(सन्दर्भ :डा त्रिलोचन पांडे :कुमाउनी भाषा और साहित्य )
(इंटरनेट प्रस्तुती व व्याख्या - भीष्म कुकरेती )
ओ झकूरी यों ह्रदय का तारा , याद ऊँ छ जब कुल्ली बेगारा । .
खै गया ख्वै गया बड़ी बेर सिरा , निमस्यारी डाली गया चौरासी फेरा ।
सुण रे पधाना यो सब पुजी गो , धान ल्या चौथाई घ्यू को ।
ह्यूंन चौमास , जेठ असाढ़ा नंग भुखै बाट लागा अलमोड़ी हाट।
बोजिया बाटा लागा यो छिन कानै धारा , पाछी पड़ी रै यो कोड़ो की मार ।
यो दीन दशा देखी दया को कुर्माचल केसरी बदरीदत्त नाम ।
यो विक्टर मोहना , हरगोविन्द नामा , ये पूजा तीन वीर।
सन इक्कीस उतरैणी मेला यो , ये पूजा तीन वीरा गंगा ज्यू का तीरा ।
सरजू बगड़ा बजायी लो डंका , अब नौ रौली यो कुल्ली बेगारा ।
क्रुक सन सैप यो चाये रैगो , कुमैया वीर को जब विजय है गो ।
सरयू गोमती जय बागनाथ , सांति लै सकीगे कुल्ली प्रथा ।
(स्वतन्त्रता आन्दोलन सबंधी लोक गीत
(इंटरनेट प्रस्तुती व व्याख्या - भीष्म कुकरेती )
ओ झकूरी यों ह्रदय का तारा , याद ऊँ छ जब कुल्ली बेगारा । .
खै गया ख्वै गया बड़ी बेर सिरा , निमस्यारी डाली गया चौरासी फेरा ।
सुण रे पधाना यो सब पुजी गो , धान ल्या चौथाई घ्यू को ।
ह्यूंन चौमास , जेठ असाढ़ा नंग भुखै बाट लागा अलमोड़ी हाट।
बोजिया बाटा लागा यो छिन कानै धारा , पाछी पड़ी रै यो कोड़ो की मार ।
यो दीन दशा देखी दया को कुर्माचल केसरी बदरीदत्त नाम ।
यो विक्टर मोहना , हरगोविन्द नामा , ये पूजा तीन वीर।
सन इक्कीस उतरैणी मेला यो , ये पूजा तीन वीरा गंगा ज्यू का तीरा ।
सरजू बगड़ा बजायी लो डंका , अब नौ रौली यो कुल्ली बेगारा ।
क्रुक सन सैप यो चाये रैगो , कुमैया वीर को जब विजय है गो ।
सरयू गोमती जय बागनाथ , सांति लै सकीगे कुल्ली प्रथा ।
(स्वतन्त्रता आन्दोलन सबंधी लोक गीत
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