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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, April 14, 2014

पिंडाळु अर मूळा मध्य घोर युद्ध

हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )                 


मूळा -फुंड फुक्या ,  म्यार तरफ इना किलै सरकणु छे बै ?
पिंडाळु -ऐ तू जी दूर ह्वै जा मेरि सारी से।  साला म्यार तरफ आणु च।
मूळा -हैँ औकात द्याखदि तैक जु पैल गौंक सार्युं से थ्वड़ा दूर रौंद छौ अब मि तैं आँख दिखाणु च ? चल म्यार तरफ सरकण बंद कौर।
पिंडाळु -तू औकात की बात नि कौर हाँ।  मेकुण किटास हूणु च , दूर सरक।
मूळा -तू जी सरक जादी फुंडां।
पिंडाळु -अरे यांसे जादा कख सरकण ? अग्वाड़ी दिवाल च।  उना पत्थर छन , सरकण त राइ दूर सांस लीणो कठिनाई हुईं च।
मूळा -त कैन ब्वाल छौ कि इख कू डौ पुट ऐथर सग्वड़म आ।
पिंडाळु -मि अफिक औं क्या ? म्यार झड़ ददा अर ऊंक पकड़ ददा -सकड़ ददा याने चालीस -पचास पीढ़ी पैल क्या सुंदर एक अलग खेत मा क्या आनंद का दिन बितान्द छा , एक पिंडाळु पौधा  मा अर हैंक पिंडाळुs  पौधा मा कम से कम डेढ़ द्वी बालिस्तों  दुरी हूंद छे।
मूळा -तो क्या ?
पिंडाळु -तो क्या ? वै अलग पुंगड़ मा हमर ददा लोग बड़ा बड़ा पत्तों मा हिलणा रौंद छा , अर सूण बै मूळा ! वै खेत मा बीच बीच मा दूर दूर तुम बि त बड़ा बड़ा घिंडक का रूप मा हमर पिंडाळु खवाळम झमकणा रौंद छा। 
मूळा -हाँ त ऊँखि पिंडाळु खवाळम मोर । . त्यार आण से मेखुण कथगा किटास हूणु च , पता च त्वै ? अब त जै मोळ पर म्यार अधिकार छौ वै मोळ पर बि तू हक जमाणु छे। त्यार इख सग्वढ़म आण से जगा ,मोळ , हवा , पाणिक भौत तंगी ह्वे गे।  फंड टुटकी लगा , इख बिटेन।
पिंडाळु -अरे पर मेकुण जगा , खाद , हवा , पाणि कम कमी च क्या ?
मूळा -अरे त्यार आण से म्यार जलड़ ही छुट नी हूणा छन अपितु त्यार पत्तों छैल तौळ म्यार पत्ता ही नि पनपणा छन।  त्यार कारण मैपर दुतरफा मार पड़नि च। 
पिंडाळु -अर त्यार कारण अर किटास से म्यार दाण बि बकरवाळ बरोबर छुटा हूणा छन अर पत्ता बि तिमलाक लाब जन छुट ह्वे गेन। इनी राल तो द्वीएक साखि (जनरेसन ) मा मीन निबटी जाण। 
मूळा -त्यार कैल्सियम ऑक्जिलेट से मि तैं बि मनिखों तरां किक्वळ लगदन अर मेरि  ग्रोथ ग्लैंड कमजोर पड़ी जांदन। 
पिंडाळु -त्यार एंथोसायनिन पिगमेंट अर सल्फेट से बड़ी गंद आंद जांसे म्यार स्वास्थ्य कमजोर पड़णु च।
आदु (अदरक ) अबै द्वी मेरि बि स्वाचो कि तुम दुयुंक म्यार पट काखम हूण से मि त पनपणो ही नि छौं।  इना सल्फेट कु असर उना कैल्सियम ऑक्जिलेट कु असर।
मूळा -ये ल्या अब त अदरक बि बुलण सीखी ग्याई।
अदरक -अरे मि बि त तुम दुयुंक किटास अर केमिकल से बीमार ह्वे ग्यों।
पिंडाळु -त्यार जिंजिरोन से त म्यार दाण छूट ह्वे जांदन।
मूळा -त्यार शॉगॉल्स अर जिंजिरोल्स से म्यार घिंडक म्वाट नि हूंदन।
पिंडाळु -ये तुम द्वी मोरी जावो अर मि तैं जीण द्यावो।
मूळा  अर आदु -ऐ बिंडी नि बोल हां।  पुरण जमन मा मि अर अदरक कुड़ो मुख ऐथर सग्वड़म दूर दूर रैक मजा से रौंदा छा।  अब जब बिटेन तू ऐ हमर ज़िंदा रौण ही मुस्किल ह्वे गे। 
जख्या - अरे ज़िंदा रौण त म्यार मुस्किल ह्वे ग्यायी।  पर्यावरणवाद्यूं तैं मी तैं बचाणो कुछ करण पोड़ल।  
पिंडाळु, मूळा , अदरक -अबै जु तू पैल बंजर धरती मा जिंदगी बितांदु छयाई अब हमर हक मारणो सग्वड़म पैदा हूण बिसे गे ? साले को मारो कि दुबारा जन्म ना ले। 
जख्या - इखमा मेरी क्या गलती ? पुरण जमानो मा मी बंजर धरती को राजकुमार छौ । जब बिटेन मालिक लोग देसुन्द पलायन करिक चली गेन तब बिटेन   पुंगड़-खेत  बांज पोड़ि गेन  तो सब जगा लैटिना ही लैटिना जामी गेन।  अब त गढ़वाल मा लैटिना राज ह्वे गे।  लैटिना तो हैंक पौधा तैं सहन करी हि नि सकुद त मि तैं ज़िंदा रौणा कुण सग्वड़ कि शरण लीण पोड़। 
सब  -ह्यां पण इन मा ?
भंगुलौ इकुऴया डाळ - अरे निर्भागियों ! ज़िंदा रौणै कौंळ -कला सीखो।  पैल ये आठ हाथ लम्बो अर चार हाथ सग्वडम हमर मालकिन आधा मुठ मुंगरी , पांच -छै दाण मूळा , चार फांकी अदरक, चार पांच डाळि मर्च अर इकै  दाणी लमिंड , गुदड़ी , कखड़ी बूंदी छे। अब जब गां मा खेती बंद ह्वे तो मलकिनन हम सब्युं तैं एक जगाम  बूण शुरू करी दे। अर हम सब्युं कुण किटास शुरू ह्वे गे। 
मर्चै डाळि -अरे इन स्वाचो कि अबि त  हम सग्वड़ मा ही सही बच्यां त छंवां पर जब अस्सी सालै हमर मालकिन टुरकी जाली तो ये गां हमारो  तो बंशनाश ही ह्वै जालु। 
सबि -हां।  अब क्या करे जावु ?
भांग - बस अडेप्टेसन याने अनुकूलन पद्धति से हम ज़िंदा रै सकदां।  गढ़वाल मा मनिखों भरोसा पर रौला तो हमर बंशविनास हूणी च। 
सबि -ठीक च।  हम सब अब अनुकूलन याने अडेप्टेसन का बारा मा विचार विमर्श करदां। 


  Copyright@  Bhishma Kukreti  7 /4/2014 

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
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