सन २०११ ई. क ल्याखा ज्वाखा (कुछ खास घटनाअं )
भीष्म कुकरेती
(Garhwali Satire, Garhwali Humour, Himalayan Language Satire, Satire from Uttarakhandi Languages)
भीष्म कुकरेती
उन त कै बि सालौ लेखा जोखा दीण कठण इ होंद. जन जन आँखी तन तन घटनाउं दिखण मा विवधता ह्व़े जांदी.
हमखुण ज्वा बात गौड़ बियाण जन महत्वपूर्ण होंदी हैंका कुण मूसी बियाण जन तुच्छ बात होंदी. मनमोहन सिंग सिद्धान्तुं
मा हींग हगण (गरीबी ) हटौणो बान सिरफ़ अमीरों तैं प्रश्रय दिए जांद त भारतीय कम्युनिस्टी निष्ठा मा अमीरुं अर अमीरी
क ईं धरती मा क्वी काम इ नी च. मनमोहन सिंह क सिधांत गरीब हटाण चान्दन अर अमीर ल़ाण चान्दन त भारतीय
कम्युनिस्टी निष्ठा अमीरुं तैं मिठाण चांदन. गरीबी हटौणे कौंळ द्वी जगा गवे इ लगाणि रौंदी अर इन मा गरीबी हटौणे
कौंळ द्वी जगा पैथर इ रै जांदी
अब द्याखो ना भाजापाई मुंडअळी (हाई कमांड ) न डा रमेश पोखरियाळ तै मुख्य मंत्री क खुर्सी बिटेन धकये द्याई
अर भुवन चंद खंडूड़ी तैं मुख्य मंत्री क खुर्सी मा दुबर चिपकै द्याई. डा पोखरियाळ कु जाण अर खंडूड़ी क दुबर आण भारतीय
जनता पार्टी क दोगला पन की पोल खुल्दी. ये भै पैल त तुमन इमानदार मुख्यमंत्री हटायि अर फिर जब पोखरियाळ राज मा
जब तबादला उद्यम मा बढ़ोतरी, घूस -भ्रष्टाचार को राज ह्व़े अर जगा जगा भाजापाई सरकार की जग-हंसाई हूण लगी, चुनौ
नजीक आण लगीन त भाजापाई मुंडअळी (हाई कमांड ) न सर से रमेश पोखरियाळ की जगा खंडूड़ी तैं खुर्सी मा पतकै दे .
वाह ! भ्रष्टाचार, भ्रस्टाचार्युं तैं टिक्क्वा (सह, समर्थन) दीण अर दगड मा अपणि छवि बि बणे क रखण हैं ? इ द्वी चीज
कबि दगड़ी ह्व़े सकदन ? अच्छा ! भुवन चन्द्र तैं मुख्यमंत्री क खुर्सी मा बिसौण ( थक उतारने हेतु बैठना ) जन धौर त दे पण
जु कारिन्दा , मंत्री डा रमेश क दगड छ्या उंकी खुर्सी जन्या की तन्नी . य़ी भाजापाई वल़ा अबि बि जनता तैं सीधा साधा नि
समजदन बलकण निरपट लाटो , कालो , बेवकूफ समजणा छन, उंह ! क्या अबि बि २०११ मा जनता बेवकूफ च ? जु
भाजापा क दियीं भुवन चन्द्र खंडूड़ी नाम की खिळवणि/पिंपरी से बौगे जाली ?
डा मनमोहन सिंह क आर्थिक सिद्धांत की पोल त हौरी बि तब खुल जब प्लानिंग कमीसन न भारतीयुं तैं सन २०११ मा बताई बल
भारत मा गरीब तीन चार सौ रूप्या मा अपण घौर चलै सकद बल. वाह ! डा. मनमोहन सिंह क सिद्धांत ! वाह ! जख अम्बानी सरीखा
अमीर क तीन चार सौ कमरों क ड्यारौ खर्चा सालाना तीन चार सौ करोड़ रूप्या ह्वाऊ वख गरीब तीन चार सौ रुपया मा जिंदगी जी ल्यालु !
