Garhwali Poem By Devesh 'Admi'
*ज्यूंदाल* भान-०१
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--------देवेश 'आदमी '
प्र-०१ दिनांक-०८/०५/२०१७
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*किलै तुम चुल चुल नोनों कु बाटु हेरणा कु जाणा छौ,,*
*बैठ्यां रौ ज़िंगला म ठाट से किलै खैर खाणा छौ,,*
*खुंटी म टाँकि दयौ अब अपुड़ खैरि कु थोला,,*
*टयक्वा थामो चलो तुमरि खैरि थै भँवलुन खैतिक ओला,,*
*कुजणों खु किलै पुटग हि पुटग ख़ुमसेणा रुमणाणा छौ,,*
*कुटुल लेकि किलै अफु कु खडोल खुज्याणा छौ,,*
*जुनखेलि नि ह्वै ग्विनलण नि ये भैर रात हुईं भारी,,*
*आवो फरसि छल्याव बैठ्यां रौंला तुमरि तिबारी,,*
*भटगै अपुड़ द्वारों पर गंज्योंल कु अङ्गु लगावो,,*
*फूको फुंड जु ह्वैल अपुड़ भाग म सजला फर सोड लगावो,,*
*बिरौलि का छौनों सि कख नचण अब हमन,,*
*अफु मुंड मूंडो अपुड़ अब सदनि कै थै बुलाण तुमन,,*
*गिचु न उगाड़ो लोखों दगड टप टोप मारिक रावो,,*
*बख्त ह्वै गे उंद जाणा कु क्याडा मुच्छयलु खुज्यावो,,*
*श्वारों कु छक्वै बोल कैरिक मिन नोनों थै लिखा पढ़ाई,,*
*कुटुल दथुड घस्यूड अफु बणेक मिन ब्वारी थै काम अडाई,,*
*उकाल त कटे ग्या झकरा अर खग्वटु सब झेड गेन,,*
*नोना बाला बिसिर गेन अब सब गदन तैर गेन,,*
*अब कैल नि आण हमर खांखरा कु तसला क खर्या अर बूखु ख़त्णा कु,,*
*क़्वी हम थै हेर न देख पर फर्ज च हमर सब्यों थै अपुडों जन संतणा कु,,*
*हमन चुरमणि का दिनों म भि फुंगड़यों म भडडू खुज्याई,,*
*आज खीर का दिन येन त नयार म पाणी भि मूल्याई,,*
*क्या बिगड़ीं छै हमरि खैरि खाकि हमन क्या पाई,,*
*इन भि क्या करीं रै होल हमर जु आज हमर क़्वी नि राई,,*
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म्यारा ब्वै बाबों क खैरी का दिन,,,
*देवेश आदमी*
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*ज्यूंदाल* भान-०२
*प्र-०२।। दिनांक ०९/०५/२०१७
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*इबरी आज हमन सिन किलै रैण छाई,,*
*द्वी ग़फ़्फ़ा हमन भि खटुलम खाण छाई,,*
*नात्यों का दिनों म हम कुकर बिरौला सेंतणा छौ,,*
*बुडेन बख्त हम गुज्यरों म बोलेणा छौ,,*
*काखड़ जन बांक हुई लव्खों क चौखम् सुबेर ब्यखुन,,*
*कुजाण पदमेश्वर जमनु कनख्वे बदलेन स्याखुन,,*
*आज हम अपुड़ ड्यार म पतरोल बणि ग्यों,,*
*छि बै हम ज्यूंद म हि घरभूत सि पुजै ग्यों,,*
*यु जून भि हम खुण अखोड जन काठि ह्वै ग्या,,*
*गॉँव गुठयार छि बै खाड़ू जन माठि ह्वै ग्या,,*
*हमरा खैरि क दिनों खुण मुरदु मुरदु भि रात नि खुलणि,,*
*जु आणु झट मंथा म उ जम्मा अपुड़ मुठगि नि खुलणि,,*
*मचाक त जिकुड़ी म अब सदनि कि पोडि गे,,*
*होरि भि छन प्रदेश म बस्यां जु बख्त पर ड्यार बोडि गे,,*
*अरे जै भोंट म बैठ्यां छौ तुम वै थै गिंडाणा छौ,,*
*खैरि क दिन हमन कटी अर तुम सुसरस्यो थै अपुडाणा छौ,,*
*अब बुबा रै बैकुंठ भि पोंछि जौंला त औलाद नि मंगला,,*
*भुर जु करीं होल कैकु त ई दुन्या म अफि हम भ्वग्ला,,*
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मेरा ब्वै बुबा क खैरि क आँशु,,
