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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, May 28, 2017

देशभक्ति की कविताएं

Uttarakhand; Hindi Patriotic  Poems from Garhwal, Uttarakhand;Himalaya; 

- "एक गीत शहीदों और देशभक्तों के नाम"
-
:सुनील भट्ट 
-
              ---------------------------------------------
कश्मीर में  फिर से  शहीद एक  जवान हो गया,
एक "माँ" का बेटा "माँ" के लिए कुर्बान हो गया।
सीना    ताने  लड़ा वो देश  की  शान  हो   गया।
एक "माँ" का बेटा "माँ" के लिए कुर्बान हो गया।।
"माँ" बैठी थी  आस में उसके, वो छुट्टी घर जल्दी आये,
सिर रखकर गोदी में उसका, उस पर ममता खूब लुटाये।
आँखे  मूंदे  वो "माँ"  की  गोदी  में  सो  गया,
एक "माँ" का बेटा माँ के लिए कुर्बान हो गया।
खूब भिड़ा वो माँ की खातिर, अन्तिम सांसो तक लड़ा था,
खूब    मोर्चों   पर   डटा वो,    दुश्मनों के   पीछे पड़ा था।
वो  भी  भगत  और   राजगुरु  समान  हो  गया,
एक "माँ" का बेटा "माँ" के लिए कुर्बान हो गया।
बर्फीले पहाड़ों में  रहकर,  देश  की  जो रक्षा करते हैं,
गर्मी तो कभी ठंड सहन कर,  भूखे  प्यासे भी रहते हैं।
इन  वीरों  को   जन्म दे,  देश  महान  हो  गया,
एक "माँ" का बेटा "माँ" के लिए कुर्बान हो गया।
उन लोगों से था वो दुखी जो, "माँ" के  संग  दगा करते है,
माँ के दूध का कर्ज न समझे, फर्ज से अपने भगा करते हैं
इन  प्रश्नों   संग  हर   कोई   बेजुबान  हो  गया,
एक "माँ" का बेटा "मा" के लिए कुर्बान हो गया।
उसकी वो नापाक हरकते, कितना सहें अब बहुत सह चुके
वो नहीं जाने प्यार की भाषा, प्यार मुहब्बत बहुत कर चुके
उसे ढहा दो  जो  आतंक  की, दुकान हो गया,
एक "माँ" का बेटा "माँ" के लिए कुर्बान हो गया।
     
सीना  ताने   लड़ा वो  देश  की  शान  हो  गया,
एक "माँ" का बेटा "माँ" के लिए कुर्बान हो गया।
            (जय हिंद जय भारत)
  स्वरचित/** सुनील भट्ट**
                                 14/08/2016
Email : sunilbhatt700@gmail.com
For more of my compositions catch me on facebook  by typing
Sunil bhatt  from rishikesh
                   
