उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Wednesday, May 10, 2017

"मरख्वल्या खाडू....धारा 370" (गढ़वाली व्यंग्य कविता )

Satirical Garhwali Poetry by सुनील भट्ट 
-
खिलै पिलैई ब्वख्ठ्या बणैया छन,
मरख्वल्या खाडू हमरा पल्याँ छन।
लताड़ ढांगा सिंग पुड़्यौणा,प्वड़ी प्वड़ी हमतैं आँखा दिखौणा।
फक्यादि फौजीमेरू घौर आलु,तब तेरी मुंडिलीखट्टैंई गंड्डकालु।
खाणु जब त्वै द्वी लत्ती द्यालु,दयखुलु तब त्वैकु जी बचालु
जब तेरी अक्लठिकाणु लगालु
तब त्वै पड़ौसीबुबा याद आलु।।
स्वरचित/**सुनील भट्ट **
17/04/17

गढ़वाली आधुनिक लोकगीत , लोकगीतगढ़वाली व्यंग्य लोकगीत , आधुनिक लोकगीतव्यंग्य कविता , गढ़वाली व्यंग्य कविता  Satirical Garhwali poem by Garhwali Poet, Satirical Garhwali poem by Sunil Bhatt ,Folk Songs, Modern Garhwali folk Song

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments