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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, May 10, 2017

गढ़वाली कुण्डलियाँ {गढ़वलिम}

उत्तर दिशम च देश का    तभि ता उत्तराखंड ।
बंणाद बंणाद ये थईं    कतगौंन फ्वड़नी मुन्न्ड ॥
कतगौंन फ्वड़नी मुन्न्ड  राज्य त बंणि ही ग्याया ।
फरक द्यखीणू कुछ नी  जन की तन च काया ॥
ब्वल्द कृष्ण ममगाईं   हूंन्दु क्वी इन्नू पुत्तर ।
कैकी काया पलट    दींदु कुछ सुन्दर उत्तर  ॥  {}
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Of and By : कृष्ण कुमार ममगांई
ग्राम मोल्ठीपट्टी पैडुल स्यूंपौड़ी गढ़वाल
[फिलहाल दिल्लि म] :: {जै भैरव नाथ जी की}


गढ़वाली कुण्डलियाँ   {गढ़वलिम}
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 {On : डिलीट कैर कै बार}.
झूठ ब्वन्नु आसान का  ये विज्ञानन  यार ।
सफेद झूठ बोली की   डिलीट कैर कै बार ॥  
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डिलीट कैर कै बार सबूत कुछ भी नी रांदा ।   
तकनीकी इन छन की सच भी झूठ दिखींदा ॥  
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ब्वल्द कृष्ण ममगाईं   अरे तू दाड़ि न कीट ।
करले मुन्ड कपाल  झूठन सदनि रांण झूठ ॥  {११}
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Of and By : कृष्ण कुमार ममगांई
ग्राम मोल्ठीपट्टी पैडुल स्यूंपौड़ी गढ़वाल
[फिलहाल दिल्लि म] :: {जै भैरव नाथ जी की}


गढ़वाली कुण्डलियाँ   {गढ़वलिम}
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 {On : पाड़न कन्नि द्वी भौ }.
डांडा कांठा हमरा छन  वादी छन कश्मीर ।
कुलैं कु लीसु हम खुणे  ऊँ कू केसर खीर ॥   
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ऊँ कू केसर खीर  बिगाड़ी क्या जी हमना ।   
वख ता  सेब बदाम  यख त दलम्या भी नीना  ॥  
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ब्वल्द कृष्ण ममगाईं   लगनि ई कन्ना कांडा ।
पाड़न कन्नि द्वी भौ  हम्म थैं पोड़ी डांड ॥   {१३}
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Of and By : कृष्ण कुमार ममगांई
ग्राम मोल्ठीपट्टी पैडुल स्यूंपौड़ी गढ़वाल
[फिलहाल दिल्लि म] :: {जै भैरव नाथ जी की}



गढ़वाली कुण्डलियाँ {गढ़वलिम}{On : भदैली गौ माता }.
गौ माता की सेवा त   पुण्य कु काम च भाई ।
भदैला गौड़ौ फिर किलै   त्यगदन हमरी माई ॥
 .
त्यगदन हमरी माई   वे गौड़ौ चा क्या दोष ।
 भदौम बियेकि चुचों   वे फर क्यांकु रोष ॥
 .
ब्वल्द कृष्ण ममगाईं   छोड़ा बेकारै बार्ता ।
अब न छ्वड्यां कब्बी   कै भदैली गौ माता ॥ {*8*} 
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Of and By : 
कृष्ण कुमार ममगांई
ग्राम मोल्ठीपट्टी पैडुल स्यूंपौड़ी गढ़वाल
[
फिलहाल दिल्लि म] :: {जै भैरव नाथ जी की}
बुजर्ग त सरप्लस

एक उ जमनु छौ
जब बड़ौं कि कदर
राय मशवरा का वास्ता
जरूरि समझे जांदि छै।
आज बड़ा बूढ़ौं कि कदर
कख रै गि ।
रांण भि कनम छै
गूगल जु ऐ गि ।
सब्बि धांणि  वे मै पुछणैनी
बुजर्ग त सरप्लस ह्वे गेनी ।


Of and By : कृष्ण कुमार ममगांई
ग्राम मोल्ठीपट्टी पैडुल स्यूंपौड़ी गढ़वाल
[फिलहाल दिल्लि म] :: {जै भैरव नाथ जी की}


मेरो गांव मोल्ठि च
.
म्यारा गौं कु नौ मोल्ठि च
तु अपड़ा गौं कु नौ जणिदि छै ।
नि जंणदी ।
जबाब मी पता च
तिन ब्वन कि
हमता यखि पैदा ह्वै छा ।
अरे चुचा करौं
कम से कम अपड़ा गौं कु
नौ, पट्टी अर  जिला त याद राखा 
परमानेन्ट होम टाउन च उ ।
बगत प्वण पर
डौमिसाइल सर्टिफिकेट कू कन भगदां ।
अर फिर देर सबेर
दाखिल खारिज भि त हूंदा ॥

Of and By  कृष्ण कुमार ममगांई
ग्राम मोल्ठी, पट्टी पैडुल स्यूं, पौड़ी गढ़वाल
[फिलहाल दिल्लि म]:: [जै भैरव नाथ जी की ]

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