कुतगळी अर खैड़ाs कटांग
हे! खिल्वणि : तेरा कथगा रूप ?
(Garhwali Humour, Garhwali Satire, Humour and Satire from Uttarakhandi Languages,
Satire and Humour in Himalayan Languages)
भीष्म कुकरेती
खिल्वणि काम बौगाण होंद . खिल्वणि आजी ना पुरण जमानो मा बि छया.
खिल्वणि बच्चों ह्वेन या बूड दुयूं तैं पसंद आंदो. हाँ खिल्वणि क ढांचा समौ, जगा, ,
अर वर्ग को हिसाब से , भौं भौं का प्रकारअलग अलग रूप होन्दन. ढुंग जुग/पाषाण युग की
खिल्वणि आज बूड या बच्चों तैं रास त ना अली पण जु यि खिल्वणि म्यूजियम मा राली
त सब्युं तैं रौंस देली , हरेक खुणि मजा की बात ह्वेली .
खिल्वणि कै बि जुग की ह्वावन पण छ त 'हैब्स अर हैब्स नॉट ' भेद करणे निसाणि.
हरेक जुग मा खिल्वणि बर्ग भेद (क्लास डिफरेन्स ) करण मा कामयाब राई च . राजा अर राजकुमार
हाथी मा बैठिक हाथी , शेर , गैंडा तैं खिल्वणि जाणिक यूँ जानवरूं शिकार करदा छा त गरीब गुरबा
चखुली तैं खिल्वणि मानिक पथरों न शिकार करदा छा. कती लोक स्याळ , कुरस्याळऊँ दगड
प्रतिस्पर्धा करदा छा अर सौलु तैं खिल्वणि समजिक सौले शिकार करदा छा.
हमन त बाळपन मा खिल्वणि द्याख नी छे हाँ म्यार गौळउन्द एक अज्वाणे (अजवाइन )
की थैली लटकी रौंदी छे . अज्वाणे वा इ थैली खिल्वणि बि छे अर पथ्य बि छे. जब हम रूस्वड़ ब्वालो या
बेडरूम ब्वालो क भितर रौंदा था त भांड कूंड, लुट्या (वो बि एक) , गिलास या थाळी इ हमकुण
खिल्वणि छया . भैर चौक मा जु बि माटो , गारो या कठग छया खिल्वणि छया. जौंका ब्व़े -बाब
जरा समजदार या ब्यूँतदार छया त ओ अपण छ्वटों कुण रिंगाळ की पिंपरी बणेक दीन्दा छया .
जरा बड़ होण पर हम अपण पाटी, बुळख्या अर कम्यड़ू तैं इ खिल्वणि समजिक खेल करदा छया.
प्याजौ बगत पर प्याजौ डंकुळी से पिंपरी बजान्दा छया. हमर बगत मा बस यो ही खिल्वणि छया.
अब त खिल्वणियूँ मा बि भौत विकास ह्व़े गे . अब त मनोविज्ञान का हिसाब से
खिल्वण अर खिल्वणि बणना छन. अर इलेक्ट्रोनिक टॉयज को त क्या बुन ! हाँ गरीबुं खुणि
प्लास्टिक का खिल्वणि अर मातबरूं / अमीरुं खुणि मनोविज्ञान का हिसाबन खिल्वणि उपलब्ध छन .
खिल्वणि खाली बच्चों खुणि इ नि होन्दन बल्कण मा राजनीति का खल्यण /खलिहान
मा तक बैक (प्रौढ़) जनता कुणि बि खिल्वणि इजाद करे गेन अर रोज इ असंख्य खिल्वणि
राजनीति कबौण मा कुल्चर करे जान्दन.
मि तैं याद च जब उत्तरप्रदेश मा पर्वतीय मंत्रालय खुली छौ त भग्यान शिवा नन्द नौटियाल
न धाई लगैक , किरैक, फडेक , ऐड्याट भुभ्याट कौरिक बोली छौ , "उ.प्र. सरकार ने पहाड़ियों को
पर्वतीय मंत्रालय डे कर झुनझुना पकड़ा दिया है." शिवा नन्द नौटियाल तैबारी विरोधी पार्टी मा छया
त पृथक पर्वतीय मंत्रालय तैं खिल्वणि बतायी .पण जै तैं बि जब बि पर्वतीय मंत्रालय की
खुर्सी मील वो बड़ो उलारी / उत्साही भौण मा बुल्दु छौ, " पर्वतीय मंत्रालय खिल्वणि नी च बल्कण मा
पहाड़यूँ बान रसगुल्ला च, गुलाबजामुन च, अरसा च, रसमलाई च, अरे राजभोग च ."