                                 -2-
एक रचना  आज 23/03/2017 को शहीद दिवस पर।
शहीदों को नमन...और सभी देशवासियों को शुभकामनाएं ।
दोस्तों बहुत दिनों से देखते आ रहें हैं हम कई राष्ट्र विरोधियों को, जो अपने हितों के लिए या कुछ विशेष प्रयोजन हेतु समाज में राष्ट्र विरोधी कृत्य करते आ रहे हैं...चाहे कश्मीर हो दिल्ली ...देश में और भी जगह। मेरी इस रचना में अंग्रेज हैं वो सभी राष्ट्रविरोधी, वो सभी ताकतें, all anti national elements...सभी राष्ट्रविरोधी ..दुर्भावनाये..
            जय हिंद.. जय भारत          
                                    **सुनील भट्ट**
                                    23/03/2017
"गाँधी जी तेरे देश में"
गाँधी  जी  तेरे  देश  में, फिर  आये  अंग्रेज  रे।
ऐ भारत माँ फिर से अपने, भगत राजगुरु भेज रे।।
गाँधी  जी  मेरे  देश  में, फिर आये अंग्रेज  रे।।
देशभक्ति का पाठ पढ़ाकर,
देशभक्ति का जज्बा जगाने।
सुभाषचंद्र  तुम भेज दो  सेना,
इन  फिरंगियों को भगाने ।।
हे बिस्मिल  फिर  गीत  कोई, जोश  दिलाता भेज रे।।
गांँधी  जी  तेरे देश में, फिर आये अंग्रेज रे।
गांँधी जी मेरे देश में, फिर आये अंग्रेज रे।।
खुदीराम खुद को न रोक रे,
मंगल पांडे आ करने मंगल।
टीपू रानी खड्ग उठालो,
भिड़ जाओ सारे तोड़ के संगल।
लाल बहादुर, चाचा नेहरू, आकर कोई वतन सहेज रे।
गांँधी जी तेरे देश में, फिर आये अंग्रेज रे।
गाँंधी जी मेरे देश में, फिर आये अंग्रेज रे।।
हे शहीदों अब चुप न रहो तुम,
लाला जी आओ बदला लेलो।
चन्द्रशेखर  मौका ना चूकना,
उद्यम फिर ऐसी बाजी खेलो।
ये राष्ट्र विरोधी ताकतें, इनसे रखना परहेज़ रे।
गांँधी जी तेरे देश में, फिर आये अंग्रेज रे ।
गांँधी जी मेरे देश में, फिर आये अंग्रेज रे।।
बाबा साहेब  फिर से, 
एक एक्ट बना दो।
राष्ट्रभाव सबमें जगा दो
हिन्दुस्तानी चोला पहने,
इन लुटेरों को सजा दो।
फूलों को मसलते कांँटे हैं ये, और बैठे फूलों की सेज रे
गांँधी जी तेरे देश में, फिर आये अंग्रेज रे
ऐ भारत माँ फिर से,अपने भगत राजगुरु भेज रे
गांँधी जी मेरे  देश में, फिर आये अंग्रेज रे।
गांँधी जी तेरे देश में।।
स्वरचित/**सुनील भट्ट **
23/03/2017
                      -3-
शुभ मध्यान्ह दोस्तों,आज 26/04/2017अपने ही दुश्मन बने तो कोई क्या करे, दोस्तों छत्तीसगढ़, कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में भी शहीद हुये जवानों को श्रद्धांजलि स्वरुप ये लाइनें। कृपया शेयर करें सबको ।
नहीं जी नहीं, ये हो नहीं सकते हैं मेरे देश के।
ये भाड़े के टट्टू हैं, विदेश के।।
नहीं जी नहीं, ये हो नहीं सकते हैं मेरे देश के!
आओ इनका पता लगाएं,
चुन चुन के मारें इन्हे मिटाएं।
कहीं ये आइसिस(isis) के, बुजदिल तो नहीं,
हैवान हैं इनके तो दिल ही नहीं।
ये भीतर घात लगाते हैं,
दुश्मन हैं दुश्मनों को हँसाते हैं।
माँ बहनों को रूलाते हैं,
ये चोर हैं लूट ले जाते हैं ।
गद्दार भी हैं कुछ देश में,
जो इनको पाठ पढ़ाते हैं।
और ये दो कौड़ी के हथियारबंद,
उल्टी गंगा बहाते हैं ।।
ये कैसे फिर स्वदेशी हुए,
ये तो दुश्मन परदेशी हुए।
एकजुट हो इनको खत्म करो,
शहीदों के जरा तो जख्म भरो।
जो बीच में नेतागीरी करे,
उस पर भी ना कोई रहम करो।
ये दीमक हैं, ये दुश्मन हैं
ये देश खोखला करते हैं,
ये जहर दिलों में भरते हैं।
ना भई ना, बिलकुल भी नहीं,
ये हो ही नहीं सकते हैं मेरे देश के,
ये भाड़े के टट्टू हैं, परदेश के।।
स्वरचित/**सुनील भट्ट**
26/04/2017
                               -4-
सुप्रभात जी। 14/11/2016 /जय हिंद ।।
      "एक शहीद का दिल"
  
