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Sunday, May 28, 2017

क्य अर किलैई कना छी ?

छ्वीं •••••=66.
◆क्य अर किलैई कना छी ?-
Garhwali Poem by Virendra Juyal 
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उक्टेणु खुणि सगोर ब्वना छी।
सटूलों खुणि चकोर ब्वना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
सिकासैरियों खुणि अक्ल ब्वना छी।
माटा क हटगों खुणि शक्ल ब्वना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
दौंरेट खुणि चखल पखल ब्वना छी।
कुंमस्यों खुणि उकल तकल ब्वना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
अनड्या अपडा खीसा भ्वना छी।
पढया ल्यख्यां यख माखा मना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
जो प्रेमी बणिक सौं करार कना छी।
वो ब्यौ का बाद हैंकी धना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
चुनौ बगत नेता राम राम ब्वना छी।
जीतीकै हमसे नि हूण काम ब्वना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
इस्कोलम पढाण वोला नोट छपणा छी।
जौंल पढणु छो वो घाम तपणा छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
सरकरि बाबू दफ्तरौं मा उंगणा छी।
जनसेवा क बदल दान मंगणा छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
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Copyright@ Virendra Juyal 
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