इथगा मा शिवा नन्द जी औडळ बीडळ ल्हैका बोल्दा छया , " हाँ पृथक पर्वतीय मंत्रालय राजभोग त छें
च पण वैखुणि जु पर्वतीय मंत्रालय को मंत्री बौण." विरोध अम छया त नौटियाल जी न इन बुलणि छौ
हाँ पर एक बात सत्य च जु पर्वतीय मंत्रालय का मंत्री -संतरी रैन वूं खुण पृथक पर्वतीय मंत्रालय
राजभोग इ राई अर पहाड़ी जनता खुणि पृथक पर्वतीय मंत्रालय खिल्वणि ही राई. उन दिखे जाओ त
पृथक उत्तराखंड राज्य बि अब पहाड़यूँ बान झुन झुना इ साबित हूणु च. हाँ ! खिल्वणि ज़रा बडी च .
अच्काल क्या आजादी मिलणो उपरान्त डिल्ली मा अर प्रदेसुं राजधान्युं मा रोज नी बि हवाव्न त
सैकडाक कमीसन बैठाए जांदा होला . अर कमीसन क्या खुणी की मंत्री न घूस खायी की ना , जनता की
क्या क्या परेशानी छन , बाढ़ किलै आन्द अर रुड़ी मा पाणी क किल्लत किलै हूंद. इख तलक कि
विधान सभा परिसर का आस पास कुत्ता किलै टंगड़ उठान्दन जन विषयूँ पर कमीसन बैठदा छन.
राजनीति क चौक / परिसर मा कमिसन बैठाण कुछ नी च बलकण मा जनता तैं
बौगाणो 'जिग्सौ पज्जल' च कमीसन अपण काम टैम पर करदो नी च अर जनता आस मा इ बौगीं रौंदी
राजनीति मा कमिसन बैठाण मतबल लोगूँ तैं कैबेज पिच किड्स कि खिल्वणि दीण कि लोग बौग्याँ
रावन .
जब लोक परेशान ह्व़े जान्दन अर आतुर्दी मा आन्दोलन करण बिसे जान्दन त सरकार क्वे कमिसन नाम क
कैलिडोस्कोप जन खिल्वणि जनता तैं पकडै दींद अर कैलिडोस्कोप मा जन बनि बनि क रंग से लोग रौंस लीन्दन
उनि कमिसन का रंग ढंग देखिक लोक अचेते जान्दन अर समस्या तैं बिसरी जान्दन. सरकारी कमिसन
जनता तैं असली समस्या से दूर रखणो खिल्वणि च ,
राजनीति मा नेताओं आश्वासन कुछ नी च बल्कण मा यो-यो, हुला -हूप, लेगो, बार्बी , , पोगो स्टिक, स्लिंकी.
सुपर सोकर , टेड्डी बियर , लिनकॉलिन लौग्स, रुबिक क्यूब्स, कोर्गी , जोवो, ऐन्ट फार्म, लीप फ्रौग , स्नूपी ,
जन खिल्वणि होन्दन . हाँ खिल्व णि त बच्चों तैं रौंस बि दीन्दी अर बौगांद बि च . पण राजनीतिक आश्वासन
रूपी खिल्वणि बस पैल पैल बौगांदी च अर बाद मा निराशा पैदा करदी .
उन यो फोकट मा बौगाणो काम आज इ नी होंद बल्कण मा पुराणो जमानो मा बि होंद था .
गुरु द्रोणाचार्य न त अपण नौनु तैं बौगाणो बान दूध कि जगा चूना क सुफेद पाणी पिलाई थौ.
खिल्वणि बौगांद बि च अर वर्ग भेद की बिसात बि बिछांदी करदी . जन आजकल
टॉय /खिल्वणि /खिल्वण उत्पादक नया अनवेषण/खोज करणा रौंदन की ग्राहकुं तैं नया नया
खिल्वणि मिलन उनि अजकालौ नेता लोक हर पल , हर सेकंड मा आश्वासन अर कमिसन बैठाण
की खिल्वणि जनता तैं दीणो बान खोज पर लग्यां रौंदन. द्वीई टॉय उत्पादक बि अर नेता लोक बि
खोजी छन.
Garhwali Humour, Garhwali Satire, Humour and Satire from Uttarakhandi Languages,
Satire and Humour in Himalayan Languages to be continues in next issue ...
Copyright@ Bhishm Kukreti
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