Best Harmless Garhwali Literature Humor , Jokes ; Garhwali Literature Comedy Skits , Jokes ; Garhwali Literature Satire , Jokes ; Garhwali WitLiterature , Jokes; Garhwali Sarcasm Literature , Jokes ; Garhwali Skits Literature , Jokes; Garhwali Vyangya , Jokes; Garhwali Hasya , Jokes;
क्या मैं चिर सुंदरी भुंदरा बौ को भगाकर लाया हूँ ?
ब्याळि जब मीन 'भुंदरा बौ के चर्चे हैं हर मकान पे , हर मचान पे , हर जुबान पे' लेख इंटरनेटौ बनि बनिक माध्यमुं मा पोस्ट कार त फोनुं झड़ी लग गे। मुंबई मा अधिकतर दगड़्या अर दगड़्याणि नाराज छन कि ऊंन बि भुंदरा बौक बारा मा बात करी छौ पर मीन ऊंको नाम किलै नि दे। गाँव बिटेन सुंदरा बौ अलग नराजी दर्शाइ बल मि भुंदरा बौ पर अधिक ही मेहरबान छौ छौं अर वीं (सुंदरा ) तैं बिसरि ग्यों। देहरादून बटे गुंदरा बौन तो SMS कार कि आज से कुट्टी।
खैर बौ छन तो आपस मा जलन , ईर्ष्या , डाह हूण लाजमी च। क्वी द्यूर एक बौ तै बांसौ चुप्पा मा बैठाल तो दुसर बौका अंदड़ म्वाट ह्वाला ही , दुसर बौवक मुखड़ि गुस्सा मा लाल ह्वेलि इ , हैंकि बौन भरचेक म्वास हूणि च।
पर ब्याळि कुछ हौर फोन बि ऐन जांकि कल्पना न तो भुंदरा बौन कार ना मीन स्वाच छौ अर भुंदरा बौकी इ सौं सौगंध तुमन बि इन कल्पना नि कौरी होली।
दिल्ली बिटेन एक फोन आयि अर सीधा बुलण बैठ , " आप अफु तै क्या समझदवां ? चोरी करदा शरम ल्याज नि आदि ? दुसराक बौ भगैक ली आंदा अर वीं तैं अपण बौ घोषित कर दींदा ? कुछ तो शरम कारो चोर , डाकू , बेशरम लेखक ! "
मि झसके ग्यों अर कनि करिक बि मीन पूछ ," जी पैल इन त बताओ कि मै पर बौ भगाणो भागार -आरोप लगाण वळ तुम कु छंवां ?"
जबाब छौ ," मि दिल्ली रौंद , म्यार नाम शोभा भारद्वाज च अर जामणी , सल्ट म्यार गौं च। कुला नन्द भारतीय जी म्यार दादा जी लगदन। "
मि - औ बड़ी भली बात च।
जबाब -हाँ जैक चोरी करिल्या तो तुमन भली बात बुलण ?
मि - पर मीन क्यांक चोरी कार ?
उत्तर - कुलानन्द भारतीय जी की 'काळी' तैं तुम चुरैक , भगैक, उठैक लौवां अर भुंदरा नाम से सब जगा प्रसिद्ध करणा छंवां। कुछ तो लाज शरम कारो। दुसराक ब्वारी याने कुलानन्द जीकी 'काळी' तै अपण बौ बथांद शरम नी आणि च ?
मि -शोभा जी ! कुलानन्द भारतीय जीकी 'काळी' पुरुष निर्भर युवा स्त्री च अर सास ससुर से बि प्रताड़ित विवस नारी च तो मेरी भुंदरा बौ शक्तिशाली नारी च।। काळी ' दिल्ली जाणै इच्छा रखदी किंतु मेरी भुंदरा बौ गांव तै दिल्ली बणानो जुगत मा रौंदी। तुम तै गलतफहमी ह्वे गे कि मीन कुलानन्द जीकी 'काळी 'भगाई अर वींको नाम भुंदरा धौरिक प्रसिद्ध कर द्याई।
शोभा भारद्वाज- सच बुलणा छंवां ? खावो भुंदरा बौकी कसम कि काळी भुंदरा बौ नी च।
मि -शोभा जी ! कुलानन्द भारतीय जीकी 'काळी' पुरुष निर्भर युवा स्त्री च अर सास ससुर से बि प्रताड़ित विवस नारी च तो मेरी भुंदरा बौ शक्तिशाली नारी च।। काळी ' दिल्ली जाणै इच्छा रखदी किंतु मेरी भुंदरा बौ गांव तै दिल्ली बणानो जुगत मा रौंदी। तुम तै गलतफहमी ह्वे गे कि मीन कुलानन्द जीकी 'काळी 'भगाई अर वींको नाम भुंदरा धौरिक प्रसिद्ध कर द्याई।
शोभा भारद्वाज- सच बुलणा छंवां ? खावो भुंदरा बौकी कसम कि काळी भुंदरा बौ नी च।
मि -भुंदरा बौकी कसम ! कुलानन्द भारतीय जीकी 'काळी' मेरी भुंदरा बौ नी च।
शोभा भारद्वाज - सॉरी ! फिर ठीक च।
इना शोभा भरद्वाजन फोन काट तो उन एक हैंक फोन दिल्ली से इ आयि।
दिल्ली से रोषीली आवाज - नमस्ते चचा जी।
मि -हैं आशीर्वाद। चचा जी बि बुलणा छंवां अर गुस्सा मा बि ? मीन नि पछ्याण ?