*देवेश*
प्र-०१ दिनांक-०८/०५/२०१७
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*किलै तुम चुल चुल नोनों कु बाटु हेरणा कु जाणा छौ,,*
*बैठ्यां रौ ज़िंगला म ठाट से किलै खैर खाणा छौ,,*
*खुंटी म टाँकि दयौ अब अपुड़ खैरि कु थोला,,*
*टयक्वा थामो चलो तुमरि खैरि थै भँवलुन खैतिक ओला,,*
*कुजणों खु किलै पुटग हि पुटग ख़ुमसेणा रुमणाणा छौ,,*
*कुटुल लेकि किलै अफु कु खडोल खुज्याणा छौ,,*
*जुनखेलि नि ह्वै ग्विनलण नि ये भैर रात हुईं भारी,,*
*आवो फरसि छल्याव बैठ्यां रौंला तुमरि तिबारी,,*
*भटगै अपुड़ द्वारों पर गंज्योंल कु अङ्गु लगावो,,*
*फूको फुंड जु ह्वैल अपुड़ भाग म सजला फर सोड लगावो,,*
*बिरौलि का छौनों सि कख नचण अब हमन,,*
*अफु मुंड मूंडो अपुड़ अब सदनि कै थै बुलाण तुमन,,*
*गिचु न उगाड़ो लोखों दगड टप टोप मारिक रावो,,*
*बख्त ह्वै गे उंद जाणा कु क्याडा मुच्छयलु खुज्यावो,,*
*श्वारों कु छक्वै बोल कैरिक मिन नोनों थै लिखा पढ़ाई,,*
*कुटुल दथुड घस्यूड अफु बणेक मिन ब्वारी थै काम अडाई,,*
*उकाल त कटे ग्या झकरा अर खग्वटु सब झेड गेन,,*
*नोना बाला बिसिर गेन अब सब गदन तैर गेन,,*
*अब कैल नि आण हमर खांखरा कु तसला क खर्या अर बूखु ख़त्णा कु,,*
*क़्वी हम थै हेर न देख पर फर्ज च हमर सब्यों थै अपुडों जन संतणा कु,,*
*हमन चुरमणि का दिनों म भि फुंगड़यों म भडडू खुज्याई,,*
*आज खीर का दिन येन त नयार म पाणी भि मूल्याई,,*
*क्या बिगड़ीं छै हमरि खैरि खाकि हमन क्या पाई,,*
*इन भि क्या करीं रै होल हमर जु आज हमर क़्वी नि राई,,*
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म्यारा ब्वै बाबों क खैरी का दिन,,,
*देवेश आदमी*
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*ज्यूंदाल* भान-०२
*प्र-०२।। दिनांक ०९/०५/२०१७
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*इबरी आज हमन सिन किलै रैण छाई,,*
*द्वी ग़फ़्फ़ा हमन भि खटुलम खाण छाई,,*
*नात्यों का दिनों म हम कुकर बिरौला सेंतणा छौ,,*
*बुडेन बख्त हम गुज्यरों म बोलेणा छौ,,*
*काखड़ जन बांक हुई लव्खों क चौखम् सुबेर ब्यखुन,,*
*कुजाण पदमेश्वर जमनु कनख्वे बदलेन स्याखुन,,*
*आज हम अपुड़ ड्यार म पतरोल बणि ग्यों,,*
*छि बै हम ज्यूंद म हि घरभूत सि पुजै ग्यों,,*
*यु जून भि हम खुण अखोड जन काठि ह्वै ग्या,,*
*गॉँव गुठयार छि बै खाड़ू जन माठि ह्वै ग्या,,*
*हमरा खैरि क दिनों खुण मुरदु मुरदु भि रात नि खुलणि,,*
*जु आणु झट मंथा म उ जम्मा अपुड़ मुठगि नि खुलणि,,*
*मचाक त जिकुड़ी म अब सदनि कि पोडि गे,,*
*होरि भि छन प्रदेश म बस्यां जु बख्त पर ड्यार बोडि गे,,*
*अरे जै भोंट म बैठ्यां छौ तुम वै थै गिंडाणा छौ,,*
*खैरि क दिन हमन कटी अर तुम सुसरस्यो थै अपुडाणा छौ,,*
*अब बुबा रै बैकुंठ भि पोंछि जौंला त औलाद नि मंगला,,*
*भुर जु करीं होल कैकु त ई दुन्या म अफि हम भ्वग्ला,,*
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मेरा ब्वै बुबा क खैरि क आँशु,,
*देवेश*
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