हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
Copyright@ Bhishma Kukreti 10 /4/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
ब्याळि हमर गांवक स्कूलम मास्टर जीक मूड ठीक नि छौ त मासाबन स्कूल्यौं तैं 'मतदाता' पर निबंध लिखणो दे दे। हरेक स्कुल्यान अलग अलग विचार लेखिन अर यूंक विचार इन छन।
मतदान एक मौसमी घटना च अर अचाणचक एक आम मनिख /मनख्याणि अति महत्व पूर्ण ह्वे जांद। उन उ मनिख आम ही हूंद किन्तु वै /वीं तैं मतदान का मौसमम अहसास दिलाये जांद कि चिंता नि कौर, तू अब आत्महत्या नि कौर , तू महत्वपूर्ण ह्वे गे। अर यदि तीन आत्महत्या करण ही च त मतदान का बाद ही आत्महत्या कौर। इलै भारत मा चुनाव का टैम आत्महत्या नि हूंदन। उन बकै दिन मनिख बिचारो सरकारी दान लीणु रौंद बस मतदान का ही दिन वै/वीं तैं अहसास हूंद कि वु /वा बि दान दीण लैक च।
मतदान मा द्वी शब्द छन। एक च मत याने वोट। हैंक शब्द च दान। यु मतदान शब्द बि मुकदान ही च। मुकदान कैको मरणो बाद दिए जांद। चुनाव प्रक्रियुं मा जब प्रजातंत्र की पूरी ऐसी तैसी ह्वे जांद , जब प्रजातंत्र की धज्जी उड़ जान्दन , जब प्रजातंत्र की मूल भावना खतम
ह्वे जांदन , जब चुनाव आचार संहिता की डंडलि सजी जांद तब अंत मा मतदान का दिन हूंद। इलै मुकदान अर मतदान मा साम्यता च। मुकदान मनिखौ डंडलि सज्याणो बाद हूंद अर धुर्या नेताओं जन आजम खान , इमरान मसूद , अमित शाह द्वारा प्रजातंत्र की खुले आम हत्या का बाद मतदान हूंद।
मतदाता याने वोटर। चुनावुं बगत जै ऐरा -गैरा -नत्थू खैरा का आस पास नेताओं की भीड़ हो तो समज ल्यावो वो ऐरा -गैरा -नत्थू खैरा ही मतदाता च।
जै निरीह जानवर तैं नेता लोग बेवजह अपण कंधा या जीप मा बिठान्दन तो समझो कि वु मतदाता च।
जै निरीह जानवर तैं नेता लोग बेवजह अपण कंधा या जीप मा बिठान्दन तो समझो कि वु मतदाता च।
मतदाता बि कथगा ही किस्मौ हूंदन।
एक उ हूंदन जु कैमांगन कुछ नि लीन्दन अर अपण आत्मा की आवाज से मतदान करदन। नारायण दत्त तिवाड़ी जन नेताओं बुलण च बल इन पुण्यात्मा कम ही मिल्दन।
कुछ हूंदन जु जैक खांदन वै तैं ही वोट दीन्दन। बकौल डा रमेश निशंक अर सुरेन्द्र नेगी बुल्दन बल अब इन मतदाता अब उत्तराखंड मा नि मिल्दन।
कुछ मतदाता इन हूंदन जु हरेक पार्टी का इख बोटी , रान , शराब उड़ैक ऐ जांदन , उख आश्वासन देक ऐ जांदन पर वोट कै हौर तैं दे दीन्दन। साकेत बहुगुणा का अनुसार टिहरी चुनाव क्षेत्र मा हरेक मतदाता कॉंग्रेस का बुगठ्या चटकै जांदन पर वोट भाजपा तैं देक आंदन।
कुछ मतदाता बेबस हूंदन वो भौत सी परिस्थिति का कारण मतदान नि कर सकदन।
कुछ क्या जादातर मतदाता परबसी मतदाता हूंदन। यी कामका , ईमानदार नेता तैं वोट दीण चांदन पर धार्मिक फतवा , जातीय डंडा , क्षेत्रीय स्वार्थ , माफियाओं की धमकी का वजह से एक ख़ास नेता तैं वोट दीणो मजबूर हूंदन। यी असल मा बंधुवा मतदाता छन।
कुछ ऐंठदार मतदाता छन जो वोट दीण अपण तौहीन समजदन।
मतदाता की पूछ केवल मतदान तक ही हूंद अर एक बात सत्य च कि हरेक मतदाता चुनाव बाद निरसे जांद अर अगला चुनाव आण तक रोज निरस्याणु रौंद , अगला पांच सालुं तक रुणु रौंद।
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
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