गढवाळीs नवाड़ी/ युवा गिताड़ (कवि) महेन्द्र सिंह राणा 'आजाद'दगड भीष्म कुकरेतीs लिखाभेंट
भीष्म कुकरेती : आप कविता क्षेत्र मा किलै आइन ?
सिमन्या भीष्म कुकरेती जी !!!!!!!
कविता लिखण मिते भलु लग्दु अर गढ़वाली कुछ ज्यादा ही पसन्द चा किले की
यख का लोग आज अपनी प्यारी बोली गढ़वाली ते भुलणा लगया छ अर ये ते बच्चयाण
मा भी दिलचस्पी नि रखदा। अपनी बात रखणु ते कविता सबसे भलु माध्यम लग्दु।
सिमन्या भीष्म कुकरेती जी !!!!!!!
कविता लिखण मिते भलु लग्दु अर गढ़वाली कुछ ज्यादा ही पसन्द चा किले की
यख का लोग आज अपनी प्यारी बोली गढ़वाली ते भुलणा लगया छ अर ये ते बच्चयाण
मा भी दिलचस्पी नि रखदा। अपनी बात रखणु ते कविता सबसे भलु माध्यम लग्दु।
भीष्म कुकरेती: आपकी कविता पर कौं कौं कवियुं प्रभाव च ?
प्रभाव त के भी कवियों को नि छ पर संयोगवश केंगी शैली भली लगी होलु त
मैन जरूर प्रयोग करी हवोलु।
भीष्म कुकरेती : आपका लेखन मा भौतिक वातावरण याने लिखनो टेबल, खुर्सी,
पेन, इकुलास, आदि को कथगा महत्व च ?
म्यारा लेखन मा त सबसे पेली शब्द को महत्व छ तब जै के कलम, कागज अर इकुलास।
भीष्म कुकरेती: आप पेन से लिख्दान या पेन्सिल से या कम्पुटर मा ? कन टाइप
का कागज़ आप तैं सूट करदन मतबल कनु कागज आप तैं कविता लिखण मा माफिक
आन्दन?
मी लिखनु का वास्ता जब भी जु मिली वे कु प्रयोग करदु। क्वी भी कागज हो
बस साफ हूण चेंदी मतलब की वें मा लिखनु का वास्ता जगह हूण चेंदी।
भीष्म कुकरेती: जब आप अपण डेस्क या टेबले से दूर रौंदा अर क्वी विषय
दिमाग मा ऐ जाओ त क्या आप क्वी नॉट बुक दगड मा रखदां ?
जी हाँ जरूर मी जब भी लंबा टूर पे जान्दु त अपणा दगड़ नोट बुक रखदू। वनी
अपणा बटुवा मा कोरु कागज भी हमेशा रखदू।
भीष्म कुकरेती: माना की कैबरी आप का दिमाग मा क्वी खास विचार ऐ जवान अर
वै बगत आप उन विचारूं तैं लेखी नि सकद्वां त आप पर क्या बितदी ? अर फिर
क्या करदा ?
बड़ी बुरी बितदी जी वे बकत मी अपणा बिचारो ते मन मा लिख लेन्दु। वनी त
अब मोबाइल ज़्यादातर साथ रेन्दु अर मी वे मा ही लिख लेन्दु।
भीष्म कुकरेती: आप अपण कविता तैं कथगा दें रिवीज करदां ?
मी अपनी कविताओ ते जब तक मन मा छपछपी नि पोड़ी तब तक रिवीज करदु।
भीष्म कुकरेती: क्या कबि आपन कविता वर्कशॉप क बारा मा बि स्वाच? नई
छिंवाळ तैं गढवाळी कविता गढ़णो को प्रासिक्ष्ण बारा मा क्या हूण चएंद /
आपन कविता गढ़णो बान क्वी औपचारिक (formal) प्रशिक्षण ल़े च ?
जी कविता वर्कशाप का बारा मा कभी नि स्वाच। जी कविता गढ़नों का बान क्वी
प्रशिक्षण भी नि ल्याई छ।
भीष्म कुकरेती: हिंदी साहित्यिक आलोचना से आप की कवितौं या कवित्व पर
क्या प्रभौ च . क्वी उदहारण ?