मनमोहन सिंह जी ! आग लगावा तै सिद्धांत पर, गुज्यर चुलाओ तैं सिद्धांत तैं.
गद्दाफी की हत्या अर मुबारक हुसैन को राज पाठ छोडिक जाण बथान्दन बल जब तलक अमेरिका जन डमडमो, स्वार्थी देश को
हाथ पैथर राओ त कुकर्मी, निर्दयी, नीच तानाशाह बि भौत सालों तक राज कॉरी सकद अर जै दिन अमेरिकी स्वार्थ पूर्ती बन्द ह्वाई ना
की प्रजातंत्र बहाली क नाम पर गद्दाफी की मौत होली अर मुबारक हुसैन तैं राज पाठ छुड़ण पोडल. कनी बि अमेरिका की गुलामी करण
आज एक परम, अटल सत्य च
अमेरिका क सेना क इराक बिटेन जाण बि ये साल की बडी घटना च अर अमेरिका की फ़ोकट की धौंस बाजी, रौबबाजी , हेकड़ी बाजी
को एक ज्वलंत उदारण च . अमेरिका तैं अपुण देस मा छोडिक प्रजातंत्र की कबि बि चिंता नि राई अमेरिका तैं त बस अपण स्वार्थ पूर्ति अर रौब दाब इ चयेणु च .
सन २००१ के अभिन्न घटना - टू जी स्कैम अर कॉमनवेल्थ गेम्स घुटाल़ा बथान्दन बल हर जुग मा धृतरास्ट्र काणो/अंधा राजा ही पैदा होन्दन. डा. मनमोहन सिंह तैं इमानदार
प्रधान मंत्री माने जांद पण म्यारो बुलण च मनमोहन सिंह से बड़ो काणो/नेत्रहीन /अंधा/स्वार्थी राजा (प्रधान मंत्री) आज तक भारत मा ह्वाई नी च . अरे
पाणी भर्युं घौड़ जरा सी बि फुटदो त आस पास हीलू ह्व़े जांद. अर हमारा दर्शन -न्याय/तर्क शास्त्र हिसाब से हम तैं पता चौली जांद बल घौड़ मा
पाणी छौ . त हे मनमोहन सिंह जी (जु इमानदार प्रधान मंत्री छन) ! तुम तैं पता इ नि चौल बल तुमर राज मा इतिहास जनक घोटाल़ा/घपला/गडबड/गोलमाल
होणा छन?वाह ! जनाब इमानदारी का पुतला ! तुम से बड़ो काणो राजा त धृतरास्ट्र बि नी ह्वाई. इमानदारी को द्यू /दिया मनमोहन सिंह जी ! धृतरास्ट्र त आँखों अंधा/काणो
छौ पण तुमन सिद्ध करी दे बल कन स्यूं आँखों का बि कन अंधा /काणो हुए सक्यांद अर जब भविष्य मा बच्चों तैं स्यूं आँखों का कन अंधा/काणो हुए जांद
का उदाहरण दिए जाला त बुले जालो बल डा. मनमोहन सिंह माने स्यूं आँखों काणो /अंधा मनिख. इमानदार मन मोहन सिंह जी ! आपन अर्थ शास्त्र मा डॉक्टरी कार
आप रिजर्ब बैंक का गबर्नर बि रैन त साब , त जनाब ! इमानदार प्रधान मंत्री जी ! अप बि जाणदा हवेला की मैंनेज्रियल अकौंटिबिलिटी अर रिस्पोंसिबिलिटी क हिसाब से त
आपका प्रधानमंत्रित्व काल मा हुयां स्कैम का असली दोषी/पापी/कसूरवार/अभियुक्त/मु जरिम आप ही छन कि ना ? इमानदार प्रधानमंत्री जी ! क्या इमानदारूं मा
आत्मा/चेतना/अन्तःकरण/ब्रह्म/ धर्म को सरासर ह्र्चंत ह्व़े जान्दो ?
