Garhwali Poem by Balkrishna Bahukhandi
(जन्म -1960 , बड्याण , सैंधार पट्टी , पौड़ी गढ़वाल )
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बज्र मुखी निसुड़ु ले क ,
बांजि पुंगड़ि चल्दि काइ ।
भन्ड्य पछा खेतिह्वेग्या ,
रक्कोडिक छांट काइ ।।
इखड़्य म्यारा बल्द बंध्यां ,
मौ मदद कु किलै ब्वन ।
बल्द गैल़ ह्वे जाला ,
मदद कैल किलै कन ।।
छांटि छांटि सीं नि धैरि ,
कनकु पुंगड़ि लाल ।
खैरि खांद़ गुजरि उमर ,
बीता मैना साल ।।
बांजु सरग बरखु नीच ,
सुद्दि खाई खैरी ।
तबित पुंगड़ि बांजि ह्वेनि ,
क्वी नि धरुदु पैरी ।।
फलडाल्यों की खेति कारा ,
र् वापा फलू डाली़ ।
आज अब्बि शुरू कारा ,
बिसरिजावा ब्याली़ ।।
बालकृष्ण बहुखण्डी
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