जी हिन्दी साहित्य जगत की मिते ज्यादा अनुभव छ अर अभी तक क्वी उदहारण भी नि च।
भीष्म कुकरेती: आप का कवित्व जीवन मा रचनात्मक सुखो बि आई होलो त वै
रचनात्मक सुखा तैं ख़तम करणों आपन क्या कौर ?
जी अभी त शुरुवात कनू च। कुछ पेली लिखी च पर वुं डाइरी तक ही सीमित रे
अर अब मी अपनी कविता ते लुगों का सामनी रख्णो च।
भीष्म कुकरेती: कविता घड़याण मा, गंठयाण मा , रिवाइज करण मा इकुलास की
जरुरत आप तैं कथगा हूंद ?
जी इकुलास की जरूरत मीते कलम की बराबर हुंद।
भीष्म कुकरेती: इकुलास मा जाण या इकुलासी मनोगति से आपक पारिवारिक जीवन
या सामाजिक जीवन पर क्या फ़रक पोडद ? इकुलासी मनोगति से आपक काम
(कार्यालय ) पर कथगा फ़रक पोडद
वक्त-वक्त पे निर्भर च।
भीष्म कुकरेती: कबि इन हूंद आप एक कविता क बान क्वी पंगती लिख्दां पं फिर
वो पंगती वीं कविता मा प्रयोग नि करदा त फिर वूं पंगत्यूं क्या कर्द्वां
?
जी मी उनु पंक्तियो ते संभाली के द्धोर द्यून अर उनु पंक्तियो पे नयी
कविता भी बणी जान्दी।
भीष्म कुकरेती: जब कबि आप सीण इ वाळ हवेल्या या सियाँ रैल्या अर चट चटाक
से क्वी कविता लैन/विषय आदि मन मा ऐ जाओ त क्या करदवां ?
जी मी भी चटाक से उठि के जु कुछ मन मा चलनू रोन्दु वे ते पूरी करदन
निंद भी त्बी जै के आन्दी।
भीष्म कुकरेती: आप को को शब्दकोश अपण दगड रख्दां ?
जी शब्दकोश त मी अपणा दगड़ नि रखदू।
भीष्म कुकरेती: हिंदी आलोचना तैं क्या बराबर बांचणा रौंदवां ?
जी कभी-कभार ही बकत कम ही मिल्दु।
भीष्म कुकरेती: गढवाळी समालोचना से बि आपको कवित्व पर फ़रक पोडद ?
अभी तक त इनी नि होई अर अगिना क्या होलु वे का बारा मा मी कुछ बोल नि सकदु।
भीष्म कुकरेती : भारत मा गैर हिंदी भाषाओं वर्तमान काव्य की जानकारी बान
आप क्या करदवां ? या, आप यां से बेफिक्र रौंदवां
जी बेफिक्र ही रोन्दु।
भीष्म कुकरेती : अंग्रेजी मा वर्तमान काव्य की जानकारी बान क्या करदवां आप?
जी अँग्रेजी मा ज्यादा रुचि नि रे।
भीष्म कुकरेती: भैर देसूं गैर अंगरेजी क वर्तमान साहित्य की जानकारी क
बान क्या करदवां ?
अपना देश की साहित्य जानकारी का बारा मा लगया च अभी जतिगा वक्त मिल्दु
वे मा यू काम भी पुरू नि होण्दु।
भीष्म कुकरेती : आप हिंदी, अंग्रेजी, या हौरी भाषाओं क क्वा क्वा कविता ,
कथा तैं गढवाली मा अनुवाद करण चैल्या ?
जी कभी मीते यू शोभाग्य मिललु त जरूर करलु।
भीष्म कुकरेती: आपन बचपन मा को को वाद्य यंत्र बजैन ?
जी वाद्य यंत्र त नि बजे पर हारमोनियम ब्जौन की काफी इच्छा च।
धन्यवाद जी !!!
महेन्द्र सिंह राणा 'आजाद'
Copyright@ Bhishm Kukreti
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments