हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
सन 2014 कु लोकसभा चुनाव अपणा आप मा एक अतुलनीय , एक आश्चर्यजनक , अभिनव , अजीव सि चुनाव सिद्ध हूणु च।
सन 1971 या सन 1977 मा इंदिरा गांधी सरा चुनाव की केंद्र बिंदु छे किलैकि वा सरकार मा छे पर सन 2014 का जन नि छे जख विरोधी दल कु नेता नरेंद मोदी केंद्र बिंदु च याने चुनाव की धुरी नरेंद्र मोदी च।
ये 2014 का चुनाव मा पार्टी इन समझणा छन कि वूंकी पार्टी अफ़ग़ानिस्तान की क्रिकेट टीम च अर नरेंद्र मोदी अजेय भारतीय क्रिकेट टीम च !
आरएसएस संस्था तब इथगा मुखर रूप मा राजनैतिक काम नि करदी छे किन्तु इंदिरा गांधी तब बि सब जगा आरएसएस की भयंकर तरह से आलोचना करदी छे। मीन सन 73 -74 मा देहरादून की एक सभा मा इंदिरा गांधीक मुखन सुणी कि आरएसएस भारत का वास्ता नुकसानदेय च। मीन अपण दगड्यों तैं पूछ बल यु आरएसएस क्या बला च तो पता चौल कि आरएसएस जनसंघ की ब्वे च। तब जनसंघ से (उत्तराखंड का प्रथम मुख्यमंत्री ) नित्या नन्द स्वामी चुनाव लड़दु छौ अर हारदु छौ। किन्तु इंदिरा गांधीन देहरादून वाळु तैं आरएसएस की डौर अवश्य दिखै छौ। हम गढवाळयूं तैं कॉंग्रेस का अलावा क्वी हौर पार्टीका बारा मा पता बि नि छौ किन्तु इंदिरा भक्ति मा मी बि आरएसएस विरोधी ह्वे गे छौ। याने इंदिरा गांधी एक इन संस्था का बारा मा डरांदि छे , जैंक बारा मा हम सरीखा युवाऊँ तै डरांदि छे जैक बारा मा हम नि जाणदा छा। हाँ इंदिरा गांधी इन भेड़िया से सचेत रौणै बात करदी छे जै भेड़िया तैं हमन नि देखि छौ।
आज आरएसएस भौत ताकतवर संस्था ह्वै गे तो हरेक पार्टी आरएसएस की आलोचना से अपण मेनिफेस्टो का पेज भरणी च।
यु चुनाव एक अजीव चुनाव च अर आश्चर्यचकित करदो।
जख राहुल गांधी या सोनिया गांधी तैं अपण दस सालुं शासन का गुणगान करण चयेंद छौ यी द्वी आसाम मा बुलणा छन कि गुजरात मा कुछ नि ह्वै।
जख राहुल गांधी तैं लखनऊ चुनावी सभा मा उत्तर प्रदेश की बदहाली का वास्ता मुलायम सिंह अर मायावती की कटु आलोचना करण चयाणी छे तो राहुल गांधी बुलद बल उत्तर प्रदेश मा गुजरात मॉडल नि चौल सकुद।
मुलायम सिंह तैं बताण चयेणु छौ कि उत्तर प्रदेश मा लौ ऐंड ऑर्डर ठीक च कि ना किन्तु मुलायम सिंह मैनपुरी की चुनावी भाषणो मा फुंकार मारद कि मि तैं सन 2002 मा नरेंद्र मोदीन दंगा पीड़ित मुसलमानु सेवा करणो इजाजत नि दे।
मायावतीन मजा से भाजपा का काँध मा राज्य सुख पायी किन्तु अब बुलणी च कि नरेंद्र मोदी एक नॉन सेक्युलर पार्टी च। मायवती बगैर नरेंद्र मोदी तैं गाळी दियाँ अपण भाषण ख़तम नि कौर सकदी। वींक चौललि त मायवती उत्तर प्रदेश की बदहाली का वास्ता नरेंद्र मोदी पर भगार लगै द्याली।
अखिलेश यादव का उत्तर प्रदेश मा मोटर सड़कु इथगा बुरा हाल छन कि झाँसी से कानपुर पौंछद -पौंछद हिचकोलों से कमर अकड़ जांद अर अखिलेश यादव नरेंद्र मोदी पर भगार लगांद कि गुजरात मा चिपळी सड़क अदानी अर अम्बानी का वास्ता बणी छन।
ममता बनर्जी तैं बंगाल की बुरी हालत का वास्ता बामपंथी विचारधारा तैं गाळी दीण चयेंद पर वा बि गुजरात मॉडल की आलोचना मा अपण भाषण खत्म करदि। इनि हाल जयललिता का छन।
नीतीश कुमार अर लालू यादव या केजरीवाल का निशाना पर केवल नरेंद्र मोदी च। जु नरेंद्र मोदी विरोधी दल कु नेता च , सबि राजनैतिक दल भारत की भविष्य की बदहाली का वास्ता नरेंद्र मोदी तैं जुमेवार ठहराणा छन अर गाळी दीणा छन।
एक टैम छौ जब चुनावुं मा भारत मा स्वतंत्र पार्टी अर जनसंघ सरीखी पूंजीपति आर्थिक नीति क समर्थक दल बि साम्यवाद या समाजवाद की पूजा करदा छा अर बुल्दा छा कि हम तैं बोट द्यावो अर तुमर क्षेत्र मा हम समाजवाद लाणो वास्ता कोका कोला की फैक्ट्री लगौला अर अमेरिकन एक्स्प्रेस बैंक की शाखा खुलला। तब हरेक बीमारी की दवा समाजवाद छौ। तब हरेक सुख की सीढ़ी साम्यवाद विचारधारा छे।
आज 2014 का चुनाव मा हरेक दर्द कु कारण नरेंद्र मोदी च अर हरेक मरज कु समाधान बि नरेंद्र मोदी च।
क्या या स्थिति भारतीय प्रजातंत्र का स्वास्थ्य का वास्ता ठीक च ? कदापि नही ! व्यक्ति परक विचारधारा प्रजातंत्र का वास्ता बिलकुल बि लाभदायक नी च। किन्तु भाजपा की मजबूरी च कि 2014 का चुनाव तैं भाजपान व्यक्तिकेंद्रित बणाइ अर बकै सबि राजनीतिक दलूँ कमजोरी च कि वो व्यक्तिकेंद्रित चुनावी रणनीति तैं समर्थन ही नि दीणा छन अपितु व्यक्तिकेंद्रित चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बि ह्वै गेन।
*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी द्वारा जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा पृथक वादी मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण वाले द्वारा भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी द्वारा पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य श्रृंखला जारी ]
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