चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
अजकाल चुनावी मौसम च त रोड शो , प्राइवेट डिन्नर , गुपचुप मीटिंगों , रैलियों , अखबारों , टीवी चैनेलों क डिबेटुं मा जख जावो 'आम आदमी ' की ही छ्वीं हूणि छन। सब राजनेता बुलणा छन बल हम आदमी का ये कर देंगे , वो कर देंगे , उसके लिए याने आम आदमी हम ऐसा कुछ कर डालेंगे कि उसकी सात पुश्तें भी याद करेंगी कि किसी हरामजादे से पाला पड़ा था।
मीन स्वाच कि नेताओं से आम अदिमौ परिभाषा , पछ्याणक पूछे जाव।
मीन इलाहाबद से इम्पोर्टेड नेता विजय बहुगुणा की एक स्पीच सूण, वु वैदिन बुलणा छा बल हम आम आदमी का बरखबान कर देंगे। बिचारा हेमवती पुत्र विजय बहुगुणा तैं पता ही नि छौ कि बरखबान को क्या मतबल हूंद। ऊँन समज कि बरखबान क्वी अर्थशास्त्र कु रूसी या जर्मन शब्द च।
मीन भगत सिंग कोशियारी जी तैं पूछ बल कोशियारी जी ! आम आदमी की क्या परिभाषा च ?
कोशियारी - परिभाषा तो मि नि जाणदो पर जु मी तैं दुबर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठै द्यालु वी ही शायद आम आदमी हूंद।
मि - पर आप तो लोक सभा का चुनाव लड़ना छंवां ? फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी ?
कोशियारी - ओहो सौरी ! जु मि तैं अरुण जेटली की सीट का पैथर सीणो कुण लोक सभा भ्याजल वो ही आम आदिम च।
मीन डा रमेश पोखरियाल से पूछ - बल डा साब यी आम आदिम क्या बला च ?
डा पोखरियाल - जु मि तैं मुख्यमंत्री की कुर्सी दुबर दिलालु वो ही आम आदिम च।
मि - अबि त लोकसभा का चुनाव छन
डा पोखरियाल - ये मेरी ब्वे ! लोक सभा का चुनाव छन ?
मि - हाँ जी।
डा पोखरियाल - तो जु बि वोटर्स बी सी खंडूरी तैं हरै द्याला वो ही आम आदिम छन।
मीन बी सी खंडूरी तैं पूछ - जनरल साब यी आम आदिम क्वा च ?
बी सी खंडूरी - मै लगद जु मी तैं फिर से मुख्य मंत्री की कुर्सी दिलाल वी आम आदिम च।
मि -सर ! यी विधान सभा का चुनाव नि छन , यी तो लोक सभा कु चुनाव च।
बी सी खंडूरी - हैं तो फिर डा निशंक का लोग मि तैं हराणो बान कॉंग्रेसी नेता सुरेन्द्र सिंग नेगी अर हड़क सिंग रावत जीक दगड़ सांठ -गाँठ किलै करणा छन ? जु मि तैं हमर पार्टी मा भीतरघात से बचालु वो ही आम आदिम च।
मीन सतपाल महाराज से पूछ - यु आम आदिम क्या बीमारी च।
सतपाल महाराज - जु उत्तराखंड से भाजपा तै जितालु अर मि तैं मुख्यमंत्री बणालु वो ही आम आदिम च।
मि -पर यु चुनाव तो लोकसभा चुनाव च।
सतपाल महाराज - हाँ पर जब उत्तराखंड बिटेन मुख्यमंत्री का दावेदारूं निफ़्ल्टी दिल्ली होली तो ही मी मुख्यमंत्री बणुल कि ना ?
मीन मदन कौशिक से पूछ - तुमर हिसाब से आम आदिम क्वा च ?
मदन कौशिक - देखो तुम लोग तो पहाड़ी हो अतः तुम तो आम आदमी हो नही सकते। इसलिए मैदानी वोटर्स ही आम आदमी है।
मीन श्रीमती माला राज्य लक्ष्मी शाह से पूछ - यी आम आदमी क्या बला च कि सबि नेता आम आदिमुं पैथर पोड्या छन।
श्रीमती राज्यलक्ष्मी शाह - आम आदिम बेवकूफ किस्मों एक जानवर हूंद।
श्रीमती राज्यलक्ष्मी शाह - आम आदिम बेवकूफ किस्मों एक जानवर हूंद।
मि - आप इन किलै बुलणा छा ?
श्रीमती राज्यलक्ष्मी शाह - जु पैंसठ साल का बाद बि हम तैं टिहरी का राजा समझणा छन अर वोट दीणा छन वो बेवकूफ ही होला कि ना ?
श्रीमती राज्यलक्ष्मी शाह - जु पैंसठ साल का बाद बि हम तैं टिहरी का राजा समझणा छन अर वोट दीणा छन वो बेवकूफ ही होला कि ना ?
** यह लेख सरासर गप है !
Copyright@ Bhishma Kukreti 2 /4/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी
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