उत्तराखण्ड के उजड़ते मकानों और खाली होते गावों की एक सच्ची और मार्मिक तस्वीर, मन को अंदर तक झकजोरने वाली गीत रचना के साथ ।
विकास की अन्धी दौड़ में अपनी जड़ों को परदेश में खोज रहे भाइयों बहनों आओ लौट कर अपने गांव, जहां तुम्हारी असली जड़ है, जो अपनी जड़ों से जुड़ा रहा विकास उसी का हुआ है । शांति और सुखमय जीवन उसी को मिला है, आओ लौट आओ ।
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