यशोदा खुगसाल - मि यशोदा खुगसाल छौं , कन्हैयालाल डंडरियाल जी की पुत्री अर खुगसाल जी की पुत्रबधू।
मि -धन्यभाग म्यार कि डंडरियाल पुत्री अर जयानंद खुगसाल जी की पुत्रबधू से बात हूणि च।
यशोदा - चचा जी , चमचागिरी , चापलूसी से आप म्यार गुस्सा शांत नि कर सकदां। समिण पर हूंद तो मि क्या से क्या कर दींदु धौं !
मि -ब्यटा ह्वाइ क्या च ?
यशोदा डंडरियाल खुगसाल - इन बतावो दुसरैक बेटी ब्वारी भगैक लांद तुम तै शरम -ल्याज नि ऐ ?
मि -हैं ? मीन दुसराकी बेटी -ब्वारी बि चुरै याल अर मि तैं इ नि पता कि मीन यु काम कार ?
यशोदा -चचा जी ! तुमन बुबा जीकी 'कीड़ी की ब्वे ' चुराई अर वींक नाम भुंदरा बौ नाम धर दे। यु आपन ठीक नि कार। बुबा जीका संस्कार नि दियां हुँदा तो मीन गाळी दे दीण छौ कि आपन म्यार बुबाजीकी 'कीड़ु की ब्वे ' चोरी कर दे।
मि समजी ग्यों कि यशोदा कु मंतव्य क्या च तो मीन उत्तर दे - यशोदा बेटी ! डंडरियाल जी की कीड़ु ब्वे कखि ना कखि दुर्बल , अशक्त , लाचार, इंट्रोवर्ट स्त्री छे , तबि त लोग करुणा से भर जाँदा छया। जब कि मेरी भुंदरा बौ शसक्त , भिभरट्या , एक्स्ट्रोवर्ट स्त्री च। कखि बि साम्यता नी च। तो चोरी का सवाल इ नी च। डंडरियाल जीकी , खुगसाल जीकी कसम।
यशोदा -आपन बुबाजीकी , ससुर जीकी कसम खयाल तो फिर आप सही ह्वेल्या। क्षमा चचा जी मीन बेकार मा आप तै।
मि -क्वी बात नी च।
इना यशोदा कु फोन कट तो ऊना पौड़ी बिटेन त्रिभुवन उनियाल जीक फोन आई।
मि -उनियाल जी नमस्कार
त्रिभुवन उनियाल - नमस्कार उमस्कार जाए भाड़ मा। इन बतावो कि तुमन मेरी बौ किलै भगाई अर वीं तै बिना मेरी आज्ञा का भुंदरा नाम किलै द्याई ?
मि - भौत गुस्सा मा छंवां ?
त्रिभुवन - जरा क्वी तुमर घौर बिटेन एक चमच चोरी करिक ली जाल तो तुम पर क्या बीतदी ?
मि - भौत बुरु लगद। जिकुड़ी जळ जांद।
त्रिभुवन - तो जु आपन मेरी बौ चुर्याई अर वीं तै भुंदरा नाम देइ तो में पर क्या बीतणी होली ?
मि - ऊँ ऊँ ! उनियाल जी ! या बात सै च कि मि तुमर बौ से भौत प्रभावित छौ अर बोलि सकुद कि एक हद्द तक आपकी बौ का प्रति ओब्सेस याने मनोग्रहीत बि छौ। किन्तु आपकी बौ अर मेरी बौ एकी कुल की ह्वेका बि अलग अलग छन। द्वी आधुनिक छन , द्वी दीन दुनिया की खबर रखदन , द्वी एक्स्ट्रोवर्ट छन , द्वी अपण द्यूर का प्रति समर्पित छन अर द्वी कुसंगति से घृणा करदन। किन्तु यदि आप अध्ययन करिल्या तो दुयुंक चरित्र मा असमानता बि च। दुयुंकी अपणी अपणी विशेषता च जी।
उनियाल - ना जी ना। आपन अपण बौ तै भुंदरा नाम दे तो मेरी बौ केवल बौ छे।
मि -हाँ आपन द्यूर तै नाम दे गबरू अर बौ तै अनाम ही रण दे।
त्रिभुवन -एक बात बतावदी ! क्या या भुंदरा बौ असल मा छैं च ?
मि -हाँ।
उनियाल - जरा बताओ तो सै कख रौंदी। मि त सरा गढ़वाल घुमणु रौंद तो दर्शन बि करी ल्योलु।
मि -औ ! तो त्रिभुवन जी ! तुमर विचार मेरी भुंदरा बौ तै चुर्याणो कु च ?
त्रिभुवन - साहित्य मा बि त बदला लिए जांद कि ना ? टिट फॉर टाइट !
मि -मेरी भुंदरा बौ को ढँढते रह जाओगे उनियाल जी !
26/8 /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं। इस लेख की घटनाएँ सर्वथा काल्पनिक हैं।
Garhwali Vyangya, Jokes ; Garhwali Hasya , Jokes ; Garhwali skits , Jokes ; Garhwali short Skits, Jokes , Garhwali Comedy Skits , Jokes , Humorous Skits in Garhwali , Jokes, Wit Garhwali Skits , Jokes
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments