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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, April 30, 2014

झुपड़ा जळणो दुःख जरुर च पण आग तापणो ख़ुशी क्या कम हूंद ?

हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

मि -हैं ! क्या तू यीं उमर मा मांगळ लगाण सिखणि छे ?
घरवळि  -जै जस दीना यूरोपियन कमिसन येssssss  
मि -यां क्या बात कि तीन आज तक कबि बि मांगळ नि लगाइ अर आज तू मांगळ लगाणी छे ?
घरवळि  -जै जस दीना यूरोपियन यूनियन येsssss 
मि -ह्याँ कैक ब्यावक बान मांगळु प्रैक्टिस करणी छे ? 
घरवळि  -जै जस दीना यूरोपियन इम्पोर्ट पॉलिसी येssss 
मि -ह्यां यी कैं भौणक मांगळ च ? 
घरवळि  -जै जस दीना इंडियन अल्फांसो मैंगो येssss 
मि -मेरी माँ उत्तर तो दो !
घरवळि  -जै जस दीना रत्नागिरी को हापूस येssss 
मि -व्हाट इज दिस हैपनिंग ?
घरवळि  -पता च यूरोपियन यूनियनन  भारतीय आमुं आयत पर रोक लगै आल। 
मि -क्या ? 
घरवळि  -हाँ ये साल भारत यूरोप तैं आम निर्यात नि कौर सकुद। 
मि -किलै ?
घरवळि  - भारत का आमुं दगड़ कुछ कीड़ा बि चल जांदन जु यूरोप मा अधिक नुकसानदायक हून्दन। 
मि -त इखमा खुस हूणै बात क्या च।  इखमा त रूणै बात च कि अब भारतीय आमुं निर्यात यूरोप मा नि होलु। 
घरवळि  -नै नै मि त भौत खुस छौं।  मि त पुळयाणु छौं कि अब भारत से आम एक्सपोर्ट नि ह्वाल।   
मि -ह्याँ पण पता च यूरोप हमकुण भौत बड़ो बजार च। 
घरवळि  -मी त प्रसन्न छौं। 
मि -पता च यूरोप तैं मैंगो एक्सपोर्ट से भारत तैं फॉरेन करेंसी मिल्दी छे अर मैंगो ऐक्स्पोर्टरु मा जोश  रौंद छौ। 
घरवळि  -पर मैंगो एक्सपोर्ट से हम आम आदम्युं जोश  तो जमींदोज ह्वे जांद छौ 
मि -पर आमुं निर्यात से मैंगो ग्रोवेर्स याने किसान उमंग मा रौंद छा। 
घरवळि  -किन्तु हम सरीखा लोगुं उमंग पैदा ही नि हूंद छौ।  
मि -ह्यां पण। 
घरवळि  - भौत सालुं से तुमन रत्नागिरी का हापुस याने अल्फांसो बि खायी ?
मि -खायी ? पता नी कुज्यणि कथगा साल हमन त अल्फांसो द्याख बि नी च। 
घरवळि  -हमन  गुजरात को केसरी आम बि चाख ?
मि -चखण त राइ दूर भौत साल बिटेन गुजरात केसरी आम की सुगंध बि नि सूंघ। 
घरवळि  -अर उत्तर प्रदेश का दशहरा , लंगड़ा आम ?
मि -मि त बिसर ग्यों कि भारत मा दशहरा -लंगड़ा आम बि पैदा हूंद। 
घरवळि  -किलै ?
मि -अरे अल्फांसो , केसरी या दशहरा आम इथगा मैंगा हूंदन की यूं सवादी किन्तु  मंहगा आम खौंला तो फिर हम खाणक खाण लैक बि नि रौंला।  
घरवळि  -मतबल हम बेसवादी आमुं से आमुं सीजन काडदा कि ना ?
मि -हाँ। 
घरवळि  -अर अब जब अल्फांसो जन आम निर्यात ही नि होला तो अफिक सवादी आमुं कीमत कम ह्वे जाल अर ज्यादा नासै एकाद दाणी त चाखि ल्योला कि ना ?
मि -हाँ , यदि यूरोप भारतीय आम निर्यात नि ह्वाल तो यूँ आमुं कीमत कम  हूण लाजमी च तो शायद इस साल हम भी अल्फांसो जैसे आम चूस सकेंगे। 
घरवळि  -बस अल्फांसो , दशहरा जन आम सस्ता ह्वे जाल अर यूँ खाणो आस मा खुस हूणु छौ , पुळयाणु छौं ,   प्रसन्न हूणु छौं। 
मि -हा हा हा हा हा …… हा हा हा हा …।  
घरवळि  -हैं तुम यी पागल जन किलै हंसणा छंवां ? 
मि -इ त इनि च जन बर्फीली रात मा कै गरीब की झोपड़ी जळणु हो  अर वैक परिवार खुस ह्वावु कि आज एक रात त आग तापणो त मील गे। 


Copyright@  Bhishma Kukreti  29/4/2014 

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  

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