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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, May 10, 2017

खांसी चौमासी" (गढ़वाली व्यंग्य कविता, लोकगीत)

 Satirical Garhwali Poetry by  Sunil Bhatt
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"खांसी चौमासी"
खांसी चौमासी, झूठा सबूत
झणी कन कना, रोगी छन रे।।
लाटा काऽला,फूलों का ड्वाऽला 
राज भ्वगणा,भोगी छन रे।।
मनखी यू देव्ता,रक्वैड़ी लग्यूँ चा
सीणू नी खाणू,कर्मयोगी छन रे।।
सीखणा नी यूँसै,द्यखणा नी यूँतैं 
ठगणौं बैठ्याँन,ढोंगी छन रे।।
स्वरचित/**सुनील भट्ट**
11/04/2017


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