयी हैं और पश्चिम से इन राजाओं मुद्रा नही मिलीं है। अतः निसंदेह 60 के बाद स्रुघ्न व निकटवर्ती क्षेत्र में शक क्षत्रपों का अधिकार हो चूका था और शायद सहारनपुर , हरिद्वार , बिजनौर के पुरे क्षेत्र या कुछ क्षेत्र शक राज्य के अंतर्गत आ चुके थे। कुणिंद /कुलिंद वंशी राजाओं के पास अल्मोड़ा व निकटवर्ती क्षेत्र शक आक्रान्ताओं से बचने का एकमात्र विकल्प रह गया था।
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 10/8/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --161
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -161
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