सन २०११ की सबसे बडी घटना च अन्ना हजारे क भारतीय सामाजिक अर राजनैतिक अस्मान मा आण . पण अन्ना हजारे को आण अर फिर २८ दिसम्बर खुणी
हताशा मा अपण अनशन तोड़ी दीण कथगा इ सवाल छोड़ीगे. लोक सभा मा लोकायुक्त बिल पास हूण अर वी बिल राज्य सभा मा पास नि हूण बि अन्ना हजारे प्रकारण
को ही हिस्सा च .
अन्ना हजारे आन्दोलन से साबित ह्व़े बल राजनीति सिरफ़ स्वार्थी इ नी च बल्कण मा निर्दयी , कठोर बि च. पैलक रज्जा स्वार्थ बशीभूत अपण बुबा , अपण भयात तैं
ही मारी दीन्दी छया आज को प्रजातंत्र मा बि इनी होणु च . हाँ ! केवल हत्या जन बात दूर इ च पण राजनैतिक स्वार्थ का बान झूट तैं सच घोषित करण, सच तैं झूट
बणे दीण , अपण स्वार्थ का बान जनता क्या अपण बुबा तैं तैं सरेआम धोखा दीण, लम्पटगिरी, छाल-परपंच, आत्मा की हत्या, बेईमानी की पूजा, कर्म कुकर्म,
अपण गुनाहों तैं खुले आम दूसरों पर थोपण, चोर का चर्र चर्रा बोल, भ्रस्टाचार तैं ज्युंद रखणो बान भ्रष्टाचार तैं खूब गाळी दीण, सब कुछ हमन अन्ना हजारे आन्दोलन प्रकरण
मा खुले आम द्याख.
अर एक हैंकि बात बि लोगुन नोटिस कार जब अन्ना हजारे तैं मीडिया अर लोगुं क अपार, अणथक जन समर्थन मील त अन्ना हजारे क टीम बि बेलगाम
घोर डिक्टेटर जन आचरण करण लगी गे छे . उ त मुंबई मा २७ दिसम्बर खुणी अन्ना हजारे क अनशन मा लोक नि ऐन त अन्ना हजारे अर हजारे क
टीम तैं अकल आई की जन आन्दोलन मा डिक्टेटरी भली नि होंदी, लोग सब जाणदा छन , लोग सब पछ्याणदा छन अर समौ पर ही बुल्दन, जनता समौ पर
इ अपण सक्यात/तागत दिखांदी
अन्ना हजारे अर हजारे की टीम तैं समजण चएंद बल महात्मा गाँधी तैं भारतीय इ ना हौरू लोगुं क समर्थन थौ पण गांधी जीन ब्रिटिशुं समणि तानाशाही
कबि बि नि दिखाई. अर कोंग्रेस तैं बि बिंगण चएंद बल बाबा रामदेव तैं भगाणो बान कोंग्रेस्युं तानाशाही क तेवर ठीक नि छया . बाबा राम देव तैं बि समजण चएंद
जनता क भलो बान लाठी-गोळी खाण इ पड़द . बाबा राम देव समजी त गेई होला बल पुलिस क डौर न स्टेज बिटेन फाळी मारिक भजण वालुं तैं भारतीय जन मानस
ना त गाँधी क च्याला माणदी ना ही महान ऋषि पातंजलि क शिष्य. डौरक भजण वाळ तैं ना त जोगी बुले जांद अर ना ही नेता वै तैं त डरख्वा ही बुले जांद.
बाबा रामदेव जी ! जनता सब जाणदी च सब पछ्याणदी च अर समौ पर ही अपण हथियार निकाल्दी. जनता तुमर जन हर समय बक बक नि करदी.
Garhwali Satire, Garhwali Humour, Himalayan Language Satire, Satire from Uttarakhandi Languages to be continued in next issue
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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