(गढ़वाली गजल )
गजलकार -जगमोहन सिंह बिष्ट
कुर्सी का जागर लग्यां छिन सुणद जा ,
वोट का खांकर बज्यां छिन सुणद जा।
बैठ दादा क्वी नि निकाळी सकुद भैर ,
गिगड़ा गागर मा भर्यां छिन दिखद जा।
घुंणडु कीलु लगौन्दन प्रीती की ,
कपाळ का टांका बुना छिन सुणद जा।
अाग गंगा मा लगीं रै सरा साल ,
माछा सब डांडा भग्याँ छिन दिखद जा।
हथगुळयुं मां धैर यूं ज्यूंदाळु तैं,
द्यब्ता सब दैण हुयां छिन दिखद जा।
जीतू की बंसुळी बणी च विधान सभा
भाग अंछर्युं का खुल्यां छिन दिखद जा।
भैजि कनकै स्यार साला पांच साल
भरणा झांझर बज्यां छिन सुणदा जा।
हिंवळी कांठ्यूं मा लगीं च यख बणाक,
देबी -दिब्ता दिल्ली मा छिन दिखदा जा।
हौळ तांगऴ नी च , घास का ढेर छिन ,
गैळु का कन दिन अयां छिन दिखद जा।
बिष्ट डिग्री फेल छिन कॉलेज की ,
ढाई आखर कुर्सी का छिन रटद जा।
खांकर = घुंघुरू
स्यार साला- धान की रुपाई के लिए पानी भरा खेत तयार करना
झांझर -पाजेब
बणाक - वनाग्नि
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