सन २०१२ की बाक (भविष्यवाणी )
(Garhwali Humour, Garhwali Satire, Humour and Satire from Uttarakhandi Languages,
Satire and Humour in Himalayan Languages.)
Bhishm Kukreti
अब जन कि रिवाज च नयो सम्बत्सर मा गौं का पंडित जी नै सालौ भविष्य बथान्द .
ए साल बान बि पन्डि जी न बाक बोली.
जन कि ये साल बि ह्यूंद मा हिमाला मा बर्फ़बारी ह्वेली अर मैदानी इलाका मा ठंड पोड़ली.
अमीर लोकुं कुणि कंपकंपी जड्डू आनंद दायक होलू. अमीर लोक अपण गरम कोट, गरम सुलार, गर्म पैंट
गरम मफलर, गरम स्वेटर, गरम दस्ताना , गरम डिसाण , हीटर , गीजर का प्रयोग जड्डू भगाणो बान कम कारल
पण यूँ चीजुं तैं अपण अमीरी दिखाणो बान जादा प्रयोग कारल.
गरीब लोक परेशान राला बल इन कर्करू जड्डू मा ज्यान बचाणो लारा कखन ल़ाण . राती आग तापणो लखड़ कखन
लाण !
जड्डू मा अमीर लोक जड्डू खाणो कश्मीर, शिमला, मसूरी, नैनीताल जाला अर उख जड्डू अं मजा ल्याल.
ठनडन गरीब लोक मोरणा राला अर सरकार भर्वस अ हीटर चलाणी राली , गैर सरकारी दल विरोध का गरम बथौं
चलैक माहौल तैं गरम करणे कोशिश करणा राला. सबी राजनैतिक दल गरीबुं मरणो क आग मा अपण राजनैतिक
भड्डूअ दाळ पकाणा राल .
पैथराँ सरकारी कुम्भकरणी निंद टुटली अर जड्डू निरोधक इन्तजामौ बान ठेकेदारूं खोज ह्वेली. टेंडर पास कराये
जाल.
इथगा मा रुड़ी ऐ जालो अर इना सरकारी ठेकेदार शीत निरोधक योजनौ पर काम शुरू कारल कि टी.वी. अर
प्रेस मीडिया से गैर सरकारी द्लूं तैं पता चौलल बल रूडी ऐ गे अर पारा पैंतालीस डिग्री तलक जाण बिसे गे . गैर सरकारी
द्लूं तैं टी.वी चैनलूं अर प्रेस मीडिया से इ पता चौलल बल ल़ू से सैकड़ाक लोख मोरी गेन. जनि गैर सरकारी द्लूं तैं
टी.वी. चैनल अर प्रेस से पता चौलल बल गौंऊँ मा शहरुं मा पाणी कि कमी ह्व़े गे, ग्रामी क बीमारी सौरणि(फ़ैलण )
त सबी राजौं क विरोधी दल मुख्य मंत्री से इस्तीफा मांगल तब हरेक राज्य का मंत्र्युं अर प्रशासन तैं पता चौलल बल
राज्य मा रुड़ी /गर्मी से कुहाल ह्व़े गे. बस दे दनादन रुड़ी निरोध का कथगा इ योजनौं बान जेठअ मैना मा ठेकेदार तैनात
ह्व़े जाला . उना जड्डू निरोधक का काम शुरू इ नि ह्व़े कि इख जेठ मैना क अंत मा ग्रीष्म निरोधक योजनौं का दस्ता गौं गौं ,
शहर शहर पौंची जाला .
इना ग्रीष्म निरोधक ठेकेदार पाणी कनो बट्याण पर काम शुरू कारल कि तैबरां बरखा अर बाढ़ आई जैली . टी.वी अर
प्रेस से ही भादों -असूज मैना मा सरकार तैं पता चौलल बल बरखा से जन जीवन असत व्यस्त ह्व़े गे त बाढ़ रोको योजना
बौणली अर बाढ़ रोको योजना का ठेकेदार गौ-गौ अर शहर-शहर पौंची जाला . पण हे भगवान !
तैबारी जड्डू अपण प्रकोप फैलाण शुरू करी दयालो.
सरकार, सरकारी महकमा को काम करणो ढर्रा, फिलम कु ढर्रा अर चिलम पीणो ढर्रा मा बदलौ नि
होंद त पन्डि जी कि बाक (भविष्य बाणी ) बि झूट नि होंदी. सन द्वी हजार मा बि इनी ह्व़े छौ, सन २०११ मा बि इनी ह्व़े
त सन द्वी हजार बारा मा बि इनी होण . पन्डि जी झूट बोली नि सकदन किलैकि सरकार अर सरकारी महकमा अपण काम करणों
ढर्रा मा बदलाव लाण से रै त सब कुछ इन चलणो रालू .
रघुकुल रीति सदा चलि आई , कुवां कि खुदाई बाढ़ को मौसम मा ही ह्वाई
जड्डू भगाओ नीति तहत जेठ मा कमुळ बंट्याय़ी . हे भगवान क्या खज्यात आई
Garhwali Humour, Garhwali Satire, Humour and Satire from Uttarakhandi Languages,
Satire and Humour in Himalayan Languages to be continued in next issue....
Copyright@ Bhishm Kukreti
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