चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
आल इंडिया पौलिटिकल पार्टीज असोसिएसन की तरफ से निम्न टेंडर प्रकाशित कर्याणु च। रजिस्टर्ड , अनरजिस्टर्ड , इंडियन , फॉरेन सप्लायर्स कृपया त्वरित टेंडर भरें।
चूँकि चुनावी मौसम च त हर स्तर का नेताओं तैं अभद्र , असंवैधानिक , निम्नस्तरीय , गुवण्या -मुतण्या गाळयुं भयंकर जरुरत च।
राजनेताओं को गालिओं की आवश्यकता किलै पोड़ ?
सभी सप्लायरों तैं गाळि निर्माण मा कुछ मूलभूत बातों पर ध्यान रखण जरुरी च -
सभी सप्लायरों तैं गाळि निर्माण मा कुछ मूलभूत बातों पर ध्यान रखण जरुरी च -
1 - राजनीति मा परिवार वाद , भतीजावाद , काकीवाद , भाणजावाद , जंवाईवाद, पैराशूटी उम्मीदवारुं आण से चुनावुं मा कार्यकर्ता पैसा दीण पर भी काम नि करणा छन तो नेताओं तैं त्वरित रिजल्ट का वास्ता गाळी -गलोज की भयंकर आवश्यकता पोड़नी च।
2 - भौत सी जगा राष्ट्रीय राजनैतिक दलों मा कार्यकर्ता या तो हर्ची गेन या हाइबर्नेसन मा चली गेन तो मोदी सुनामी, सोनिया हरिकेन, मुलायम तूफ़ान , ममता तड़क्वणी , जयललिता झड़ी की स्थिति मा बि कार्यकर्ता जगणा नि छन त कार्यकर्ताओं तैं जगाणो बान ग्राम स्तर से रास्ट्रीय स्तर तक का हरेक नेता तैं असुर भाषा मा रोज क्या हर घंटा मा गाळि चयाणा छन।
3 -धार्मिक उन्माद फैलाणो वास्ता गाळि एक सर्वमान्य दवा च।
4 -चूँकि नेताओं का पास जनता तैं दिखाणो बान कुछ नी च अर जनता 10 करोड़ मनिखों तैं रोजगार मीलल जन वाक्य पर थक थुकणी च तो नेताओं तै विरोधी नेताओं तैं गाळि दीण पर अधिक भरोसा ह्वे गे ।
5 - गाळि -गलौज पर गाळि दिन्देर नेता तैं मीडिया अंतर्राष्ट्रीय नेता बणै दींदी तो हरेक बड़ो या छुटभया गाळी दीण मा शान समझद।
ब्लॉक स्तर पर मा बैणी गाळि अवश्य चयांदन।
सोनिया छाप गाळि - सोनिया छाप गालियों मा 'मौत का सौदागर ' अर 'जहर की खेती ' गाळि भौत प्रसिद्ध ह्वे। गुजरात का वास्ता कृपया विकसित गाळि सप्लाई करें। जहर की खेतीको भी विकसित कर छुटभैए नेताऊँ तैं दे देन.
मोदी ब्रैंड गाळि - भाजपा को 'कुत्ते के पिल्ले के मरने पर भी दया आती है' जैसी असंख्य गाळयूँ भारी जरुरत च।
केजरीवाल छाप गाळि - यह नेता बेईमान है जैसे हजारों शब्द आम आदमी पार्टी का मुख्य सलाहकारों तैं जरूरत च।
बोटी बोटी कर दूंगा - इमरान मसूद द्वारा प्रचारित गाळि तैं संबैधानिक रूप देल्या तो ब्लॉक स्तर का नेताओं तैं बि खप जाली।
सलमान खुर्सीद छाप 'नपुंसक' गाळि - इन तरह की बनी बनी गाळयूँ जरूरत हरेक कॉंग्रेसी तैं च।
आरएसएस गोडसे का हत्यारा - यीं गाळि पर राहुल गांधी कु एकाधिकार च त इन गाळि सप्लाई करणै आवश्यकता नी च।
शिंदे ब्रैंड -केजरीवाल (येड़ा ) पागल च - चूँकि सब्युं तैं पता च कि केजरीवाल क्या च तो कृपया इन गाळी सप्लाई ना करें। सैम्पल बि नि दिखैन।
आजम खान छाप - नरेंद्र मोदी कुत्ते का बड़ा भाई - कृपया यीं तरां की जथगा बि गाळि छन सी केवल समाजवादी पार्टी का नेताओं तैं सप्लाई करि दियां।
वेनी प्रसाद वर्मा ब्रैंड - आरएसएस का गुंडा , नरेंद्र मोदी का गुलाम - यद्यपि हरेक कॉंग्रेसी भाजपा तैं इन गाळी दीण चाँद किन्तु राहुल बाबा की हिदायत से इन गाळि पर बेनी प्रसाद कु एकाधिकार च।
इटालियन पिजा , इटालियन पास्ता - कृपया यी गाळि अब समाजन अपर भोज्य पदार्थ मा शामिल करी ऐन तो इन तरां की गाळियुं को भाजपा मा अब क्वी मांग नी च।
उपरोक्त गाली तो उदाहरण छन।
सप्लायरों तैं नया नया गाळि खोजिक नेताओं तैं सप्लाई करण पोड़ल।
गाळि सप्लाई करणो आखरी तारीख
जब तक नेता भाषण दीण लैक छन।
जब तक नेता भाषण दीण लैक छन।
सप्लाई की जगा
जखम बि नेता भाषण दीणु ह्वावो वैक कंदुड़म गाळि ब्वालो अर नेता का एजेंट से वैबरी कैश ले ल्यावो। पेमेंट भुगतान कभी बी चेंक से नि होलु।
इनाम
यदि तुमर सप्लाई करीं गाळि से नेताजी की न्यूज टीवी चैनेलों मा ऐ गे तो कै कोर्पोरेसन की चेयरमैनशिप , विधान परिषद की सीट पक्की।
कॉपीराइट
एक दै नेतान तुमर दियीं गाळि जनता मा सुणाइ ना कि गाळि पर नेता कु अधिकार ह्वे जालु।
Copyright@ C Bhishma Kukreti 2 /4/2014
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
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