हर कोई उस दिल को देखकर, आश्चर्यचकित खड़ा था।
कश्मीर घाटी में मिला वो दिल, अब भी धड़क रहा था।।
वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने,  मिलकर  यही  सुझाया।
दिल में कई अरमानों को, धड़कने का कारण बताया।।
अरमानों को देखके  वे,  एक एक कर गुमसुम होए ।
एक सैनिक  के दिल  को देखके, देखने  वाले रोये ।।
एक अरमान था उस दिल में, अबके घर छुट्टी जाऊंगा।
माँ के रखे गिरवी गहनों  को, सबसे  पहले छुड़ाऊंगा ।
एक अरमान था उस दिल में,  पिता के दर्द मिटाऊंगा।
सैन्य  अस्पताल में  भर्ती कर,  पूरा  इलाज कराऊंगा।।
एक अरमान था बहना को, अबके कालेज में भेजूंगा।
जन्मदिवस के अवसर पर, उसे स्कूटी खरीद के दे दूंगा।।
एक अरमान था एक दिन अपना, घर पक्का कर पाऊंगा।
पूरे  करूंगा सपने और  घर में,  खुशियां  लेकर आऊंगा।।
एक अरमान था इस छुट्टी में, हाल ए दिल बयाँ कर दूंगा।
जो भी  होगा वो देख लूंगा, साफ साफ  उसे  कह दूंगा।।
और उन अरमानों के साथ-साथ,
कुछ दुख भी थे तो कुछ सुखद अहसास।
जोश और गुस्सा जज्बात ।।
आखिर उस शहीद को नम आंखों से, नमन किया गया।
उसके सारे अरमानों को पूरे करने का, निर्णय लिया गया।
जय हिंद, जय भारत के नारे गूंजे गाये हर दिल।
धीरे धीरे धक-धक करते शांत हो गया वो दिल।।
और शांत हो गया वो शहीद ....
ऊँ शांति शांति ऊँ, ऊँ शांति ऊँ, ऊँ शाँति ऊँ।।।
                           
          स्वरचित/**सुनील भट्ट**
            14/11/2016
                              -5-
सभी को सपरिवार समस्त पर्वों की शुभकामनायें जी।।
दोस्तो अपनी सेना का मनोबल बढाने का प्रयास करें.
पहले कुछ लाइने यहाँ शहीदों को समर्पित कर रहा हूँ..
                    "ओ शहीद"
  वो शब्द कहाँ से लाऊँ,
  तुम्हे अर्पित जो कर पाऊं ।
  करके नमन तुम्हे ओ शहीद,
  श्रद्धा के फूल चढांऊ ।।
  वो फूल कहाँ से लाऊं,
  तुम्हे अर्पित जो कर पाऊं
  करके नमन तुम्हे ओ शहीद,
  अंखियों से अश्रु बहाऊँ।।
  वो अश्रु कहाँ से लाऊं,
  अंखियों में जो मै बहाऊं।
  करके नमन तुम्हे ओ शहीद,
  बस नतमस्तक हो जाऊं।।
  तेरा त्याग और बलिदान तो पुण्य है, "ओ शहीद"
  उसके आगे मै क्या  कुछ भी नगण्य है, ओ शहीद"।।
                स्वरचित/**सुनील भट्ट***
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           "दिपावली की हार्दिक शुभकामनाये"
त्यौहारों में घर से दूर, इस दिल को मनाता हूँ यारों।
अगले त्यौहार में बच्चों संग, ये सपने सजाता हूँ यारों।।
सीमाओं पर ड्यूटी है, और फर्ज निभाता हूँ यारों।
गुम होकर यादों में कभी, यादों को भुलाता हूँ यारों।।
कई खुशियाँ तेरे पीछे  हैं, खुद को समझाता हूँ यारों।
हर हालात में खुश होकर, इस दिल को बुझाता हूँ यारों।।
वतन पे आँच न आये कोई, अरमान सजाता हूँ यारों।
देश सेवा की कसमों को, मन में दोहराता हूँ यारों।।
कोई भी मुश्किल क्यो न आए, नहीं मै घबराता हूँ यारों।
"देश मेरा महान है" नतमस्तक हो जाता हूँ यारों।।
                     स्वरचित/**सुनील भट्ट**
                           29/10/2016
                               -6-
"बहाना"
"माँ" मुझे गर्व है कि मैं सेना में हूँ।
अपने वतन की खातिर,
सीमाओं पर हूँ ।।
मुझे गर्व रहेगा कि,
अगर देश की खातिर
हो भी जाऊं कुर्बान।
मेरी आत्मा को मिलेगा सम्मान।
मुझे खुशी होगी कि अगर मेरे,
शहीद होने का संदेश तुम तक आयेगा ।
और सुनकर कोई भी आंसू नहीं बहायेगा।।
मैं तो शहीदों में गिना जाऊंगा ना "माँ"
मैं मरूंगा नहीं ।
दुख तो होगा तुम से बिछड़ जाने पर,
लेकिन खुशी की अनुभूति भी होगी,
मेरे देश के काम आने पर।
इसलिए "माँ" तुम अपने शहीद बेटे पर,
गर्व करना।
आँसूं नहीं बहाना।
रोक लेना आँसूं बनाकर कोई बहाना।।
स्वरचित/**सुनील भट्ट **

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